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21 दिन बाद कुपोषण से उभरा कृष्णा, ईटीवी भारत ने दिखाई थी खबर

मण्डला जिले में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जहां दो साल का कृष्णा कुपोषण के 'बैगी पेंट' स्टेज में था. जिसे उपचार के लिए एनआरसी केंद्र लाया गया, जहां उसका पूरा उपचार किया गया है.

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Published : Feb 7, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 11:25 PM IST

Krishna emerges from malnutrition after 21 days
21 दिन बाद कुपोषण से उभरा कृष्णा

मण्डला। जिले में एक फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जिसमें कुछ दिन पहले मलहारी गांव में रहने वाले दो साल के कृष्णा का अतिकुपोषण के चलते 'बैगी पेंट' जैसी हालत हो गयी थी. जिसे ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद बच्चे का एनआरसी केंद्र में पूरा उपचार किया गया और पौष्टिक डाइट भी दी गयी. अब बच्चे की स्थित ठीक है.

21 दिन बाद कुपोषण से उभरा कृष्णा

बता दें मण्डला जिले के निवास विकास खंड से एक दो साल के बच्चे का कुपोषण के बैगी पेंट स्टेज का मामला सामने आया था. जिसके लिए उसके माता-पिता ही जिम्मेदार थे, वो बच्चे का इलाज चिकित्सकों की जगह झाड़ फूंक से करा रहे थे. वहीं दूसरा जिम्मेदार महिला एवं बाल विकास था, जो जागरुकता का दावा करते है.

21 दिन पहले इस बच्चे को मण्डला के एनआरसी में लाया गया. जब दो साल के लिहाज से कृष्णा का वजन 14 किलो होना चाहिए था, लेकिन वो मात्र 6 किलोग्राम था. वहीं प्रोटीन भी इसके शरीर में नहीं थी, जिसके चलते बच्चे की हालत ऐसी हो गई थी. दो साल का कृष्णा पहले ना तो अपने से पलट सकता था और ना ही खेल पाता था. अब इसी कृष्णा के चेहरे पर मुस्कान है. अब कृष्णा बॉल भी खेलने लगा है और बैठने के साथ ही एक्टिव भी हो गया है. एनआरसी केंद्र में बच्चे का पूरा इलाज किया गया है. जहां बच्चे को पौष्टिक डाइट भी मिली है.

ये खबर उन लोगों के लिए जरूरी है जो सरकारी योजनाओं और चिकित्सा सुविधाओं की जगह अंधविश्वास और झाड़फूंक में विश्वास करते है. जिसके कारण हालत ऐसी हो जाती है कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें- अंधविश्वास से बिगड़ी 'कृष्णा' की हालत, कुपोषण की गंभीर स्टेज तक पहुंचा मासूम

मण्डला। जिले में एक फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. जिसमें कुछ दिन पहले मलहारी गांव में रहने वाले दो साल के कृष्णा का अतिकुपोषण के चलते 'बैगी पेंट' जैसी हालत हो गयी थी. जिसे ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद बच्चे का एनआरसी केंद्र में पूरा उपचार किया गया और पौष्टिक डाइट भी दी गयी. अब बच्चे की स्थित ठीक है.

21 दिन बाद कुपोषण से उभरा कृष्णा

बता दें मण्डला जिले के निवास विकास खंड से एक दो साल के बच्चे का कुपोषण के बैगी पेंट स्टेज का मामला सामने आया था. जिसके लिए उसके माता-पिता ही जिम्मेदार थे, वो बच्चे का इलाज चिकित्सकों की जगह झाड़ फूंक से करा रहे थे. वहीं दूसरा जिम्मेदार महिला एवं बाल विकास था, जो जागरुकता का दावा करते है.

