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दलपत शाह अभयारण्य के विरोध में उतरा आदिवासी समुदाय, अधिकारियों को सौंपा ज्ञापन

मंडला जिले के आदिवासी समुदाय ने प्रस्तावित राजा दलपत शाह वन अभयारण्य के विरोध में मोर्चा खोल दिया है. जिसके चलते लोगों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है.

ज्ञापन सौंपता आदिवासी संगठन
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Published : Sep 23, 2019, 1:03 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 1:16 PM IST

मंडला। जिले में प्रस्तावित राजा दलपत शाह वन अभ्यारण्य के विरोध में आदिवासी समुदाय के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जगह-जगह ग्राम सभाओं में निंदा प्रस्ताव पारित कर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाया जा रहा है. जिसके चलते आदिवासी समुदाय ने तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा है.

आदिवासी समुदाय ने दलपत शाह अभयारण्य के विरोध में दिया ज्ञापन

लोगों ने बताया कि आदिवासी समुदाय जंगलों पर ही निर्भर है. वे वन्य उत्पादों के माध्यम से ही अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. अगर यहां वन अभ्यारण्य वन जाएगा तो उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे. जिसके चलते न तो उन्हें मवेशी चराने जंगल में प्रवेश मिलेगा और न ही वे वन उत्पादों का उपयोग कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में पहले से ही कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है, तो एक नया अभ्यारण्य बनाने की क्या जरुरत है.

बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके चलते 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार पहले से ही विस्थापित किये जा चुके हैं. नेशनल पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी की जा रही है. वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी कर अभयारण्य की कार्रवाई शुरू करना गलत है.

कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया ने बताया कि आदिवासी समुदाय प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध कर रहा है. जिसके चलते ज्ञापन भी दिया गया है. उन्होंने बताया कि मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.

विधायक अशोक मर्सकोले ने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो-दो बार विस्तापित हो चुके हैं. अब वे उनके साथ अन्याय नहीं होंने देंगे.

मंडला। जिले में प्रस्तावित राजा दलपत शाह वन अभ्यारण्य के विरोध में आदिवासी समुदाय के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जगह-जगह ग्राम सभाओं में निंदा प्रस्ताव पारित कर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाया जा रहा है. जिसके चलते आदिवासी समुदाय ने तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा है.

आदिवासी समुदाय ने दलपत शाह अभयारण्य के विरोध में दिया ज्ञापन

लोगों ने बताया कि आदिवासी समुदाय जंगलों पर ही निर्भर है. वे वन्य उत्पादों के माध्यम से ही अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. अगर यहां वन अभ्यारण्य वन जाएगा तो उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे. जिसके चलते न तो उन्हें मवेशी चराने जंगल में प्रवेश मिलेगा और न ही वे वन उत्पादों का उपयोग कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में पहले से ही कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है, तो एक नया अभ्यारण्य बनाने की क्या जरुरत है.

बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके चलते 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार पहले से ही विस्थापित किये जा चुके हैं. नेशनल पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी की जा रही है. वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी कर अभयारण्य की कार्रवाई शुरू करना गलत है.

कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया ने बताया कि आदिवासी समुदाय प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध कर रहा है. जिसके चलते ज्ञापन भी दिया गया है. उन्होंने बताया कि मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.

विधायक अशोक मर्सकोले ने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो-दो बार विस्तापित हो चुके हैं. अब वे उनके साथ अन्याय नहीं होंने देंगे.

Intro:स्टोरी आईडिया

वन अभ्यारण के विरोध में उतरे आदिवासी सामुदाय के लोग,

एंकर- प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित वन अभ्यरण मंडला जिले की निवास विधानसभा क्षेत्र के चार वन परिक्षेत्रों में बनाया जाना प्रतावित हुआ हैं जिसके विरोध में आदिवासी सामुदाय के लोगो ने गांव गांव से मोर्चा खोल दिया है और हर ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के निंदा प्रस्ताव पारित कर सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाया जारहा है साथ क्षेत्र के सरपंचों व आम जंता द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारियों को अभ्यारण के विरोध में ज्ञापन दिया जारहा हैं।
वही तहसीलदार ने बताया आदिवासी सामुदाय द्वारा प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके विरोधमे में इनके द्वारा मुझे ज्ञापन सौंपा गया हैं। जिले के कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया द्वारा बताया गया क़ि आदिवासी सामुदाय के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके बारे में हमने उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया हैं।।
बाइट 1- जगदीश चंद्र जटिया - कलैक्टर मंडला
बाइट 2- NK ठाकुर- तहसीलदार

