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आंगनबाड़ियों में बनाए जा रहे न्यूट्रीगार्डन, कुपोषण के खिलाफ जंग का नवाचार

मंडला में कुपोषण के खिलाफ जंग के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ियों में न्यूट्रीगार्डन तैयार कर रहा है, जहां फल, सब्जी और भाजी की उगा के जच्चा और बच्चा को खिलाया जाएगा.

Nutrigarden being built in Anganwadis of Mandla
आंगनवाड़ियों में बनाए जा रहे न्यूट्रीगार्डन
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Published : Oct 11, 2020, 10:38 PM IST

Updated : Oct 11, 2020, 11:07 PM IST

मण्डला। कुपोषण का कलंक दूर करने के लिए सरकारों ने विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका बजट भी किसी छोटे-मोटे देश के संपूर्ण बजट से कम नहीं. बावजूद इसके कहीं न कहीं कोई बच्चा छूट ही जाता है. ऐसे में मंडला का महिला एवं बाल विकास विभाग अब कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए न्यूट्रीगार्डन का फार्मूला अपना रहा है. इसके तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में फल, सब्जी और भाजियों की क्यारियां लगाई जा रही हैं, जिनसे निकलने वाले उत्पाद को बच्चों और उनकी माताओं खिलाया जाएगा.

आंगनवाड़ियों में बनाए जा रहे न्यूट्रीगार्डन

क्या है योजना
पोषण वाटिका हर आंगनबाड़ी केंद्र में बनाई जा रही हैं, जिनके लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जा रहा. इन पोषण वाटिकाओं के लिए रसोई घर का पानी उपयोग किया जाएगा. इन वाटिकाओं में गोभी, भिंडी, लौकी, मेथी, पालक, बरवटी, मिर्च, पपीते, केले जैसे पेड़ पौधे और भाजियां लगाई जाएंगी, जिससे कि इसका सीधा लाभ कुपोषण को दूर करने में मिल सके.

अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन
जिले की प्रत्येक आंगनबाड़ी में बनने वाली इन वाटिकाओं की शुरुआत हो चुकी है. अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन भी तैयार हो चुके है. इसमें बिछिया विकासखंड में 97, बीजाडांडी में 115, घुघरी में- 133, मंडला में 112, मवई में 158, मोहगांव में 43, नैनपुर में 162, नारायण गंज में 78 और निवास में 25 पोषण वटिकाएं अथवा न्यूट्रीगार्डन तैयार की जा चुकी हैं.

ये भी पढ़े- आदिवासी अंचल से नहीं मिट रहा कुपोषण का कलंक, मंडला में फिर सामने आया दो बच्चों का बैगी पेंट

क्यों पड़ी जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में फल और सब्जियों की उपलब्धता हर समय नहीं होती. ऐसे में सब्जियों, फलों और भाजियों से मिलने वाले पोषक तत्वों के महत्व और उनकी कमी को पूरा करने के लिए इनकी उपलब्धता भी हर बच्चे के घर तक पहुंचा कर और मध्यान भोजन में शामिल कर की जाएगी, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण कम हो और सब्जियां और फल मात्र भोजन नहीं बल्की न्यूट्रिशियन देने वाले तत्व भी बन पाए.

क्या कहते हैं कुपोषण के आंकड़े ?
अगस्त 2020 में जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 0 से 5 साल के बच्चों की जांच और उनके कुपोषण निर्धारण के अलावा उनके उपचार की बात करें तो, जिलें में 0 से 5 साल तक के कुल 86 हजार 66 बच्चे हैं, इनमें से 85 हजार 466 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है. स्क्रीनिंग के बाद सामने आया कि जिले में कुल 12 हजार 556 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, इनमें से 1 हजार 73 बच्चे अतिकुपोषित हैं.

ये भी पढ़े- सहजन का पौधा दिलाएगा कुपोषण और एनीमिया से मुक्ति, औषधीय गुणों से है संपन्न

ये भी हो रहा प्रयास
जिले को कुपोषण से आजादी दिलाने के लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अब तक 458 बच्चों को गोद लिया है, जो प्रति बच्चा 300 रुपए महीने खर्च करते हैं. एक साल तक इन बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के साथ ही अन्य जरूरतों को पूरा करने में इस राशि का उपयोग किया जाता है.

