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प्रमाणपत्र के चक्कर में जिले को कर दिया ODF घोषित, 20 हज़ार से ज्यादा परिवार जा रहे खुले में शौच

केंद्र सरकार के सामने नंबर बढ़ाने और प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में लगभग 1 साल पहले ही मण्डला जिले को खुले में शौच मुक्त जिला यानि की ODF घोषित कर दिया गया लेकिन जिले के लगभग 20 हजार से ज्यादा परिवार आज भी खुले में शौच करते हैं.

मण्डला में शौचालयों की हालत
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Published : Jul 6, 2019, 10:06 AM IST

मण्डला। केंद्र सरकार के सामने नंबर बढ़ाने और प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में लगभग 1 साल पहले ही मण्डला जिले को खुले में शौच मुक्त जिला यानि की ODF घोषित कर दिया गया. वहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मंडला जिले के लगभग 20 हजार से ज्यादा परिवार आज भी खुले में शौच करते हैं.

20 हज़ार से ज्यादा परिवार करते हैं खुले में शौच


जिले के 20 हजार से ज्यादा शौचालय आज किसी काम के नहीं हैं. यह आंकड़े सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध है. जिले को ODF यानि की खुले में शौच मुक्त घोषित कराने और प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में बिना किसी सर्वे या सत्यापन किए ही शौचालयों के निर्माण को पूर्ण दर्शाया गया, जबकि जमीनी हकीकत इससे एकदम अलग है.

क्या कहता है सरकारी सर्वे
⦁ जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2 हजार 639 है.
⦁ इनमें से 66 हजार 699 घरों का सत्यापन किया गया.
⦁ 1 लाख 35 हजार 940 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है.
⦁ 66 हजार 699 घरों के सत्यापन में ही 20 हजार 685 शौचालय अनुपयोगी हैं.


बहुत से शौचालय में सीट गायब है, तो किसी में पानी की टंकी ही नहीं है. कहीं दरवाजे नहीं हैं तो कहीं छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं हैं कि उनका उपयोग किया जा सके. सीईओ जे समीर लकरा का कहना है कि इसमें अनियमितताएं तो हुई हैं. उन्होंने जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.

मण्डला। केंद्र सरकार के सामने नंबर बढ़ाने और प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में लगभग 1 साल पहले ही मण्डला जिले को खुले में शौच मुक्त जिला यानि की ODF घोषित कर दिया गया. वहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मंडला जिले के लगभग 20 हजार से ज्यादा परिवार आज भी खुले में शौच करते हैं.

20 हज़ार से ज्यादा परिवार करते हैं खुले में शौच


जिले के 20 हजार से ज्यादा शौचालय आज किसी काम के नहीं हैं. यह आंकड़े सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध है. जिले को ODF यानि की खुले में शौच मुक्त घोषित कराने और प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में बिना किसी सर्वे या सत्यापन किए ही शौचालयों के निर्माण को पूर्ण दर्शाया गया, जबकि जमीनी हकीकत इससे एकदम अलग है.

क्या कहता है सरकारी सर्वे
⦁ जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2 हजार 639 है.
⦁ इनमें से 66 हजार 699 घरों का सत्यापन किया गया.
⦁ 1 लाख 35 हजार 940 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है.
⦁ 66 हजार 699 घरों के सत्यापन में ही 20 हजार 685 शौचालय अनुपयोगी हैं.


बहुत से शौचालय में सीट गायब है, तो किसी में पानी की टंकी ही नहीं है. कहीं दरवाजे नहीं हैं तो कहीं छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं हैं कि उनका उपयोग किया जा सके. सीईओ जे समीर लकरा का कहना है कि इसमें अनियमितताएं तो हुई हैं. उन्होंने जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.

