मंदसौर। दो महीने के लंबे अंतराल के बाद गुरुवार 17 जून से भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन भक्तों को मिल सकेंगे. लेकिन गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलेगा. वहीं भोजनशाला भी बंद रहेगी. आरती के समय भी मंदिर में प्रवेश वर्जित रहेगा. मंदिर में दर्शन व्यवस्था को कोविड प्रोटोकॉल के साथ शुरू किया जाएगा. गर्भगृह में भगवान के श्रृंगार से लेकर नियमित पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा.
महामारी में बार-बार बंद करने पड़े पट
उज्जैन के महाकाल मंदिर सहित अन्य बड़े मंदिरों में दर्शन व्यवस्था शुरू होने और वहां की व्यवस्था देखने के बाद भगवान पशुपतिनाथ के पट खोलने पर समिति ने फैसला लिया. कोरोना महामारी के चलते साल 2020 के मार्च महीने में लॉकडाउन लगाया गया था और मंदिर भी बंद किया गया. इसके बाद पशुपतिनाथ मंदिर अनलॉक के बाद खुला, लेकिन गर्भगृह में दर्शन बंद ही रहे. सावन माह से लेकर शिवरात्रि तक यही व्यवस्था रही और भक्तों की आवाजाही भी कोविड के कारण कम रही.
बसंत पंचमी पर 16 फरवरी को गर्भगृह में प्रवेश भक्तों को मिलना शुरू हुआ और धीरे-धीरे ही सही लेकिन मंदिर में फिर से भक्तों की आवाजाही बढनी शुरू हुई थी. लेकिन ठीक दो महीने बाद फिर से कोविड की दूसरी लहर में कर्फ्यू के कारण मंदिर बंद करना पड़ा. अब ठीक दो महीने तक मंदिर बंद रहने के बाद 17 जून से पट खोले जा रहे हैं. शद्धलु भगवान के दर्शन कर सकेंगे लेकिन महादेव का जलाअभिषेक नहीं होगा. फूल-प्रसाद और नारियल भी दूर से ही चढ़ाना होगा.
MP टोटल अनलॉक: 1 जुलाई से हटेगी बंदिशें, मंत्री समूह की बैठक में फैसला?
कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूरी
विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पर आने वाले भक्तों को कोविड प्रोटोकॉल से गुजरते हुए मंदिर तक पहुंचना पड़ेगा. थर्मल स्क्रीनिंग के बाद सेनेटाइजर का उपयोग और मास्क लगाने पर ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. गर्भगृह के बाहर से दर्शन होंगे तो भीड़ की स्थिति में भक्तों को बाहर ही इंतजार करना होगा. वहीं आरती में प्रवेश नहीं मिलेगा. कोविड के चलते फिर से भक्त और भगवान में दूरी देखने को मिलेगी.