मंडला जिले में कुल 2304 आंगनबाड़ी हैं, वहीं 15 प्रतिशत बच्चे कुपोषण तो 1.2 प्रतिशत अति कुपोषण के शिकार है. वहीं जिले में 2 बैगी पेंट के मामले भी सामने चुके हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग की ये पहल केवल खानापूर्ति न हुई तो निश्चित रूप से कुपोषण के खिलाफ युद्ध साबित होगी.

मण्डला। कुपोषण का कलंक दूर करने के लिए सरकारों ने विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका बजट भी किसी छोटे-मोटे देश के संपूर्ण बजट से कम नहीं. बावजूद इसके कहीं न कहीं कोई बच्चा छूट ही जाता है. ऐसे में मंडला का महिला एवं बाल विकास विभाग अब कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए न्यूट्रीगार्डन का फार्मूला अपना रहा है. इसके तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में फल, सब्जी और भाजियों की क्यारियां लगाई जा रही हैं, जिनसे निकलने वाले उत्पाद को बच्चों और उनकी माताओं खिलाया जाएगा.

आंगनवाड़ियों में बनाए जा रहे न्यूट्रीगार्डन

क्या है योजना
पोषण वाटिका हर आंगनबाड़ी केंद्र में बनाई जा रही हैं, जिनके लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जा रहा. इन पोषण वाटिकाओं के लिए रसोई घर का पानी उपयोग किया जाएगा. इन वाटिकाओं में गोभी, भिंडी, लौकी, मेथी, पालक, बरवटी, मिर्च, पपीते, केले जैसे पेड़ पौधे और भाजियां लगाई जाएंगी, जिससे कि इसका सीधा लाभ कुपोषण को दूर करने में मिल सके.

अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन
जिले की प्रत्येक आंगनबाड़ी में बनने वाली इन वाटिकाओं की शुरुआत हो चुकी है. अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन भी तैयार हो चुके है. इसमें बिछिया विकासखंड में 97, बीजाडांडी में 115, घुघरी में- 133, मंडला में 112, मवई में 158, मोहगांव में 43, नैनपुर में 162, नारायण गंज में 78 और निवास में 25 पोषण वटिकाएं अथवा न्यूट्रीगार्डन तैयार की जा चुकी हैं.

ये भी पढ़े- आदिवासी अंचल से नहीं मिट रहा कुपोषण का कलंक, मंडला में फिर सामने आया दो बच्चों का बैगी पेंट

क्यों पड़ी जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में फल और सब्जियों की उपलब्धता हर समय नहीं होती. ऐसे में सब्जियों, फलों और भाजियों से मिलने वाले पोषक तत्वों के महत्व और उनकी कमी को पूरा करने के लिए इनकी उपलब्धता भी हर बच्चे के घर तक पहुंचा कर और मध्यान भोजन में शामिल कर की जाएगी, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण कम हो और सब्जियां और फल मात्र भोजन नहीं बल्की न्यूट्रिशियन देने वाले तत्व भी बन पाए.

क्या कहते हैं कुपोषण के आंकड़े ?
अगस्त 2020 में जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 0 से 5 साल के बच्चों की जांच और उनके कुपोषण निर्धारण के अलावा उनके उपचार की बात करें तो, जिलें में 0 से 5 साल तक के कुल 86 हजार 66 बच्चे हैं, इनमें से 85 हजार 466 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है. स्क्रीनिंग के बाद सामने आया कि जिले में कुल 12 हजार 556 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, इनमें से 1 हजार 73 बच्चे अतिकुपोषित हैं.

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ये भी हो रहा प्रयास
जिले को कुपोषण से आजादी दिलाने के लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अब तक 458 बच्चों को गोद लिया है, जो प्रति बच्चा 300 रुपए महीने खर्च करते हैं. एक साल तक इन बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के साथ ही अन्य जरूरतों को पूरा करने में इस राशि का उपयोग किया जाता है.

मंडला जिले में कुल 2304 आंगनबाड़ी हैं, वहीं 15 प्रतिशत बच्चे कुपोषण तो 1.2 प्रतिशत अति कुपोषण के शिकार है. वहीं जिले में 2 बैगी पेंट के मामले भी सामने चुके हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग की ये पहल केवल खानापूर्ति न हुई तो निश्चित रूप से कुपोषण के खिलाफ युद्ध साबित होगी.

Last Updated : Oct 11, 2020, 11:07 PM IST
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