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कड़ाके की ठंड में मुसाफिरों के लिए कितने कारगर हैं रैन बसेरे ? देखें रियलिटी चेक

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Published : Jan 16, 2020, 10:20 AM IST

मुसाफिरों के लिए कड़ाके की ठंड में रात गुजारने के लिए बनाए गए रैन बसेरे कितने कारगर साबित हो रहे हैं, ये जानने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने मंडला के आश्रय स्थल का रियलिटी चेक किया.

Reality check of Rain Basera at Mandla
रैन बसेरे का रियलिटी चेक

मंडला। जिले के बस स्टैंड में जरूरमंद, बेसहारा मुसाफिरों के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से रैन बसेरे का इंतजाम किया गया है. कड़ाके की ठंड में रात बिताने के लिए मिलने वाली ये नि:शुल्क सुविधा लोगों के लिए कितनी कारगर साबित हो रही है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने रियलिटी चेक किया.

रैन बसेरे का रियलिटी चेक

जिले के आश्रय स्थल को नगरपालिका प्रशासन ने दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत संचालित किया जाता है. जहां 25 पुरुषों 6 महिलाओं के लिए पलंग की व्यवस्था की गई है. अगर इससे ज्यादा मुसाफिर आ जाएं तो 10 गद्दे भी हैं, जो जमीन पर दरियों के ऊपर बिछा दिए जाते हैं. कंबल चादर देकर मुसाफिरों को ठहराया जाता है.

ईटीवी भारत की टीम ने इस आश्रय स्थल का रियलिटी चेक किया और ये जानने का प्रयास किया कि, सच में जिन सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा किया जाता है वे यहां ठहरने वाले मुसाफिरों को मिलती भी है या नहीं. रियलिटी चेक में पाया गया कि, किसी भी लॉज या फिर होटल से कहीं बेहतर साफ- सफाई और व्यवस्था यहां आने वाले मुसाफिरों को मुहैया कराई जा रही है. जहां मुसाफिर भी आश्रय स्थल की व्यवस्थाओं को लेकर संतुष्ट नजर आए.

मंडला। जिले के बस स्टैंड में जरूरमंद, बेसहारा मुसाफिरों के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से रैन बसेरे का इंतजाम किया गया है. कड़ाके की ठंड में रात बिताने के लिए मिलने वाली ये नि:शुल्क सुविधा लोगों के लिए कितनी कारगर साबित हो रही है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने रियलिटी चेक किया.

रैन बसेरे का रियलिटी चेक

जिले के आश्रय स्थल को नगरपालिका प्रशासन ने दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत संचालित किया जाता है. जहां 25 पुरुषों 6 महिलाओं के लिए पलंग की व्यवस्था की गई है. अगर इससे ज्यादा मुसाफिर आ जाएं तो 10 गद्दे भी हैं, जो जमीन पर दरियों के ऊपर बिछा दिए जाते हैं. कंबल चादर देकर मुसाफिरों को ठहराया जाता है.

ईटीवी भारत की टीम ने इस आश्रय स्थल का रियलिटी चेक किया और ये जानने का प्रयास किया कि, सच में जिन सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा किया जाता है वे यहां ठहरने वाले मुसाफिरों को मिलती भी है या नहीं. रियलिटी चेक में पाया गया कि, किसी भी लॉज या फिर होटल से कहीं बेहतर साफ- सफाई और व्यवस्था यहां आने वाले मुसाफिरों को मुहैया कराई जा रही है. जहां मुसाफिर भी आश्रय स्थल की व्यवस्थाओं को लेकर संतुष्ट नजर आए.

Intro:मण्डला में बस स्टैंड में आश्रय स्थल पर ऐसे लोगों को रात बिताने की सुविधाएं निःशुल्क दी जाती हैं जिनके पास खुद की छत नहीं या फिर बाहर से आए हों और होटल या लॉज का पैसा खर्च कर पाने के काबिल नहीं


Body:मण्डला के आश्रय स्थल को नगरपालिका प्रशासन के द्वारा दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत संचालित किया जाता है जो बस स्टैंड पर ही है यहाँ 25 पुरुषों 6 महिलाओं के लिए पंलग की व्यवस्था है वहीं अगर इससे ज्यादा मुसाफिर आ जाएं तो 10 गद्दे भी हैं जमीन पर दरियों के ऊपर बिछाए जाते है और कम्बल चादर देकर यहाँ मुसाफिरों को ठहराया जाता है ईटीवी भारत की टीम ने इस आश्रय स्थल का रियलिटी टेस्ट किया और यह जानने का प्रयास किया कि सच मे जिन सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा किया जाता है वे यहाँ ठहरने वाले मुसाफिरों को मिलती भी है नहीं तो हमने पाया कि किसी भी लॉज या फिर होटल से कहीं बेहतर साफ सफाई और व्यवस्था यहाँ आने वाले मुसाफिरों को मुहैया कराई जाती हैं और मुसाफिर भी यहाँ की व्यवस्थाओं को लेकर संतुष्ट नज़र आए


Conclusion:रियल्टी टेस्ट

वॉक थ्रू आश्रय स्थल मण्डला
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