मंडला। जिले के ग्रामीण इलाकों में कई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, तो वहीं सरकार केवल दावे करने में ही व्यस्त है. यहां तक कि पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को इलाज कराने की जगह तक नहीं मिल रही है. वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चों की हालत और खराब हो जाती है.
जिले में शून्य से 5 साल के कुल 85 हजार 456 कुपोषित बच्चे सर्वे के हिसाब से दर्ज हैं. इनमें से 250 बच्चों को छोड़कर सभी का वजन महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कराया गया. इस दौरान कम वजन या कुपोषित 14 हजार 446 बच्चे सामने आए. इसके अलावा ऐसे बच्चों के भी आंकड़े हैं, जो विभाग की योजनाओं पर सवाल खड़े करने वाले हैं. जिले में कुपोषित बच्चों के अलावा 1,290 ऐसे बच्चे हैं, जो अति कुपोषित की श्रेणी में आते हैं.
इस आंकड़े को देखा जाए, तो जिले में 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, वहीं 2 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित हैं. वहीं सभी पोषण पुनर्वास केन्द्रों में एक साथ कुल 120 बच्चों को ही भर्ती कराया जा सकता है, जबकि केन्द्रों में क्षमता के मुकाबले 425 बच्चों को भर्ती कराया गया है.
वहीं इसे लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र मण्डला की रश्मि वर्मा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी इसकी मुख्य वजह है. वहीं महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि हर बच्चे पर नजर रखी जाती है और कुपोषण के शिकार बच्चों का फॉलोअप भी लिया जाता है.
बीते तीन माह में कुपोषण के मामलेः-
अप्रैल-108
मई-146
जून-171