मंडला। उमस भरी गर्मी और बारिश के बीच सब्जियों के दाम बढ़ने लगे हैं. लगातार हो रही बारिश के कारण खेतों में लगी सब्जियां सड़ गई हैं. दूसरे शहर से सब्जी आने के चलते सब्जी के दामों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है. दरअसल मंडला जिले का सब्जी बाजार आसपास के गांव के किसानों के सहारे चलता है. पहले सब्जी बाजार में इतनी सब्जियां आ जाती थीं कि, इन्हें छिंदवाड़ा, जबलपुर, छत्तीसगढ़ जैसे दूसरे सब्जी मंडियों में भेजा जाता था, लेकिन इस साल सब्जी मंडी में सन्नाटा पसरा रहता है.
खेतों में बर्बाद होती सब्जी
किसी ने दस हजार के बीज रोपे थे, तो किसी ने 25 से 50 हजार तक के बीज रोप थे. लेकिन मानसून की शुरुआत में लगातार बरसात से जहां सब्जियों के पौधे ज्यादा पानी के चलते गल गए. वहीं अब रूठा हुआ मानसून नन्हें पौधों को सुखाने में आमदा है. ऐसे में सब्जी की खेती करने वाले किसानों को हर तरफ से मुसीबत झेलनी पड़ रही है.
इसलिए महंगे दामों में बिक रही सब्जी
मंडला में इन दिनों सब्जियां छिंदवाड़ा, जबलपुर और छत्तीसगढ़ की मंडियों से आ रही हैं. ऐसे में दूर से आने में लगने वाला समय और 100 से 250 किलोमीटर का भाड़ा डीजल की ज्यादा कीमत के चलते इन मंडियों में 10 से 20 रुपये प्रति किलो में मिलने वाली सब्जियां मंडला पहुंचते तक दोगुने दाम में उतरती हैं इसके साथ ही खराब हुई सब्जियों का घाटा भी इस थोक में उतरी हुई सब्जियों को बेच कर पूरा करना होता है, जिसके चलते सब्जियों के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है.
ज्यादा बारिश और तेज धूप से सड़ गई सब्जी
मंडला के खेतों से इन दिनों फूल गोभी, बैगन,और भिंडी बड़ी मात्रा में निकलती थी, लेकिन धूप न निकलने से ये पौधे भी कमजोर हो गए, और इनमें फल नहीं लगे. इसके साथ ही बरसात के समय करैला, लौकी, ककड़ी, टमाटर जैसी सब्जियां होती थी. लेकिन ज्यादा पानी के बाद तेज धूप खेतों में लगी सब्जी बर्बाद हो गई.
इन दामों में बिक रही सब्जी
जिले की थोक सब्जी मंडी की बात की जाए तो हमेशा 20 रुपये से कम दाम में मिलने वाला आलू 30 से 35 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि टमाटर के दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं. इसके साथ ही गोभी 80 रूपए, शिमला मिर्च 60 रुपये किलो, परवल 40 रुपये किलो, लौकी 30 रुपए, भिंडी 20 रुपये, करेला 20 रुपए किलो, बैगन 20 रुपए किलो प्याज 20 रुपए किलो, बरवटी 40 रुपये,गंवार फल्ली 40 रुपए गिलकी 40 रुपए किलो और धनिया 100 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि अमूमन इस सीजन की सब्जियों के दाम 10 से 20 रुपये किलो हुआ करते थे.
कब मिलेगी राहत ?
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ग्राहक हो या फिर किसान सभी को उम्मीद है कि मानसून का रूठा हुआ मिजाज जल्द ही सही हो जाए, और बरसात के साथ समय समय पर धूप मिलती रहे तो पौधों को जीवन और सभी को महंगाई से राहत मिल जाएगी.