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किसानों से महज 26 क्विंटल धान खरीदेंगी सरकार, अन्नदाता ने कहा-बिचौलियों को होगा फायदा

प्रदेश सरकार ने इस साल किसानों की 26 क्विंटल धान ही सरकारी दामों पर लेने की बात कही है. जिससे मंडला जिले के किसान नाराज है उनका कहना है कि पिछले साल 42 क्विंटल धान सरकार खरीद रही थी. लेकिन इस बार केवल 26 क्विंटल धान ही खरीदी जा रही है इससे बिचौलियों को फायदा होगा.

मंडला किसानों का ज्ञापन
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Published : Sep 24, 2019, 6:33 PM IST

मंडला। सरकार के नए निर्देश के चलते किसान अपनी धान की फसल का प्रति हेक्टेयर का 26 क्विंटल हिस्सा ही सरकारी कीमत पर उपज मंडी में बेच पाएंगे. जबकि बीते साल सरकार किसानों से प्रति हेक्टेयर 42 क्विंटल धान की खरीद समर्थन मूल्य पर करती थी. सरकार के इस निर्णय पर जिले के किसानों ने नाराजगी जाहिर की है.

मंडला किसानों का ज्ञापन

किसानों का कहना है सरकार बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिए धान खरीदी में प्रति हेक्टेयर कमी कर रही है, जिसमें किसानों को अपनी धान की फसल दलालों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. किसानों के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री हो या फिर पानी का लिया जाने वाला टेक्स, सभी में भूमि को सिंचित दर्शाया माना जाता है, जबकि नई सूचना के बाद जिले की सभी कृषि भूमि को असिंचित घोषित किया जा चुका है.

किसानों ने इस पूरे मामले में जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर को ज्ञापना सौंपा है. किसानों ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि किसानों की दुगनी फसल ली जाएगी. वहीं दूसरी तरफ खरीदी की मात्रा में कमी कर किसानों के हित को अनदेखा किए जा रही है.

किसानों का कहना है कि नहर के साथ ही खेतों में ट्यूबवेल और कुंए भी है लेकिन उनकी भूमि को असिंचित कहा जाना किसानों के साथ अन्याय है. इसी तरह प्रति हेक्टेयर 42 क्विंटल के स्थान पर 26 क्विंटल धान ही किसानों से सरकार लेगी, बाकी की धान बिचौलियों या दलालों के उनसे मनमर्जी के दाम पर खरीदी जाएगी. जिससे किसानों को नुकसान होगा और दलालों को फायदा.

मंडला। सरकार के नए निर्देश के चलते किसान अपनी धान की फसल का प्रति हेक्टेयर का 26 क्विंटल हिस्सा ही सरकारी कीमत पर उपज मंडी में बेच पाएंगे. जबकि बीते साल सरकार किसानों से प्रति हेक्टेयर 42 क्विंटल धान की खरीद समर्थन मूल्य पर करती थी. सरकार के इस निर्णय पर जिले के किसानों ने नाराजगी जाहिर की है.

मंडला किसानों का ज्ञापन

किसानों का कहना है सरकार बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिए धान खरीदी में प्रति हेक्टेयर कमी कर रही है, जिसमें किसानों को अपनी धान की फसल दलालों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. किसानों के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री हो या फिर पानी का लिया जाने वाला टेक्स, सभी में भूमि को सिंचित दर्शाया माना जाता है, जबकि नई सूचना के बाद जिले की सभी कृषि भूमि को असिंचित घोषित किया जा चुका है.

किसानों ने इस पूरे मामले में जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर को ज्ञापना सौंपा है. किसानों ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि किसानों की दुगनी फसल ली जाएगी. वहीं दूसरी तरफ खरीदी की मात्रा में कमी कर किसानों के हित को अनदेखा किए जा रही है.

किसानों का कहना है कि नहर के साथ ही खेतों में ट्यूबवेल और कुंए भी है लेकिन उनकी भूमि को असिंचित कहा जाना किसानों के साथ अन्याय है. इसी तरह प्रति हेक्टेयर 42 क्विंटल के स्थान पर 26 क्विंटल धान ही किसानों से सरकार लेगी, बाकी की धान बिचौलियों या दलालों के उनसे मनमर्जी के दाम पर खरीदी जाएगी. जिससे किसानों को नुकसान होगा और दलालों को फायदा.

Intro:मण्डला जिले के किसानों का कहना है कि सरकार बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिए धान खरीदी में प्रति हेक्टेयर कमी कर रही है जिसमें किसानों को अपनी धान की फसल दलालों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा,


Body:नए निर्देशों के अनुसार किसान अपनी धान की फसल का प्रति हेक्टेयर 26 किविंटल ही सरकारी कीमत पर उपज मंडी में बेच पाएंगे जबकि बीते साल सरकार किसानों से प्रति हेक्टेयर 42 किविंटल धान की खरीद समर्थन मूल्य पर करती थी,वहीं किसानों के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री हो या फिर पानी का लिया जाने वाला टेक्स सभी मे उनकी भूमि को सिंचित दर्शाया या माना जाता है जबकि नई सूचना के बाद जिले की सभी कृषि भूमि को असिंचित घोषित किया जा चुका है किसानों का कहना है कि नहर के साथ ही खेतों में ट्यूबवेल और कुँए भी है लेकिन उनकी भूमि को असिंचित कहा जाना किसानों के साथ अन्याय है इसी तरह प्रति हेक्टेयर 42 किविंटल के स्थान पर 26 किविंटल धान ही किसानो से सरकार लेगी बाकी की धान बिचौलियों या दलालों के द्वारा उनसे औने पौने दाम पर खरीदी जाएगी जिससे किसानों को नुकसान होगा और दलालों को फायदा,जनसुनवाई में ज्ञापन सौंपने आए किसानों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि किसानों की दुगनी फसल ली जाएगी वहीं दूसरी तरफ खरीदी की मात्रा में कमी कर किसानों के हित की अनदेखी की जा रही है


Conclusion:किसानों का कहना है कि सरकार ने कर्ज माफी से लेकर किसानों के हित मे जो भी वादे किए थे वे पूरे नहीं हो रहे और किसानों की समस्याएं लगतार बढ़ती जा रही हैं

बाईट--मनहरण पटेल,किसान
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