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केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने तैयार किया प्लान, जल्द गौंड राजाओं की राजधानी में होगा सैलानियों का आगाज - मंडला बनेगा टूरिस्ट प्लेस

आदिवासी जिला मंडला में टूरिज्म को बढ़ावा देने और गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर से लोगों को रूबरू कराने के लिए इसे विकसित किया जाएगा. इस ऐतिहासिक जगह को एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक प्लान तैयार किया है. जानें क्या है प्लान...

Ramnagar fort
गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर
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Published : Sep 8, 2020, 3:48 PM IST

मंडला। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में बसी गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर को विकसित करने के लिए विचार किया जा रहा है. गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर में मौजूद मोती महल, दलबादल महल, रायभगत की कोठी और वहां बावलियों के साथ ही काला पहाड़, यहां आने वाले हर एक शख्स को खासा आकर्षित करता है. ऐसे में इस ऐतिहासिक जगह को एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते ने एक प्लान तैयार किया है, जो कि उस कंपनी से बनवाने के लिए चर्चा की जा रही है, जिस कंपनी ने नए रायपुर सहित राजधानी को डेवलप किया है.

गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर

मंडला बनेगा टूरिस्ट प्लेस

जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर राम नगर के महलों और ऐतिहासिक इमारतों को बिना कुछ परिवर्तन या नुकसान पहुंचाए यहां आदिवासी संस्कृति, टूरिज्म, पंचायती विकास की मदद से ऐसा विकसित किया जाएगा कि अगर कोई भी टूरिस्ट यहां आता है तो वह आराम से 6 से 7 घंटे यहां रुक सके. साथ ही उसे सारी सुविधाएं भी मिले. इसके अलावा ऐसा प्लान तैयार किया जा रहा है जिससे सप्ताह के 6 दिन यहां शैलानियों का आनाजाना रहे. ऐसे में जिले को न सिर्फ पर्यटन क्षेत्र पहचान मिलेगी साथ ही राजस्व की भी प्राप्ति होगी.

कई विभागों से ली जाएगी मदद
सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ने बताया कि रामनगर को विकसित करने के लिए करीब 25 से 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार के साथ ही ट्यूरिज्म विभाग, आदिवासी-संस्कृति विभाग और पंचायतीराज विभाग से मदद ली जाएगी. इस तरह से आसानी से इसको विकसित किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें- अनलॉक की प्रक्रिया के साथ बढ़ी अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, चपेट में आ रहे युवा

उभरेगा मंडला का नया मानचित्र
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि रामनगर गौंड राजाओं की राजधानी के साथ ही चौगान आदिवासियों का तीर्थ भी है. यहां आदिवासी संस्कृति की झलक कण-कण में मौजूद है और लोगों को यह आकर्षित भी करती है, लेकिन पर्यटन के हिसाब से इसका विकास नहीं होने के कारण लोग यहां बहुत कम आते हैं. ऐसे में अगर पूरा प्लान आकार लेता है तो गौंड राजाओं की विरासत, उनका ऐतिहासिक महत्व और उनकी कलाओं के साथ ही समृद्धशाली राज्य को समझने का हर किसी को मौका मिलेगा. इसके साथ ही मंडला पर्यटन के मानचित्र में नया क्षेत्र बन कर उभरेगा.

मंडला। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में बसी गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर को विकसित करने के लिए विचार किया जा रहा है. गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर में मौजूद मोती महल, दलबादल महल, रायभगत की कोठी और वहां बावलियों के साथ ही काला पहाड़, यहां आने वाले हर एक शख्स को खासा आकर्षित करता है. ऐसे में इस ऐतिहासिक जगह को एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते ने एक प्लान तैयार किया है, जो कि उस कंपनी से बनवाने के लिए चर्चा की जा रही है, जिस कंपनी ने नए रायपुर सहित राजधानी को डेवलप किया है.

गौंड राजाओं की राजधानी रामनगर

मंडला बनेगा टूरिस्ट प्लेस

जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर राम नगर के महलों और ऐतिहासिक इमारतों को बिना कुछ परिवर्तन या नुकसान पहुंचाए यहां आदिवासी संस्कृति, टूरिज्म, पंचायती विकास की मदद से ऐसा विकसित किया जाएगा कि अगर कोई भी टूरिस्ट यहां आता है तो वह आराम से 6 से 7 घंटे यहां रुक सके. साथ ही उसे सारी सुविधाएं भी मिले. इसके अलावा ऐसा प्लान तैयार किया जा रहा है जिससे सप्ताह के 6 दिन यहां शैलानियों का आनाजाना रहे. ऐसे में जिले को न सिर्फ पर्यटन क्षेत्र पहचान मिलेगी साथ ही राजस्व की भी प्राप्ति होगी.

कई विभागों से ली जाएगी मदद
सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ने बताया कि रामनगर को विकसित करने के लिए करीब 25 से 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार के साथ ही ट्यूरिज्म विभाग, आदिवासी-संस्कृति विभाग और पंचायतीराज विभाग से मदद ली जाएगी. इस तरह से आसानी से इसको विकसित किया जा सकेगा.

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उभरेगा मंडला का नया मानचित्र
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि रामनगर गौंड राजाओं की राजधानी के साथ ही चौगान आदिवासियों का तीर्थ भी है. यहां आदिवासी संस्कृति की झलक कण-कण में मौजूद है और लोगों को यह आकर्षित भी करती है, लेकिन पर्यटन के हिसाब से इसका विकास नहीं होने के कारण लोग यहां बहुत कम आते हैं. ऐसे में अगर पूरा प्लान आकार लेता है तो गौंड राजाओं की विरासत, उनका ऐतिहासिक महत्व और उनकी कलाओं के साथ ही समृद्धशाली राज्य को समझने का हर किसी को मौका मिलेगा. इसके साथ ही मंडला पर्यटन के मानचित्र में नया क्षेत्र बन कर उभरेगा.

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