मंडला। एक तरफ लोग जहां कोरोना के कहर से परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ मवेशियों में लम्पी स्किन डिजीज नामक बीमारी तेजी से फेल रही है. ये एक वायरल बीमारी है जिसमें मवेशियों के शरीर पर गांठे बन जाती है और इनमें पस पड़ने लगता है. जिससे पशुओं की मौत तक हो जाती है. मंडला जिले के ग्रामीण अंचलों में मवेशी तेजी से इस बीमारी की जद में आ रहे हैं. जबकि ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई पशुचिकित्सक इन्हें देखने नहीं आया है. जिससे वो अपने आप ही घरेलू उपचार कर रहे हैं.
कहां से आई बीमारी
गाय बैल और उनके बच्चों में सबसे पहले इस बीमारी को अगस्त माह में देखे गये. जिसके पहले लक्षण के तौर पर मवेशियों के शरीर में गांठें बनी और पशुमालिकों ने सोचा कि मक्खी या मच्छर के कांटने से यह गांठें बन रही हैं. लेकिन जब ये गांठ और बढ़ीं तो इनमें पस पड़ने लगा, साथ ही बड़े-बड़े घाव बनना शुरू हुआ. बाद में पता चला कि यह बीमारी भी विदेश से आयी है. जो पशुओं में हो रही है. सबसे पहले उड़ीसा फिर छात्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश के अनूपुर, शहडोल, मंडला में मवेशी इस बीमारी की जद में आ रहे हैं.
बीमारी की पहचान
इस बीमारी के आक्रमण में सबसे पहले मवेशी के शरीर में गांठ बनती हैं, फिर जख्म बड़े होते जाते है जिसके बाद उस जख्म का इलाज न किया जाए तो उसमें कीड़े लग जाते हैं, जो गाय बैल को कमजोर कर देते हैं. इसलिए जरूरी है कि बीमार होते ही पशुओं का उपचार किया जाए ताकि बीमारी न फैले. वहीं साफ सफाई के साथ ही बीमार मवेशी को दूसरे जानवरों से अलग रखना चाहिए क्योंकि यह एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलने वाला रोग है.
पशुमालिकों को नुकसान
बीमारी का पहला लक्षण है पशु को बुखार आना. जिसके बाद से ही उपचार की शुरुआत कर देनी चाहिए, क्योंकि ये रोग भारत में पहली बार देखा गया है और इसका कोई उपचार नहीं है. इस बीमारी में पशु धीरे-धीरे चारा खाना बंद कर देता है जिससे उसके दूध पर फर्क पड़ता है. ज्यादा बीमारी बढ़ने और जख्म होने के चलते बीमार पशु की मौत भी हो सकती है, हालांकि 20 अगस्त से यह बीमारी पहली बार दिखाई दी थी, तब से अब तक लगभग 500 मवेशियों के उपचार मंडला पशुचिकित्सालय में हो चुका और वे सभी ठीक भी हो चुके हैं.
क्या रखें सावधनियां
पशु चिकित्सा विभाग के द्वारा इस बीमारी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप भी लगाए जा रहे हैं. साथ ही सलाह दी जा रही कि किसी भी तरह की बीमारी का लक्षण दिखाई देते ही पशु का उपचार कराया जाए, गांठों को बढ़ने के बाद बने जख्म को साफ करना और उनमें बार बार दवाई लगाना जरूरी है, मवेशियों में गंदगी बिल्कुल न हो वहीं फिनाइल आदी के प्रयोग से मच्छर मक्खी को भी न होने दिया जाए. पशु चिकित्सा विभाग इस बात का खास ख्याल रख रहा है कि बीमारी ज्यादा न फैले और कान्हा नैशनल पार्क के करीबी गांव में इस बात का ज्यादा ध्यान दिया जा रहा क्योंकि यह बीमारी यदी नैशनल पार्क के गौवंशीय पशुओं तक पहुंची तो हालात पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा