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यहां सुअर की मूर्ति पूरी करती है मन्नतें, पत्थरों का चढ़ता है प्रसाद

मंडला जिले के धनोरा गांव में लोग सुअर की पूजा करते है. यहां के बाशिदें इस मूर्ति को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं.

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Published : Mar 21, 2019, 6:51 AM IST

सुअर की मूर्ति

मण्डला। घने जंगल के बीचों-बीच बनी सुअर की इस मूर्ति को मण्डला जिले के धनोरा गांव के लोग आस्था का प्रतीक मानते हैं. यहां के बाशिदें इस मूर्ति को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान पत्थर के वराह की इस मूर्ति के सामने मन्नत मांगने भर से हो जाता है.

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इस मूर्ति के बारे में लोककथा प्रचलित है कि इस जंगल में एक शेर रहता था, जिसका पूरे क्षेत्र में आतंक था. मान्यता है कि यहां बैठे सुअर और शेर के बीच भयानक लड़ाई हुई थी, जिसमें शेर ऐसा भागा कि दोबारा लौटकर नहीं आया. वहीं लड़ाई में घायल हुआ सुअर आराम करने के लिए इस जगह बैठा तो उठ नहीं पाया और धीरे-धीरे पत्थर का हो गया. स्थानीय लोग मानते हैं कि इस सुअर ने उस वक्त शेर से मुक्ति दिलाई थी, तभी से इस मूर्ती की पूजा होती आ रही है.

सुअर के इस अनोखे मंदिर में प्रसाद भी अनोखा ही चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि मन्नत पूरी होने के बाद नारियल के साथ देशी शराब, बीड़ी, लकड़ी और पत्थर चढ़ाये जाते हैं. सुअर की मूर्ति से मन्नतें पूरी होने वाली बात अंधविश्वास से ज्यादा कुछ भी नहीं लगती, लेकिन आस्था अक्सर विश्वास की हदों को पार कर अंधविश्वास के मोड़ पर जाकर ही ठहरती है.

मण्डला। घने जंगल के बीचों-बीच बनी सुअर की इस मूर्ति को मण्डला जिले के धनोरा गांव के लोग आस्था का प्रतीक मानते हैं. यहां के बाशिदें इस मूर्ति को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान पत्थर के वराह की इस मूर्ति के सामने मन्नत मांगने भर से हो जाता है.

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इस मूर्ति के बारे में लोककथा प्रचलित है कि इस जंगल में एक शेर रहता था, जिसका पूरे क्षेत्र में आतंक था. मान्यता है कि यहां बैठे सुअर और शेर के बीच भयानक लड़ाई हुई थी, जिसमें शेर ऐसा भागा कि दोबारा लौटकर नहीं आया. वहीं लड़ाई में घायल हुआ सुअर आराम करने के लिए इस जगह बैठा तो उठ नहीं पाया और धीरे-धीरे पत्थर का हो गया. स्थानीय लोग मानते हैं कि इस सुअर ने उस वक्त शेर से मुक्ति दिलाई थी, तभी से इस मूर्ती की पूजा होती आ रही है.

सुअर के इस अनोखे मंदिर में प्रसाद भी अनोखा ही चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि मन्नत पूरी होने के बाद नारियल के साथ देशी शराब, बीड़ी, लकड़ी और पत्थर चढ़ाये जाते हैं. सुअर की मूर्ति से मन्नतें पूरी होने वाली बात अंधविश्वास से ज्यादा कुछ भी नहीं लगती, लेकिन आस्था अक्सर विश्वास की हदों को पार कर अंधविश्वास के मोड़ पर जाकर ही ठहरती है.

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यहां सुअर की मूर्ति पूरी करती है मन्नतें, पत्थरों का चढ़ता है प्रसाद



मण्डला। घने जंगल के बीचों-बीच बनी सुअर की इस मूर्ति को मण्डला जिले के धनोरा गांव के लोग आस्था का प्रतीक मानते हैं. यहां के बाशिदें इस मूर्ति को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान पत्थर के वराह की इस मूर्ति के सामने मन्नत मांगने भर से हो जाता है.

 



इस मूर्ति के बारे में लोककथा प्रचलित है कि इस जंगल में एक शेर रहता था, जिसका पूरे क्षेत्र में आतंक था. मान्यता है कि यहां बैठे सुअर और शेर के बीच भयानक लड़ाई हुई थी, जिसमें शेर ऐसा भागा कि दोबारा लौटकर नहीं आया. वहीं लड़ाई में घायल हुआ सुअर आराम करने के लिए इस जगह बैठा तो उठ नहीं पाया और धीरे-धीरे पत्थर का हो गया. स्थानीय लोग मानते हैं कि इस सुअर ने उस वक्त शेर से मुक्ति दिलाई थी, तभी से इस मूर्ती की पूजा होती आ रही है.



सुअर के इस अनोखे मंदिर में प्रसाद भी अनोखा ही चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि मन्नत पूरी होने के बाद नारियल के साथ देशी शराब, बीड़ी, लकड़ी और पत्थर चढ़ाये जाते हैं. सुअर की मूर्ति से मन्नतें पूरी होने वाली बात अंधविश्वास से ज्यादा कुछ भी नहीं लगती, लेकिन आस्था अक्सर विश्वास की हदों को पार कर अंधविश्वास के मोड़ पर जाकर ही ठहरती है. मयंक तिवारी, ईटीवी भारत, मंडला


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