VO-1- अभ्यारण का विरोध कर रहें आदिवासी सामुदाय के लोगो का कहना हैं यह सरकार हमारे राजा के नाम के नाम पे अभ्यारण बना कर हमको फिर से विस्तापित करना चाहती हैं, जबकि हम लोग पहले ही बरगी और चुटका के नाम पर दो बार विस्तापित हो चुके हैं लेकिन अब हम अपना जल जंगल जमीन नही छोड़ेगे चाहें इसके लियें हमे किसी भी हद तक क्यों न जाना पड़े, क्यों कि अगर यहाँ पर अभ्यारण बनता हैं तो सरकार हमें अपने जल जंगल जमीन से बेदखल कर देगी और हमारे जल जंगल जमीन पर शासन प्रसाशन का कब्जा हो जायेगा इन जंगलों में हमारे पूर्वजनो की आत्माये निवास करती हैं इस लियें हम अपने जल जंगल जमीन को छोड़ कर कही भी जाना नही चाहतें।।

बाइट 3- भागवत गौठरिया- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 4- मदन बरकड़े- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 5- बीरन सिंह- सरपंच- अभ्यारण विरोधी।।

Vo 2- बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके कारण 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार बहुत पहले विस्थापित किये जा चुके हैं तथा इस राष्ट्रीय पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के 10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी फिर से की जारी है जो हम हरगिज नही होने देंगे- प्रदेश सरकार द्वारा 12 टाईगर सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव है जिसमें मंडला में बनने वाला दलपत शाह अभयारण्य भी एक है। वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक इस क्षेत्र में निवास करने वाले ग्राम वासियों का सामुदायिक अधिकार मान्यता की प्रक्रिया पुर्ण किये बिना अभयारण्य की कार्यवाही शुरू करना गलत है,

बाइट 6- राजेन्द्र पट्टा- बरगी बांध संघ सदस्य।

Vo 3- मेरी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो दो बार विस्तापित हो चुके हैं जो आज अपना जल जंगल जमीन छोड़ कर दर दर भटक रहें हैं क्यों शासन के उनकी जमीन को कौड़ियों के भाव में खरीद लिया था। लेकिन अब में ऐसा नही होने दूँगा चाहें कुछ भी हो जायें मैने सरकार को पत्र लिखकर स्पस्ट मना कर दिया हैं। में हर कंडीसन में अपने आदिवासी भाईयों के साथ खड़ा हूँ।।

बाइट 7- अशोक मर्सकोले- विधायक

mpc10083Body:स्टोरी आईडिया

वन अभ्यारण के विरोध में उतरे आदिवासी सामुदाय के लोग,

एंकर- प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित वन अभ्यरण मंडला जिले की निवास विधानसभा क्षेत्र के चार वन परिक्षेत्रों में बनाया जाना प्रतावित हुआ हैं जिसके विरोध में आदिवासी सामुदाय के लोगो ने गांव गांव से मोर्चा खोल दिया है और हर ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के निंदा प्रस्ताव पारित कर सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाया जारहा है साथ क्षेत्र के सरपंचों व आम जंता द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारियों को अभ्यारण के विरोध में ज्ञापन दिया जारहा हैं।
वही तहसीलदार ने बताया आदिवासी सामुदाय द्वारा प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके विरोधमे में इनके द्वारा मुझे ज्ञापन सौंपा गया हैं। जिले के कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया द्वारा बताया गया क़ि आदिवासी सामुदाय के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके बारे में हमने उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया हैं।।
बाइट 1- जगदीश चंद्र जटिया - कलैक्टर मंडला
बाइट 2- NK ठाकुर- तहसीलदार

VO-1- अभ्यारण का विरोध कर रहें आदिवासी सामुदाय के लोगो का कहना हैं यह सरकार हमारे राजा के नाम के नाम पे अभ्यारण बना कर हमको फिर से विस्तापित करना चाहती हैं, जबकि हम लोग पहले ही बरगी और चुटका के नाम पर दो बार विस्तापित हो चुके हैं लेकिन अब हम अपना जल जंगल जमीन नही छोड़ेगे चाहें इसके लियें हमे किसी भी हद तक क्यों न जाना पड़े, क्यों कि अगर यहाँ पर अभ्यारण बनता हैं तो सरकार हमें अपने जल जंगल जमीन से बेदखल कर देगी और हमारे जल जंगल जमीन पर शासन प्रसाशन का कब्जा हो जायेगा इन जंगलों में हमारे पूर्वजनो की आत्माये निवास करती हैं इस लियें हम अपने जल जंगल जमीन को छोड़ कर कही भी जाना नही चाहतें।।

बाइट 3- भागवत गौठरिया- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 4- मदन बरकड़े- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 5- बीरन सिंह- सरपंच- अभ्यारण विरोधी।।

