मंडला। ये वही अन्नदाता हैं, जिनकी मेहनत की वजह से लाखों लोगों का पेट भरता है, लेकिन आज इन्हें खुद मदद की दरकार है, क्योंकि कुदरत के कहर ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. बीते दिनों मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी थी, जिसकी राहत राशि का इंतजार किसान पिछले एक माह से कर रहे हैं, लेकिन अफसोस कि राज्य और केंद्र सरकारें इनकी मदद करने के बजाय आपस में एक-दूसरे के खिलाफ धरना-प्रदर्शन का खेल खेल रही हैं.
चुनाव के वक्त किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने वाली राजनीतिक पार्टियां आज अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय सियासत कर रही हैं. यही वजह है कि अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला है, जिससे किसान परेशान हैं.
644 किसानों के हाल बेहाल
मंडला के कुल 644 किसान ऐसे हैं, जिनकी फसल मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश से पूरी तरह चौपट हो गई. जिसके बाद फसल के नुकसान का सर्वे हो गया, रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई, बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नहीं मिला, क्योंकि राज्य की कमलनाथ और केंद्र की मोदी सरकार दोनों के बीच प्रदर्शन की नूरा-कुश्ती चल रही है.
बीजेपी-कांग्रेस में जुबानी जंग तेज
कमलनाथ सरकार के तमाम मंत्री केंद्र पर मुआवजा राशि रिलीज नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं मोदी के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते किसानों की स्थिति के लिए कमलनाथ सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. फग्गन सिंह कुलस्ते का आरोप है कि कांग्रेस सरकार की किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं है.
किसानों को मुआवजे का इंतजार
मंडला जिले में इस बार औसत से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई थी, जिसने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. अब किसानों को सिर्फ इस बात का इंतजार है कि सियासत का खेल छोड़कर केंद्र और राज्य सरकार कब उनके जख्म पर मुआवजे का मरहम लगाएगी.