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मध्यप्रदेश में मुआवजे पर सियासत, मदद की बाट जोह रहे अन्नदाता का सुनिए दर्द

मण्डला जिले के 644 किसान फसल की नुकसानी के बाद राहत राशि के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं, लेकिन कमलनाथ सरकार और केंद्र सरकार के बीच जारी बयानबाजी के बीच किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है.

मध्यप्रदेश में मुआवजे पर सियासत जारी
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Published : Nov 7, 2019, 7:18 AM IST

Updated : Nov 12, 2019, 12:02 AM IST

मंडला। ये वही अन्नदाता हैं, जिनकी मेहनत की वजह से लाखों लोगों का पेट भरता है, लेकिन आज इन्हें खुद मदद की दरकार है, क्योंकि कुदरत के कहर ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. बीते दिनों मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी थी, जिसकी राहत राशि का इंतजार किसान पिछले एक माह से कर रहे हैं, लेकिन अफसोस कि राज्य और केंद्र सरकारें इनकी मदद करने के बजाय आपस में एक-दूसरे के खिलाफ धरना-प्रदर्शन का खेल खेल रही हैं.

मध्यप्रदेश में मुआवजे पर सियासत

चुनाव के वक्त किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने वाली राजनीतिक पार्टियां आज अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय सियासत कर रही हैं. यही वजह है कि अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला है, जिससे किसान परेशान हैं.

644 किसानों के हाल बेहाल

मंडला के कुल 644 किसान ऐसे हैं, जिनकी फसल मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश से पूरी तरह चौपट हो गई. जिसके बाद फसल के नुकसान का सर्वे हो गया, रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई, बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नहीं मिला, क्योंकि राज्य की कमलनाथ और केंद्र की मोदी सरकार दोनों के बीच प्रदर्शन की नूरा-कुश्ती चल रही है.

बीजेपी-कांग्रेस में जुबानी जंग तेज
कमलनाथ सरकार के तमाम मंत्री केंद्र पर मुआवजा राशि रिलीज नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं मोदी के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते किसानों की स्थिति के लिए कमलनाथ सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. फग्गन सिंह कुलस्ते का आरोप है कि कांग्रेस सरकार की किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं है.

किसानों को मुआवजे का इंतजार

मंडला जिले में इस बार औसत से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई थी, जिसने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. अब किसानों को सिर्फ इस बात का इंतजार है कि सियासत का खेल छोड़कर केंद्र और राज्य सरकार कब उनके जख्म पर मुआवजे का मरहम लगाएगी.

मंडला। ये वही अन्नदाता हैं, जिनकी मेहनत की वजह से लाखों लोगों का पेट भरता है, लेकिन आज इन्हें खुद मदद की दरकार है, क्योंकि कुदरत के कहर ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. बीते दिनों मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी थी, जिसकी राहत राशि का इंतजार किसान पिछले एक माह से कर रहे हैं, लेकिन अफसोस कि राज्य और केंद्र सरकारें इनकी मदद करने के बजाय आपस में एक-दूसरे के खिलाफ धरना-प्रदर्शन का खेल खेल रही हैं.

मध्यप्रदेश में मुआवजे पर सियासत

चुनाव के वक्त किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने वाली राजनीतिक पार्टियां आज अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय सियासत कर रही हैं. यही वजह है कि अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला है, जिससे किसान परेशान हैं.

644 किसानों के हाल बेहाल

मंडला के कुल 644 किसान ऐसे हैं, जिनकी फसल मध्यप्रदेश में हुई आफत की बारिश से पूरी तरह चौपट हो गई. जिसके बाद फसल के नुकसान का सर्वे हो गया, रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई, बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नहीं मिला, क्योंकि राज्य की कमलनाथ और केंद्र की मोदी सरकार दोनों के बीच प्रदर्शन की नूरा-कुश्ती चल रही है.

बीजेपी-कांग्रेस में जुबानी जंग तेज
कमलनाथ सरकार के तमाम मंत्री केंद्र पर मुआवजा राशि रिलीज नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं मोदी के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते किसानों की स्थिति के लिए कमलनाथ सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. फग्गन सिंह कुलस्ते का आरोप है कि कांग्रेस सरकार की किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं है.

किसानों को मुआवजे का इंतजार

मंडला जिले में इस बार औसत से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई थी, जिसने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. अब किसानों को सिर्फ इस बात का इंतजार है कि सियासत का खेल छोड़कर केंद्र और राज्य सरकार कब उनके जख्म पर मुआवजे का मरहम लगाएगी.

Intro:मण्डला जिले के 644 किसान फसल की नुकसानी के बाद राहत राशि के लिए सरकार का मुँह ताक रहे हैं वहीं जनप्रतिनिधियों को इस पर शियासत करने का जैसे मौका मिल गया हैं प्रदेश के सत्ताधारी दल के विधायक केंद्र को राहत राशि न देने के लिए दोषी ठहरा रहे तो मोदी के मंत्री कमलनाथ सरकार पर उदासीनता का आरोप लगा रहा वहीं अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार के पास सभी किसानों का सर्वे कर भेज दिया गया है राहत राशि का भुगतान उसे ही करना है।


Body:मण्डला जिले में अतिवृष्टि हो जाने से 644 किसानों की 25 से 50 प्रतिशत तक धान,मक्का, उड़द,सोयाबीन जैसी फसल खराब हो गयी जिसका कुल रकवा 220 हेक्टेयर है जिसका सर्वे स्थानीय स्तर के साथ ही केंद्रीय सर्वेक्षण दल ने भी किया और नुकसान का आंकलन किया गया जिसके बाद भू अभिलेख कार्यालय के द्वारा 37 लाख 76177 रुपए राहत राशि के लिए रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को भेज दी गयी लेकिन इसका मुआवजा अभी तक नहीं आया है और राजनैतिक दल इस पर शियासत कर रहे हैं,कमलनाथ सरकार के विधायक जहाँ केंद्र सरकार पर आपदा राहत कोष से किसानों के लिए पैसा न भेजने की बात कह रहे हैं वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते का कहना है कि कमलनाथ की सरकार उदासीन है और आज तक सरकार का कोई भी नुमाइंदा किसानों की नुकसानी का जायज़ा लेने खेत तक पहुंचा ही नहीं न ही उन्होनें समय पर हर्जाना देना जरूरी समझा और आज हालात ये हैं कि किसानों के पास अगली फसल बोआई का इंतजाम भी नहीं है


Conclusion:मण्डला जिले में औषत वर्षा 1340 mm होती है लेकिन इस मानसून में औसत से 20 % 1648 mm बारिश हुई इस अतिवृष्टि के कारण पानी मे डूबने से जिले के किसानों की खड़ी फसल पानी में डूब गई या बाढ़ में बह गई जिसके नुकसान के मुआवजे की राह किसान तक रहे हैं लेकिन केन्द्र की हो या राज्य की सरकार के प्रतिनिधि धरने प्रदर्शन कर अपने को किसानों का हिमायती दिखाने की कवायद में ज्यादा हैं न कि इन्हें मुआवजा दिलाने की ऐसे में अन्नदाता को समझ नहीं आ रहा कि आखिर कहाँ से आए अगली फसल बोआई के लिए पैसा ??

बाईट--राकेश खम्परिया,प्रभारी भू अभिलेख अधिकारी,
बाईट--डॉ अशोक मर्सकोले, विधायक निवास विधानसभा क्षेत्र
बाईट--फग्गनसिंह कुलस्ते,केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री
बाईट--किसान
पीटूसी--मयंक तिवारी मण्डला
Last Updated : Nov 12, 2019, 12:02 AM IST
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