21 दिन पहले इस बच्चे को मण्डला के एनआरसी में लाया गया. जब दो साल के लिहाज से कृष्णा का वजन 14 किलो होना चाहिए था, लेकिन वो मात्र 6 किलोग्राम था. वहीं प्रोटीन भी इसके शरीर में नहीं थी, जिसके चलते बच्चे की हालत ऐसी हो गई थी. दो साल का कृष्णा पहले ना तो अपने से पलट सकता था और ना ही खेल पाता था. अब इसी कृष्णा के चेहरे पर मुस्कान है. अब कृष्णा बॉल भी खेलने लगा है और बैठने के साथ ही एक्टिव भी हो गया है. एनआरसी केंद्र में बच्चे का पूरा इलाज किया गया है. जहां बच्चे को पौष्टिक डाइट भी मिली है.

ये खबर उन लोगों के लिए जरूरी है जो सरकारी योजनाओं और चिकित्सा सुविधाओं की जगह अंधविश्वास और झाड़फूंक में विश्वास करते है. जिसके कारण हालत ऐसी हो जाती है कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें- अंधविश्वास से बिगड़ी 'कृष्णा' की हालत, कुपोषण की गंभीर स्टेज तक पहुंचा मासूम

Intro:(इस खबर को पहले उदय भटनागर जी द्वारा बनाया गया था,इस खबर से उस वक्त उनसे डिशक्सन भी हुआ था)
मण्डला
रिपोर्टर--मयंक तिवारी

मण्डला जिले के निवास विकास खण्ड में कुपोषण के बैगी पेंट स्टेज का मामला सामने आया था जिसके लिए उसके माता पिता ही जिम्मेदार थे क्योंकि वे कृष्णा का उपचार चिकित्सकों की जगह झाड़ फूँक से करा रहे थे


Body:मलहारी गाँव मे रहने वाले 2 साल के कृष्णा की अतिकुपोषण के चलते बैगी पेंट जैसी हालत हो गयी थी जो कि 4 हजार बच्चों में बीते 4 सालों के बाद दिखाई दिया था और इस कुपोषण के लिए जिम्मेदार था महिला एवं बाल विकास जो जागरूकता के दाबे तो करता है लेकिन वे दाबे तब खोखले साबित होते हैं जब बच्चे के माता पिता बच्चे के कुपोषण का ईलाज चिकित्सक की वजाय झाड़ फूँक से करवा रहे थे,बहराल 21 दिन पहले इस बच्चे को मण्डला के एनआरसी में लाया गया जब इसका बजन भी 2 साल के लिहाज से जहाँ 14 किलो होना था मात्र 6 किलोग्राम था वहीं प्रोटीन भी इसके शरीर मे नहीं था जिसके चलते बच्चे की हालत ऐसी थी कि न यह खुद से पलट सकता था न ही खेल खुद पाता था,अब इसी कृष्णा के चेहरे पर मुस्कान है यह बॉल भी खेलने लगा है और बैठने के साथ ही एक्टिव भी हो गया है और यह सब हुआ है एनआरसी केंद्र के चलते जहाँ इसका पूरा उपचार किया गया और पौष्टिक डाइट भी दी गयी


Conclusion:ये खबर उन लोगों के लिए जरूरी है जो सरकारी योजनाओं और चिकित्सा सुविधाओं की जगह अंधविश्वास और झाड़फूंक के चलते हालात ऐसे बिगाड़ लेते हैं कि उन्हें सम्हालना मुश्किल हो जाता है वहीं कहीं न कहीं सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान का राग अलापने वाले सिस्टम के लिए भी कृष्णा एक ऐसी चूक है जिससे सीख लेने की जरूरत है।क्योंकि कृष्णा की माँ ने तो कम से कम यह सीख ले ही ली है कि अब झाड़ फूँक की जगह वे चिकित्सकों पर ही भरोसा करेंगी।

ईटीवी भारत के लिए मण्डला से मयंक तिवारी की रिपोर्ट

बाईट--रश्मि वर्मा,पोषक प्रशिक्षक एनआरसी मण्डला
बाईट--कलाबाई मरावी,कृष्णा की माँ
बाईट--श्वेता तवड़े जिला कार्यक्रम अधिकारी मबदला
Last Updated : Feb 7, 2020, 11:25 PM IST
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