मंदसौर। कन्हैयालाल पाटीदार, सत्यनारायण धनगर, पूनमचंद पाटीदार, अभिषेक पाटीदार, चैनराम पाटीदार, घनश्याम धाकड़ ये नाम भले ही लोग भूल गए हों, लेकिन मंदसौर सहित पूरे मालवाचंल के किसानों के जेहन में ये 6 नाम आज भी जिंदा हैं क्योंकि ये वो किसान थे, जो दो साल पहले आज ही के दिन पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए थे. 6 जून 2017 की तारीख आज भी मंदसौर के लोगों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है क्योंकि इसी दिन किसान आंदोलन का वो भयावह रुप सामने आया था, जो 6 किसानों की जान लेकर भी नहीं रुका था.
मंदसौर किसान आंदोलन की आज दूसरी बरसी है. इस आंदोलन में मारे गए किसानों को आज भी अपनी शहादत का इंतजार है. किसान आंदोलन की बरसी पर मंदसौर के टकरावद गांव में कई किसान संगठन एक बार फिर एकजुट हुए और मंदसौर गोलीकांड में मारे गये किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद एलान किया कि हम अब भी चुप नहीं बैठे हैं, अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो मंदसौर से भी बड़ा आंदोलन अबकी बार होगा. किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह का कहना है कि अब हम अपना काम खुद करेंगे.
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजू शेट्टी कहते हैं कि किसान आंदोलन की चिंगारी आज भी जल रही है जो कभी भी भड़क सकती है. इन किसान नेताओं की बात सुनकर तो यही कहा जा सकता है कि मंदसौर के किसानों की शहादत भले ही नेताओं को याद न हो, लेकिन इनके जेहन में आज भी वो जख्म ताजा है. इस मौके पर महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के करीब 115 किसान संगठनों ने पहुंचकर सियासतदानों को ये बता दिया है कि अपने साथियों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देंगे.