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मूक-बधिर बच्चे अपने हाथों से सजा रहे सुंदर-सुंदर दीए, स्वदेशी का दे रहे संदेश

मंडला जिले के स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे दीवाली में स्वदेशी वस्तुओं का संदेश देने के उद्देश्य से मिट्टी के सुंदर-सुंदर दीए बना रहे हैं और अपनी कला और हुनर का परिचय दे रहे हैं.

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Published : Oct 16, 2019, 5:38 PM IST

स्पेशल चाइल्ड अपने हाथों से सज़ा रहे दिए

मंडला। जिले के स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न बोल पाते हैं और न सुन पाते हैं, लेकिन अपने मन की अभिव्यक्ति को बयां करने में किसी से पीछे नहीं हैं. दीवाली का त्योहार नजदीक है, ऐसे में ये बच्चे अपनी कला और हुनर को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए मिट्टी के सुंदर-सुंदर दीए बना रहे हैं.

स्पेशल चाइल्ड अपने हाथों से सज़ा रहे दिए
यहां बच्चे हाथों से मिट्टी के दीयों को संवार रहे हैं, जिनमें इनकी कल्पना की झलक साफ दिखाई दे रही है. इस दीवाली में स्वदेशी के साथ ही स्वावलंबन का संदेश देने के उद्देश्य से ये बच्चे मिट्टी के दीए बना रहे हैं.स्कूल प्रशासन का कहना है कि इनमें से कुछ स्पेशल चाइल्ड ऐसे भी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. उन्होंने कहा कि उनके बनाए दीयों को स्कूल स्टॉल लगाकर बेचेगा और इससे मिले पैसों से बच्चों के लिए मिठाई, कपड़े और पटाखे लाए जाएंगे. वहीं इन बच्चों के द्वारा दीवाली की सजावट के लिए झूमर, तोरण भी बनाई जाएंगे, जिससे सभी बच्चों की मदद हो सके.

मंडला। जिले के स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न बोल पाते हैं और न सुन पाते हैं, लेकिन अपने मन की अभिव्यक्ति को बयां करने में किसी से पीछे नहीं हैं. दीवाली का त्योहार नजदीक है, ऐसे में ये बच्चे अपनी कला और हुनर को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए मिट्टी के सुंदर-सुंदर दीए बना रहे हैं.

स्पेशल चाइल्ड अपने हाथों से सज़ा रहे दिए
यहां बच्चे हाथों से मिट्टी के दीयों को संवार रहे हैं, जिनमें इनकी कल्पना की झलक साफ दिखाई दे रही है. इस दीवाली में स्वदेशी के साथ ही स्वावलंबन का संदेश देने के उद्देश्य से ये बच्चे मिट्टी के दीए बना रहे हैं.स्कूल प्रशासन का कहना है कि इनमें से कुछ स्पेशल चाइल्ड ऐसे भी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. उन्होंने कहा कि उनके बनाए दीयों को स्कूल स्टॉल लगाकर बेचेगा और इससे मिले पैसों से बच्चों के लिए मिठाई, कपड़े और पटाखे लाए जाएंगे. वहीं इन बच्चों के द्वारा दीवाली की सजावट के लिए झूमर, तोरण भी बनाई जाएंगे, जिससे सभी बच्चों की मदद हो सके.
Intro:मण्डला के स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न बोल पाते हैं न सुन पाते लेकिन अपने मन की अभिव्यक्ति को बयां करने में पीछे भी नहीं रहते दीवाली का त्यौहार नजदीक है ऐसे में स्वदेशी दिए के प्रयोग का संदेश ये बच्चे दे रहे हैं जिससे कि दिए बनाने वाले परिवारों का घर भी रौशन हो सके वहीं इन दियों को बेच कर ही स्पेशल चाइल्ड के लिए मिठाई पटाखे और कपड़े खरीदे जाएंगे तो क्या आप भी करेंगे इनकी मदद


Body:दीवाली के त्यौहार की तैयारी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में अलग ही तरह से हो रही है यहाँ ये नन्हे मुन्ने बच्चे अपने हाथों से मिट्टी के दियों को संवार रहे हैं जिनमे इनकी अपनी कल्पना की झलक साफ दिखाई दे रही हैं बोल और सुन नहीं पाने वाले ये बच्चे समाझ को यह संदेश भी देना चाह रहे हैं कि स्वदेशी मिट्टी के दियों का ही प्रयोग दीवाली में सभी को करना चाहिए जिससे छोटे कलाकारों की आर्थिक मदद हो सके वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि इन स्पेशल चाइल्ड में कुछ ऐसे भी हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनकी मदद के लिए इन दियों को स्टॉल लगा कर बेचा जाएगा और मिलने वाली राशि से उन बच्चों के लिए मिठाई,कपड़े और पटाखे लाए जाएंगे,वहीं इन बच्चों के द्वारा दीवाली की सजावट के लिए,झूमर,तोरण भी बनाई जाएंगीं जिससे सभी बच्चों की मदद हो सके।


Conclusion:इस दीवाली में स्वदेशी के साथ ही स्वावलंबन का संदेश तो इन स्पेशल चाइल्ड ने दे दिया लेकिन क्या आप और हम भी तैयार हैं इनकी मदद के लिए? आइये हम भी भागीदार बने इन स्पेशल चाइल्ड के स्पेशल प्रयास के हम भी बढ़ाएं एक कदम इनकी मदद के लिए।

बाईट--प्रिया पमनानी, प्रिंसिपल,स्पेशल चाइल्ड स्कूल
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