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इस मंदिर में नहीं जा सकती महिलाएं, मन्नत पूरी होने पर चढ़ाई जाती है बलि - Women cannot go to the temple

मण्डला से 15 किलोमीटर दूर एक ऐसा माता का मंदिर है जहां महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है. इस मंदिर में केवल पुरुष ही जा सकते हैं. जबकि भक्तों की मन्नत पूरी होने के बाद यहां बलि चढ़ाई जाती है.

छपरा वाली माता मंदिर
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Published : Oct 5, 2019, 10:29 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 12:04 AM IST

मण्डला। हिरदेनगर में छपरा वाली माता का दरबार में नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. लेकिन इस मंदिर की अपनी अलग खासियत है. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. यहां सिर्फ माता का आसन है. इस मंदिर में न कोई पंडा है और न कोई पुजारी. यहां भक्त खुद ही आते हैं और माता के दरबार में पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मंदिर के मुख्य प्रांगण में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है. इसके अलावा महिलाएं मंदिर का प्रसाद भी नहीं खा सकती.

इस मंदिर में नहीं जा सकती महिलाएं

मंदिर में आने वाले श्रध्दालू ने बताया कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां से मांगता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. महिलाओं का प्रवेश पर बोलते हुए कहा कि प्राचीन समय से ही इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. यहां तक कि महिलाएं मंदिर का प्रसाद भी नहीं खा सकती है.

श्रध्दालू ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है तो उसे मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है. नवरात्र पर मंदिर में दर्शनों के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं.

मण्डला। हिरदेनगर में छपरा वाली माता का दरबार में नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. लेकिन इस मंदिर की अपनी अलग खासियत है. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. यहां सिर्फ माता का आसन है. इस मंदिर में न कोई पंडा है और न कोई पुजारी. यहां भक्त खुद ही आते हैं और माता के दरबार में पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मंदिर के मुख्य प्रांगण में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है. इसके अलावा महिलाएं मंदिर का प्रसाद भी नहीं खा सकती.

इस मंदिर में नहीं जा सकती महिलाएं

मंदिर में आने वाले श्रध्दालू ने बताया कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां से मांगता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. महिलाओं का प्रवेश पर बोलते हुए कहा कि प्राचीन समय से ही इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. यहां तक कि महिलाएं मंदिर का प्रसाद भी नहीं खा सकती है.

श्रध्दालू ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है तो उसे मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है. नवरात्र पर मंदिर में दर्शनों के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं.

Intro:मण्डला जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर एक ऐसा माता का मंदिर है जिसके भीतर महिलाएं दाखिल नहीं हो सकती न हीं इसका प्रसाद खा सकतीं लेकिन मान्यता यह है कि ये छपरा वाली माता भक्तों की मुरादें बहुत जल्द पूरी करती हैं वहीं इस मंदिर में न कोई पंडा है न ही पुजारी


Body:मण्डला के करीब ही हिरदेनगर में स्थित हैं छपरा वाली माता का दरबार,लेकिन इस मंदिर में न कोई मूरत है न कोई प्रतिमा,यहाँ सिर्फ माता का आसन है वहीं इस मंदिर में कोई पंडा पुजारी भी नहीं हैं,भक्त खुद ही यहाँ आते हैं और माता के दरबार मे पूजा कर मन्नत माँगते हैं जो बहुत जल्द पूरी भी होती है जिसके बाद इस मंदिर में चढ़ाना होता है खास प्रसाद जो सिर्फ यहीं चढ़ता और बांटा भी जाता है इसे घर नहीं ले जा सकते।इस माता के मंदिर के नियम भी बड़े शख्त हैं यहाँ गर्भ गृह के भीतर महिलाओं का प्रवेश और पूजा वर्जित है साथ ही महिलाएं यहाँ चढ़े हुए प्रसाद को ग्रहण भी नहीं कर सकती,कहा जाता हैं कि गर्भ गृह के पीछे पेड़ पर माता का वास है जो शराब और बकरी के छोटे बच्चों की बलि के प्रसाद से ही खुश होती है लेकिन शर्त यह कि जब तक मुराद पूरी न हो प्रसाद का चढ़वा नहीं चढ़ सकता।सैकड़ो सालों से इस स्थान पर बिना मूर्ती के प्रतिमा के आसपास के ग्रामीणों के अलावा दूसरे प्रदेश के श्रद्धालु यहाँ मन्नत माँगने आते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद देवी को प्रसाद भी चढ़ाते हैं नवरात्र के समय इस दरबार मे भक्तों की खासी भीड़ उमड़ती है लेकिन इस दौरान बलि नहीं दी जाती न ही देवी को शराब चढ़ाई जाती,इन दिनों माता के सात्विक रूप की आराधना होती है साथ ही जवारे और कलश की स्थापना की जाती है देवी से मन्नत माँगने के लिए भक्त चुनरी नारियल या फिर दो नींबू अगरवत्ती ही चढ़ा दें तो भी छपरा वाली माता उनकी गुहार सुन लेती है लोग तो ये भी कहते हैं कि मंदिर में आए बिना भी यदी घर से ही सच्चे मन से माता का ध्यान कर कर कोई मान्यता कर ले तो भी माता उनके कष्ठ हर लेती है


Conclusion:बलि प्रथा को लेकर लोगों की अलग अलग मान्यताएं हैं कुछ लोग इसे आदिवासी प्रथा से लेकर जोड़ते हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि पुरानी परंपरा का निर्वाह है लेकिन यहाँ आने वाले भक्तों का विस्वास निराकार देवी पर इतना है कि इनकी मनोकामना यहाँ जरूर पूरी होती है और इसी श्रद्धा और आस्था के सहारे देश के अलग अलग कौने से यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगता है।

बाईट--स्थानीय निवासी
बाईट--स्थानीय निवासी
Last Updated : Oct 7, 2019, 12:04 AM IST
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