मंडला। न फूल, न माला, न ही घंट-घड़ियाल की आवाज और न ही नर्मदा के घाट पर आस्था की डुबकी लगाने वालों की भीड़, सब कुछ वैसा ही जैसे लॉकडाउन के समय का नजारा होता था. मंडला जिला प्रशासन ने पुलिस और दूसरे विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर रणनीति बनाई थी कि सूर्य ग्रहण के बाद एकदम से घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ न उमड़े और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाए. ऐसे में चाक-चौबंद व्यवस्था के चलते घाटों और मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा.
ज्यादातर घाट पूरी तरह सूने दिखाई दिए, साथ ही मंदिरों में भी इस दौरान न कोई आयोजन हुआ और न ही हवन-पूजन. मंडला में करीब 2 दर्जन घाट हैं, जहां हर पर्व-त्योहार या फिर ग्रहण लगने पर आस्था की डुबकी लगाने हजारों लोग पहुंचते हैं, जिसे देखते हुए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रही, जबकि प्रशासन भी सख्त रुख अपनाए रहा.
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