Vo 2- बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके कारण 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार बहुत पहले विस्थापित किये जा चुके हैं तथा इस राष्ट्रीय पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के 10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी फिर से की जारी है जो हम हरगिज नही होने देंगे- प्रदेश सरकार द्वारा 12 टाईगर सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव है जिसमें मंडला में बनने वाला दलपत शाह अभयारण्य भी एक है। वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक इस क्षेत्र में निवास करने वाले ग्राम वासियों का सामुदायिक अधिकार मान्यता की प्रक्रिया पुर्ण किये बिना अभयारण्य की कार्यवाही शुरू करना गलत है,

बाइट 6- राजेन्द्र पट्टा- बरगी बांध संघ सदस्य।

Vo 3- मेरी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो दो बार विस्तापित हो चुके हैं जो आज अपना जल जंगल जमीन छोड़ कर दर दर भटक रहें हैं क्यों शासन के उनकी जमीन को कौड़ियों के भाव में खरीद लिया था। लेकिन अब में ऐसा नही होने दूँगा चाहें कुछ भी हो जायें मैने सरकार को पत्र लिखकर स्पस्ट मना कर दिया हैं। में हर कंडीसन में अपने आदिवासी भाईयों के साथ खड़ा हूँ।।

बाइट 7- अशोक मर्सकोले- विधायक
mpc10083Conclusion:स्टोरी आईडिया

वन अभ्यारण के विरोध में उतरे आदिवासी सामुदाय के लोग,

एंकर- प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित वन अभ्यरण मंडला जिले की निवास विधानसभा क्षेत्र के चार वन परिक्षेत्रों में बनाया जाना प्रतावित हुआ हैं जिसके विरोध में आदिवासी सामुदाय के लोगो ने गांव गांव से मोर्चा खोल दिया है और हर ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के निंदा प्रस्ताव पारित कर सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाया जारहा है साथ क्षेत्र के सरपंचों व आम जंता द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारियों को अभ्यारण के विरोध में ज्ञापन दिया जारहा हैं।
वही तहसीलदार ने बताया आदिवासी सामुदाय द्वारा प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके विरोधमे में इनके द्वारा मुझे ज्ञापन सौंपा गया हैं। जिले के कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया द्वारा बताया गया क़ि आदिवासी सामुदाय के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा अभ्यारण का विरोध किया जारहा हैं जिसके बारे में हमने उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया हैं।।
बाइट 1- जगदीश चंद्र जटिया - कलैक्टर मंडला
बाइट 2- NK ठाकुर- तहसीलदार

VO-1- अभ्यारण का विरोध कर रहें आदिवासी सामुदाय के लोगो का कहना हैं यह सरकार हमारे राजा के नाम के नाम पे अभ्यारण बना कर हमको फिर से विस्तापित करना चाहती हैं, जबकि हम लोग पहले ही बरगी और चुटका के नाम पर दो बार विस्तापित हो चुके हैं लेकिन अब हम अपना जल जंगल जमीन नही छोड़ेगे चाहें इसके लियें हमे किसी भी हद तक क्यों न जाना पड़े, क्यों कि अगर यहाँ पर अभ्यारण बनता हैं तो सरकार हमें अपने जल जंगल जमीन से बेदखल कर देगी और हमारे जल जंगल जमीन पर शासन प्रसाशन का कब्जा हो जायेगा इन जंगलों में हमारे पूर्वजनो की आत्माये निवास करती हैं इस लियें हम अपने जल जंगल जमीन को छोड़ कर कही भी जाना नही चाहतें।।

बाइट 3- भागवत गौठरिया- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 4- मदन बरकड़े- अभ्यारण के विरोधी।।
बाइट 5- बीरन सिंह- सरपंच- अभ्यारण विरोधी।।

Vo 2- बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके कारण 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार बहुत पहले विस्थापित किये जा चुके हैं तथा इस राष्ट्रीय पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के 10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी फिर से की जारी है जो हम हरगिज नही होने देंगे- प्रदेश सरकार द्वारा 12 टाईगर सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव है जिसमें मंडला में बनने वाला दलपत शाह अभयारण्य भी एक है। वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक इस क्षेत्र में निवास करने वाले ग्राम वासियों का सामुदायिक अधिकार मान्यता की प्रक्रिया पुर्ण किये बिना अभयारण्य की कार्यवाही शुरू करना गलत है,

बाइट 6- राजेन्द्र पट्टा- बरगी बांध संघ सदस्य।

Vo 3- मेरी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो दो बार विस्तापित हो चुके हैं जो आज अपना जल जंगल जमीन छोड़ कर दर दर भटक रहें हैं क्यों शासन के उनकी जमीन को कौड़ियों के भाव में खरीद लिया था। लेकिन अब में ऐसा नही होने दूँगा चाहें कुछ भी हो जायें मैने सरकार को पत्र लिखकर स्पस्ट मना कर दिया हैं। में हर कंडीसन में अपने आदिवासी भाईयों के साथ खड़ा हूँ।।

बाइट 7- अशोक मर्सकोले- विधायक

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Last Updated : Sep 23, 2019, 1:16 PM IST
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