मंडला। कोरोना महामारी के बीच ईद-ए-मिलादुन्नबी बड़े ही एहतियात से देश और दुनिया में मनाई जा रही है. मंडला जिले में भी हर साल की तरह इस साल पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर रौनक फीकी रही. लेकिन लोगों ने अपने स्तर पर इस त्यौहार की तैयारियां की और खुशियों का इजहार किया.
पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर खास इंतजाम किए जाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग जलसा का आयोजन करते हैं और घरों को सजाते हैं. कुरान की तिलावत और इबादत भी की जाती है. इस दिन गरीबों को दान पुण्य भी दिए जाते हैं. हालांकि इस साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से कार्यक्रम को धूम-धाम से करने की इजाजत नहीं है, लेकिन घरों और मस्जिदों में पैगंबर मोहम्मद साहब को याद किया जा रहा है.
ईद मिलादुन्नबी इतिहास
ईद मिलादुन्नबी इस्लाम के इतिहास का सबसे अहम दिन माना जाता है. पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म इस तीसरे महीने के 12 वें दिन हुआ था. इस दिन को मनाने की शुरुआत 11 वीं सदी में हुई थी. पैगंबर मोहम्मद साहब के इस दुनिया से जाने के चार सदियों बाद इसे त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा. इस मौके पर लोग रात भर जागते हैं और मस्जिदों में पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा दी गई कुरान और दीन की तालीम का जिक्र किया जाता है.
इस दिन मस्जिदों में तकरीर कर पैगंबर मोहम्मद साहब के बताए गए रास्ते और उनके आदर्शों पर चलने की सलाह दी जाती है. मंडला जिले में ईद ए मिलाद उन नबी मनाया जा रहा है. हालांकि इस साल कोरोना वायरस के चलते जुलूस नहीं निकाल कर लोग घरों और मस्जिदों में पैगंबर मोहम्मद साहब की शिक्षा दे रहे हैं और खुशियां मना रहे हैं.
कोरोना महामारी ने इस साल तभी त्यौहारों और पर्वों की रंगत फीकी कर दी है. ईद मिलादुन्नबी पर भी इसका साफ असर दिखा और कम संख्या में लोग बाहर निकले. वहीं जो कार्यक्रम आयोजित किए गए, उनमें भी सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन किया गया. बता दें कि इस दिन को मुस्लिम संप्रदाय ने भी घर पर ही मनाना तय किया है. जहां रात के समय रोशनी की जाएगी. वहीं हरे परचम तमाम घरों पर लहरा कर खुशियां का इजहार किया जाएगा.