मंडला। साल 2019 में स्कूली सत्र की शुरुआत जिले के सरकारी स्कूलों के लिए बदहाली के साथ हुई, कभी नदियों ने रास्ता रोका तो कभी कीचड़ बाधा बना, वहीं बुनियादी सुविधाओं के बीच सरकारी स्कूलों में पढाई तो शुरू हुई, लेकिन 3500 के करीब शिक्षकों की कमी और अतिथि शिक्षकों की हड़ताल से पूरे जिले की शिक्षा इस साल चौपट ही रही.
गर्मियों की छुट्टियों के बाद एक बार फिर 24 जून 2019 से स्कूलों में रौनक दिखाई दी तो लेकिन आधी अधूरी सुविधाओं के साथ. जिले में 2 हजार 707 कुल विद्यालय हैं, जिनमें 21 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास अपने भवन नहीं थे, टॉयलेट की बात करें तो कुल 2 हजार 651 बॉयज टॉयलेट थे तो 56 स्कूलों में टॉयलेट नहीं थे, बालिकाओं के लिए जिले के 2 हजार 676 स्कूलों में टॉयलेट बनाए गए जबकि नए सत्र में 31 स्कूल ऐसे थे, जहां बालिकाओं को शर्म के बीच टॉयलेट जाना पड़ा.
जिले के 2 हजार 370 विद्यालयों में सीडब्ल्यू और एसवी टॉयलेट बनाए गए हैं, जबकि 337 स्कूलों में ऐसे टॉयलेट बनाए जाने शेष थे किसी भी स्कूल में पानी की सुविधा होना निहायत ही जरूरी होता है, लेकिन जिले के 2 हजार 707 विद्यालयों में से मात्र 2हजार 632 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में पानी की सुविधा नए सत्र में थी, जबकि 75 स्कूल ऐसे थे, जहां पानी की सुविधा ही नहीं है.
बात करें बिजली कनेक्शन की तो जिले में सिर्फ 783 स्कूलों में बिजली कनेक्शन थे वहीं एक हजार 924 ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल थे, जहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद भी लाइट नहीं लगाई जा सकी. जिले में कुल एक हजार 033 स्कूलों में की रैंप थी तो एक हजार 674 ऐसे स्कूल नए सत्र की शुरुआत में थे, जहां दिव्यांग बालक बालिकाओं को बिना रैंप के ही आना जाना पड़ता है. ये आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को किन सुविधाओं के अभाव के साथ नए सत्र की शुरुआत करनी पड़ी.
हाईस्कूल और हायरसेकंडरी स्कूल के भी कुछ यही हालात
बात करें हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर के स्कूलों की तो जिले में कुल 80 विद्यालय हैं, जिनमें से 30 के पास अपने भवन नहीं नए सत्र मे नहीं थे, वहीं सिर्फ 58 स्कूलों में बालकों के लिए शौचालय उपलब्ध थे जबकि 22 स्कूल ऐसे थे जो शौचालय विहीन थे, इसी तरह बालिकाओं के लिए 67 विद्यालय ऐसे थे, जिनमें शौचालय उपलब्ध थे, जबकि 13 स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था ही नहीं थी.
शिक्षकों के बिना ही हो रही पढ़ाई
जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल आज भी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. जिले में साढ़े तीन हजार के करीब नियमित शिक्षकों की आज भी कमी है, ऐसे में जिले की शिक्षा व्यवस्था का सारा दारोमदार अतिथि शिक्षकों के भरोसे है. लेकिन हर समय कभी नियमित किये जाने की मांग को लेकर तो कभी मानदेय के कई महीनों से नहीं हो पाने वाले भुगतान को लेकर हर कभी हड़ताल पर चले जाने के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती रही, ये आलम अब भी बरकरार है.
बीते सवा महीने से जिले भर के तीन हजार 200 में से अधिकांश शिक्षक हड़ताल पर हैं और पैदल मार्च करते हुए भोपाल पहुंच रहे हैं. ऐसे में इन सवा महीनों में अतिथि शिक्षकों के विकल्प के रूप में कोई व्यवस्था न किये जाने से सरकारी स्कूलों में किस तरह से पढ़ाई हो रही होगी ये समझ से परे है.