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मंडला: प्रशासन ने नहीं सुनी गुहार, तो ग्रामीणों ने चंदा एकत्र करके शुरू कर दिया सड़क निर्माण - सरपंच सचिव

मंडला के बिछिया तहसील में स्थित घुरवारा गांव के ग्रामीण लंबे वक्त से सड़क बनाने की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से उन्होंने खुद ही सड़क का निर्माण शुरू कर दिया. महिलाएं भी बढ़- चढ़कर सड़क के निर्माण में हिस्सा ले रही हैं.

ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर किया सड़क निर्माण शुरु
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Published : Sep 16, 2019, 6:00 PM IST

मंडला। जिला प्रशासन ने जब ग्रामीणों की मांग को तवज्जों नहीं दी, तो उन्होंने खुद ही सड़क का निर्माण शुरू कर दिया. मंडला जिले के घुरवारा गांव में सड़क ना होने के चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. सड़क ना होने की वजह से गांव के बच्चों को भी स्कूल जाने में भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था.

ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर किया सड़क निर्माण शुरु
किसी के बीमार होने पर उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रमीणों को उसे दो किलोमीटर तक खाट पर ले जाना पड़ता था. इन सब परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया है, सड़क बनाने के लिए पहले ग्रामीणों ने चंदा एकत्र किया और श्रमदान करके सड़क का निर्माण शुरू कर दिया.

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क इस कदर बदहाल हो चुकी थी, कि यहां के लोगों का एक कदम चलना भी दुश्वार हो चुका था. सरपंच सचिव को बहुत बार बताया गया, लेकिन इस बदहाल सड़क को देखने वो एक बार भी नहीं पहुंचे. ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्टा किया, मुरम मंगवाई और खुद ही सड़क बनाने में जुट गए . जिसमे महिलाएं भी बढ़- चढ़कर अपनी भागीदारी दे रही हैं .

मंडला। जिला प्रशासन ने जब ग्रामीणों की मांग को तवज्जों नहीं दी, तो उन्होंने खुद ही सड़क का निर्माण शुरू कर दिया. मंडला जिले के घुरवारा गांव में सड़क ना होने के चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. सड़क ना होने की वजह से गांव के बच्चों को भी स्कूल जाने में भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था.

ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर किया सड़क निर्माण शुरु
किसी के बीमार होने पर उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रमीणों को उसे दो किलोमीटर तक खाट पर ले जाना पड़ता था. इन सब परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया है, सड़क बनाने के लिए पहले ग्रामीणों ने चंदा एकत्र किया और श्रमदान करके सड़क का निर्माण शुरू कर दिया.

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क इस कदर बदहाल हो चुकी थी, कि यहां के लोगों का एक कदम चलना भी दुश्वार हो चुका था. सरपंच सचिव को बहुत बार बताया गया, लेकिन इस बदहाल सड़क को देखने वो एक बार भी नहीं पहुंचे. ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्टा किया, मुरम मंगवाई और खुद ही सड़क बनाने में जुट गए . जिसमे महिलाएं भी बढ़- चढ़कर अपनी भागीदारी दे रही हैं .

Intro:मंडला जिले की बिछिया जनपद के ग्राम पंचायत कोको का पोषक ग्राम है घुरवारा यहाँ चलने के लिए सड़क नहीं है ऐसे में ग्रामीणों ने स्कूली बच्चों और स्थानीय निवासियों को हो रही परेशानियों को देखते हुए खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठाया और चन्दा किया साथ ही श्रमदान कर रोड बनाने का काम शुरू कर दिया जिससे कि कच्ची सड़क चलने लायक बन सके।

Body:बिछिया तहसील की ग्राम पंचायत कोको के गुरवारा ग्राम में प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीण खुद ही बिहार के दशरथ मांझी के रास्ते पर चलते हुए खुद सड़क बनाने में जुटे हुए हैं,इस गाँव की सड़क इस कदर बदहाल हो चुकी थी कि यहाँ लोगों का एक कदम चलना भी दुश्वार हो चुका था जिसके लिए सरपंच सचिव को बहुत बार बताया गया लेकिन सरपंच सचिव इस बदहाल सड़क को देखने भी नहीं पहुँचे 181 में शिकायत भी की गई लेकिन कुछ न हुआ ऐसे में शासन प्रशासन से मायूस ग्रामीणों ने चंदा इकट्टा किया मुरम बुलवाई और खुद ही जुट गए सड़क बनाने में जिसमे महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रही हैं ग्राम पंचायत कोको (वार्ड07) के घुरवाड़ा में चलने के लिए पक्की रोड की बजाए कच्ची भी नहीं है,रोड नहीं होने के कारण छोटे-छोटे बच्चों की स्कूल ड्रेस खराब हो जाती है जिससे वह स्कूल नहीं जा पाते वहीं गर्भवती महिलाएं या बीमारों को,मेन रोड तक लाने के लिए खाट पर लेटा कर दो किलोमीटर का सफर इसी रोड कीचड़ भरी सड़क से करना पड़ता है


Conclusion:खुद सड़क बनाने के काम मे जुटे इन ग्रामीणों का कहना है कि इस तकलीफ की कई शिकायतें की जा चुकी हैं लेकिन आज तक कोई अधिकारी, कर्मचारी ना कोई नेता आया जबकि चुनाव की समय सरपंच विधायक सांसद सब ने इसे बनवाने का वादा किया था।

बाइट--मजदूरी करते ग्रामवासी
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