मंडला। किंग ऑफ कान्हा टी 17 मुन्ना बाघ की दहाड़ अब भोपाल के वन विहार में गूंजेगी. जिले के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में 13 साल से रह रहे सबसे उम्रदराज बाघ में से एक मुन्ना बाघ को शिफ्ट कर दिया गया है.
किंग ऑफ कान्हा 'मुन्ना' की दहाड़ अब गूंजेगी भोपाल के वन विहार में, स्वास्थ्य वजहों से भेजा गया
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में तेरह साल से रह रहे सबसे उम्रदराज टी 17 बाघ को सुरक्षा के लिहाज से ट्रांकुलाइज कर हेल्थ चेकअप के बाद भोपाल वन विहार भेजा गया है.
किंग ऑफ कान्हा
मंडला। किंग ऑफ कान्हा टी 17 मुन्ना बाघ की दहाड़ अब भोपाल के वन विहार में गूंजेगी. जिले के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में 13 साल से रह रहे सबसे उम्रदराज बाघ में से एक मुन्ना बाघ को शिफ्ट कर दिया गया है.
Intro:मण्डला जिले के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सबसे उम्रदराज बाघ में से एक
माथे पर कैट लिखी धारियों के लिए प्रसिद्ध टी 17 मुन्ना बाघ किंग ऑफ कान्हा की दहाड़ अब भोपाल के वन विहार में गूंजेगी। मुन्ना यहाँ लगभग तेरह साल से रह रहा था।
Body:मण्डला के कान्हा टाइगर पार्क के पश्चिम सामान्य वनमंडल बम्हनी परिक्षेत्र के राता बीट कक्ष क्रं 791 में पार्क की टीम के द्वारा कान्हा की शान मुन्ना टाइगर का निश्चेतीकरण किया जिसके बाद इस उम्रदराज बाघ को भोपाल के लिए रवाना कर दिया गया। जो पार्क प्रबन्धन के अनुसार वन्य प्राणी संरक्षण के लिए यह जरूरी हो गया था।क्योंकि कान्हा के टी 17 टाइगर की उम्र सोलह साल से अधिक हो गयी थी और बूढा हो जाने के चलते यह शिकार नहीं कर पाता और वह दाँत कमजोर और घिस जाने के कारण दूसरे जानवरों के द्वारा किये जाने वाले शिकार पर निर्भर रहता था वहीं कोर एरिया में कम उम्र के बाघों से लड़ाई के कारण वह कई बार घायल हो चुका। जानकारी के अनुसार लडऩे में असहाय होने के चलते वह पिछले दो सालों से बंजर नदी के किनारे राता, झांगुल, नारना,गिदली घुघरा के क्षेत्र में देखा जाता रहा। बूढ़ा और कमजोर हो जाने के कारण मुन्ना कान्हा टाइगर रिजर्ब के कोर जोन को छोड़ चुका था और बफर सीमा के बाहर ही रहता था।
बीते 18 अक्टूबर को पश्चिम वन मंडल के राता बीट के गांव झांगुल में 14 साल की अमृता परते को जंगली जानवर के द्वारा शिकार किया गया जिसके बाद यहाँ दो जंगली शुअर के बच्चों का भी शिकार हुआ जिसमें मुन्ना के पद चिन्ह मिले जिसके बाद मुन्ना की सुरक्षा के लिहाज से इसे यहाँ से शिफ्ट करना जरूरी हो गया था।
कान्हा में जन्मा था मुन्ना
कान्हा नेशनल पार्क में 2003 में मुन्ना का जन्म हुआ था जो काफी खूंखार था जिसने कम समय मे ही पूरे क्षेत्र में अपनी बादशाहत कायम कर ली थी देशी और विदेशी पर्यटकों के बीच यह खाशा लोकप्रिय था और इसे देखने का मतलब ही कान्हा के भृमण समझा जाता था लेकिन बीते कुछ समय से इसकी कमजोरी के चलते दूसरे बाघ ने मुन्ना को दो बार घायल कर दिया वहीं लोग भी इसे पास से देखने लगे थे।
Conclusion:मुन्ना को हाथी के महावत के साथ वन अमले ने ट्रांकुलाइज कर स्वास्थ्य परीक्षण के बाद भोपाल वन विहार भेज दिया।
माथे पर कैट लिखी धारियों के लिए प्रसिद्ध टी 17 मुन्ना बाघ किंग ऑफ कान्हा की दहाड़ अब भोपाल के वन विहार में गूंजेगी। मुन्ना यहाँ लगभग तेरह साल से रह रहा था।
Body:मण्डला के कान्हा टाइगर पार्क के पश्चिम सामान्य वनमंडल बम्हनी परिक्षेत्र के राता बीट कक्ष क्रं 791 में पार्क की टीम के द्वारा कान्हा की शान मुन्ना टाइगर का निश्चेतीकरण किया जिसके बाद इस उम्रदराज बाघ को भोपाल के लिए रवाना कर दिया गया। जो पार्क प्रबन्धन के अनुसार वन्य प्राणी संरक्षण के लिए यह जरूरी हो गया था।क्योंकि कान्हा के टी 17 टाइगर की उम्र सोलह साल से अधिक हो गयी थी और बूढा हो जाने के चलते यह शिकार नहीं कर पाता और वह दाँत कमजोर और घिस जाने के कारण दूसरे जानवरों के द्वारा किये जाने वाले शिकार पर निर्भर रहता था वहीं कोर एरिया में कम उम्र के बाघों से लड़ाई के कारण वह कई बार घायल हो चुका। जानकारी के अनुसार लडऩे में असहाय होने के चलते वह पिछले दो सालों से बंजर नदी के किनारे राता, झांगुल, नारना,गिदली घुघरा के क्षेत्र में देखा जाता रहा। बूढ़ा और कमजोर हो जाने के कारण मुन्ना कान्हा टाइगर रिजर्ब के कोर जोन को छोड़ चुका था और बफर सीमा के बाहर ही रहता था।
बीते 18 अक्टूबर को पश्चिम वन मंडल के राता बीट के गांव झांगुल में 14 साल की अमृता परते को जंगली जानवर के द्वारा शिकार किया गया जिसके बाद यहाँ दो जंगली शुअर के बच्चों का भी शिकार हुआ जिसमें मुन्ना के पद चिन्ह मिले जिसके बाद मुन्ना की सुरक्षा के लिहाज से इसे यहाँ से शिफ्ट करना जरूरी हो गया था।
कान्हा में जन्मा था मुन्ना
कान्हा नेशनल पार्क में 2003 में मुन्ना का जन्म हुआ था जो काफी खूंखार था जिसने कम समय मे ही पूरे क्षेत्र में अपनी बादशाहत कायम कर ली थी देशी और विदेशी पर्यटकों के बीच यह खाशा लोकप्रिय था और इसे देखने का मतलब ही कान्हा के भृमण समझा जाता था लेकिन बीते कुछ समय से इसकी कमजोरी के चलते दूसरे बाघ ने मुन्ना को दो बार घायल कर दिया वहीं लोग भी इसे पास से देखने लगे थे।
Conclusion:मुन्ना को हाथी के महावत के साथ वन अमले ने ट्रांकुलाइज कर स्वास्थ्य परीक्षण के बाद भोपाल वन विहार भेज दिया।
Last Updated : Oct 24, 2019, 12:47 PM IST