मंडला। जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. जहां वर्तमान में 50 के करीब संदिग्धों को रखा गया है, लेकिन इन लोगों के क्या हाल हैं और सरकारी दिशा निर्देशों का पालन यहां हो रहा है या नहीं, इस बात की पड़ताल जब ईटीवी भारत ने की तो कोविड केयर सेंटर में एडमिट लोगों ने सेंटर प्रभारी के सामने ही शिकायतों की झड़ी लगा दी. दूसरी तरफ जिला स्वास्थ्य अधिकारी इस विषय पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
मंडला के चाटुआमार कोविड- 19 केयर सेंटर में भर्ती लोगों को न तो गर्म पानी दिया जाता है, न ही समय पर चाय-नाश्ता मिल रहा है. जब ऐसी शिकायतें ईटीवी भारत को मिली तो चाटुआमार के इस कोविड सेंटर में जाकर इस बात की तस्दीक की तो वहां भर्ती लोगों ने प्रभारी के सामने ही शिकायत करनी शुरु कर दी.
गंदगी का है आलम
लोगों ने सेंटर प्रभारी के सामने ही कहा कि बाथरूम की सफाई का ध्यान नहीं दिया जा रहा है, शौचालय में एक डिब्बा-बाल्टी रखा गया है, जिसका उपयोग सभी को करना होता है. साथ ही चादर भी नहीं बदला जा रहा है, न सैनिटाइजर दिया जा रहा है. ऐसे में कोविड का खतरा और बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
बाहर से आ रही खाद्य सामग्री
ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में ये पाया कि स्थानीय समाजसेवी, नमकीन, बिस्किट या फिर फल यहां अपने साधन से पहुंचा रहे हैं, जिससे कहीं न कहीं ये बात तो साबित हो जाती है कि लोगों को इन चीजों की आवश्यकता पड़ रही है. यदि सब कुछ ठीक होता तो बाहर से चीजें मंगाने की जरूरत भर्ती व्यक्तियों को क्यों पड़ती.
प्रभारी से पूछे सवाल
मीडिया ने जब इन सब शिकायतों पर मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर श्रीनाथ सिंह को फोन लगाकर मिलने की बात कही तो उनका कहना था कि जिस केंद्र की शिकायत है, वहां के प्रभारी ही इस बात की जानकारी देंगे. ऐसे में ये समझ पाना मुश्किल है कि यदि लोगों को समस्याएं हो रही हैं तो उनके लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाए, दूसरी तरफ सेंटर प्रभारी का कहना है कि चाटुआमार कोविड केयर सेंटर में सब ठीक है. कहीं किसी तरह की कोई परेशानी किसी को नहीं हो रही है और तय सरकारी दिशा निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. भोजन भी पूरी तरह से मीनू के आधार पर ही दिया जा रहा है.
क्या कहते हैं क्षेत्रीय विधायक
निवास विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले का कहना है कि चाटुआमार और सागर कोविड केयर सेन्टर में आइसोलेशन में रखे गए लोगों को हो रही दिक्कतों के बारे में उन्हें जानकारी मिली है और यहां से लोगों ने वीडियो भी अपनी व्यथा के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं. जिसके लिए पूरी तरह से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जिम्मदार है.
लोगों का कहना है कि व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं है, जिम्मदारों का कहना है कि लोग आरोप लगा रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं सवाल ये उठता है कि आखिर जब सब कुछ ठीक है तो फिर इतना हो हल्ला क्यों हो रहा है. प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वहां जाकर लोगों से मिलकर उनका हाल पूछे और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देने के साथ ही उनकी उपलब्धता भी तय करें. कोरोना महामारी से लड़ने की बजाय प्रशासन पर लापरवाही के लग रहे आरोप लोगों में ये मानसिकता पैदा कर देंगे कि बीमार हो भी जाओ तो कोविड केयर सेंटर में जाने से अच्छा बीमारी ही छुपा लो, इसे जिले के लिहाज से किसी सूरत में ठीक नहीं कहा जा सकता.