Intro:केंद्र सरकार के सामने नंबर बढ़ाने और प्रमाण पत्र पाने की हड़बड़ी में लगभग 1 साल पहले मण्डला जिले को खुले में शौचालय मुक्त जिला याने ओडीएफ घोषित कर दिया गया लेकिन सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मंडला जिले के लगभग 20,000 से ज्यादा परिवार आज की खुले में शौच को जाते हैं


Body:मंडला जिले के 20,हज़ार से ज्यादा शौचालय आज किसी काम के नहीं यह दावा हमारा नहीं है यह आंकड़े हैं उस सरकारी पोर्टल के जिस पर सारे प्रदेश के आंकड़े दर्ज हैं जो अभी शुरुआती हैं जब यह आंकड़े चल रहे सर्वे के बाद पूर्ण होंगे तो संख्या निश्चित ही इससे ज्यादा होगी जिले को ओडीएफ याने खुले में शौचालय मुक्त घोषित कराने और सरकारी तमगे, प्रमाण पत्र पाने की जल्दबाजी में बिना किसी सर्वे या सत्यापन किए इन्हें पूर्ण दर्शा दिया गया जबकि जमीनी हकीकत की तस्वीर एक दम अलग है--

क्या कहता है सरकारी सर्वे--
सर्वे के अनुसार अगर बात करें तो
* जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2 हज़ार 639 है,
* जिनमें से 66 हज़ार 699 घरों का सत्यापन किया गया जबकि
* 1 लाख 35 हजार 940 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है लेकिन
*66 हज़ार 699 घरों के सत्यापन में ही 20 हजार 685 शौचालय अनुपयोगी या किसी भी काम के नहीं पाए गए।

क्या हैं कमियां--
बहुत से सौचालय में सीट गायब है तो किसी ने टंकी है ही नहीं या नहीं लगाई गई,तो कहीं दरवाजे नहीं है,छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं है कि उनका उपयोग किया जा सके दूसरी तरफ यदि सौचालय पूरी तरह बन भी गये तो उनका टैंक कम्प्लीट नहीं या फिर कनेक्शन ही नही हुआ है।
कैसे होता है सत्यापन--
बता दें कि शौचालय के सत्यापन की प्रक्रिया शासन के द्वारा काफी कड़ी रखी गई है बनाए गए शौचालयों को पोर्टल में अपडेट करने के लिए हितग्राही की तस्वीर नाम के साथ पोर्टल पर अपडेट की जाती है इसके साथ ही सेटेलाइट से जियो टैगिंग होती है एक शौचालय के निर्माण की पुष्टि के लिए हितग्राही के बाद सरपंच,सचिव, रोजगार सहायक से लेकर सीओ तक के हस्ताक्षर और पुष्टि की जरूरत पड़ती है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे जिले में इतनी बड़ी संख्या में शौचालयों में गड़बड़ी कर दी गई इसके लिए कहीं न कहीं पूरा सिस्टम ही जिम्मेदार कहा जा सकता है जिसे शायद शौचालय के निर्माण का सत्यापन से ज्यादा जरूरी ओडीएफ का प्रमाण पत्र पाना जरूरी था।


Conclusion:जिले में अभी 1लाख 35 हज़ार 940 के करीब शौचालयों का सत्यापन कराया जाना शेष है अभी इससे आधे ही शौचालयों का सत्यापन हुआ है तब 20 हज़ार से ज्यादा परिवार शौचालयों का उपयोग नहीं कर पा रहे तब,जब बाकी के शौचालयों का सत्यापन कराया जाएगा तो यह संख्या 50 हज़ार से ज्यादा परिवारों की भी पहुंच सकती है,दूसरी तरफ जिला मुख्यालय हो आसपास के किसी भी गांव में चले जाइए इस ओडीएफ की धज्जियां उड़ाते महिलाएं,पुरुष,बुजुर्ग और बच्चे आपको मिल जाएंगे जो सुबह शाम लोटा या डिब्बा लिए सड़क के किनारे बैठे नजर आएंगे या तो फिर खेतों या झाड़ियों में सर छुपाने की जगह ढूंढते जिसका दोषी आखिर है कौन यह पता लगाना और उस पर कार्यवाही करना अधिकारियों का काम हो सकता है लेकिन उस सपने का क्या जो सरकार के द्वारा उन नागरिकों को दिखाया गया था कि देश मे कोई भी खुले में शौच के लिए मजबूर न होगा।

बाईट--जे समीर लाकरा,सीईओ जिला पंचायत मण्डला।
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