मंदसौर। मां दुर्गा की आराधना के पर्व में प्रदेश के तमाम श्रद्धालु कोरोना महामारी की दहशत के बावजूद माता रानी के मंदिरों में दर्शन के लिए लगातार पहुंच रहे हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे मंदसौर जिले में भी मां भवानी का एक प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर मौजूद है. शहर के पश्चिमी इलाके में बने नालछा माता के इस मंदिर में मां भवानी और भैरव की प्रतिमाएं एक साथ मौजूद हैं. मंदिर के हजारों साल पुराने इतिहास के कारण ये श्रद्धालुओं की आस्था का भी केंद्र है. नालछा माता मंदिर राजा दशरथ कालीन धार्मिक स्थान है और मां भवानी और भैरव की एक साथ प्रतिमा वाला देश का ये एकमात्र मंदिर होने से इसे काफी चमत्कारिक भी माना जाता है.
ग्राम नालछा स्थित नालछा माता के मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है. शहर के पश्चिमी इलाके में एक नाले के किनारे स्थित इस मंदिर का इतिहास राजा दशरथ काल से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि राजा दशरथ आखेट करते हुए चित्रकूट से मालवा तक पहुंच गए थे और वो अपने माता-पिता को चार धाम की यात्रा करवा रहे थे, तब ही श्रवण कुमार को शब्दभेदी बाण चलाकर भूल वश मार डाला था. अनजाने में हुए इस पाप के प्रायश्चित के लिए राजा दशरथ ने इसी स्थान पर मां भवानी और भैरव की प्रतिमाओं की स्थापना कर आराधना की थी, तब से दोनों प्रतिमाएं आज भी जस की तस मौजूद हैं. हालांकि प्राचीन मंदिर को अब तोड़कर यहां जीर्णोद्धार शुरू कर दिया है, लेकिन प्रतिमाओं के सामने शेर की मूर्ति और मुख्य द्वार के सामने दीपक जलाने की दिवादरी आज भी जस की तस मौजूद है.
हजारों साल पुराना मंदिर होने से ये स्थान काफी चमत्कारी माना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक यहां नि:संतान दंपत्ति हर साल नवरात्रि के दिनों में दर्शन करने पहुंचते हैं और फिर उनकी गोद हरी भरी हो जाने के बाद वो अगले साल मन्नतें उतारने भी पहुंचते हैं. महामारी से ग्रसित मरीजों के कष्ट निवारण के लिए भी इस स्थान को काफी चमत्कारिक माना जाता है. नवरात्रि में दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड संक्रमण के कारण बाहरी श्रद्धालुओं की आमद काफी कम है. अति प्राचीन प्रतिमाओं वाले इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग ने संरक्षित स्मारक भी घोषित किया है. इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने भी इसे धार्मिक पर्यटन के नक्शे से जोड़ा है.
मां भवानी और भैरव की एक साथ प्रतिमाओं वाले इस चमत्कारिक मंदिर में नवरात्रि में गेहूं के जवारे बोने का भी टोटका सदियों से चला आ रहा है. माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में माता रानी के चरणों में बोए गए जवारे का जितना अंकुरण होता है, आने वाला साल मानसून और समृद्धि की दृष्टि से उतना अच्छा निकलता है. लिहाजा इस बार भी पुजारियों द्वारा यहां टोटका किया गया है और अंकुरण काफी अच्छे बताए जा रहे हैं.