मंडला। जिले के मोहगांव विकासखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान उमरिया निवासी 23 साल की महिला सेवकली मसराम की मौत हो गई थी. इस मामले को राज्यसभा सांसद ने संज्ञान में लिया और प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इसकी जांच की बात कही, जिसके बाद महिला की मौत के कारणों की जांच के लिए कलेक्टर हर्षिका सिंह द्वारा जांच दल गठित किया गया.
मोहगांव में नसबंदी शिविर के दौरान महिला की मौत की जांच अनुविभागीय दंडाधिकारी प्रथम कौशिक, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्वेता जाधव और चिकित्सक डॉ विजय धुर्वे के द्वारा की जाएगी. इसके निर्देश कलेक्टर हर्षिका सिंह के द्वारा हर तरफ से बढ़ रहे दबाव के बाद दिए. राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की थी, और महिला की मौत की जांच करने के लिए कहा था. वहीं क्षेत्रीय कांग्रेसी विधायक डॉ अशोक मर्शकोले के द्वारा भी लगातार इस मामले को स्वाथ्य विभाग की लापरवाही ठहराया जा रहा था, जिसके बाद तीन सदस्यों की टीम अब इस मौत की वजहों की जांच करेगी, और एक सप्ताह में अपना प्रतिवेदन सीईओ जिला पंचायत को प्रस्तुत करेगी.
क्या है पूरा मामला ?
विकासखंड मोहगांव में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान महिला की मौत हो गयी थी, मृतक महिला का नाम सेवकली मसराम जो विकासखंड मोहगांव की ग्राम पंचायत उमरिया की रहने वाली थी. इस महिला के पति लक्ष्मण मरकाम के अनुसार मोहगांव में महिला का ऑपरेशन रात्रि में प्रारंभ किया गया. करीब 12 बजे नसबंदी ऑपरेशन करने के दौरान महिला बेहोश हो गई, महिला बेहोश होने के बाद मोहगांव चिकित्सालय में अफरा-तफरी मच गई और मोहगांव चिकित्सालय के स्टॉफ द्वारा महिला को रात में ही जिला चिकित्सालय पहुंचाने के लिए एंबुलेंस से रवाना किया गया. मोहगांव से महिला करीब 1 बजे जिला चिकित्सालय पहुंची और जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों के द्वारा महिला का चेकअप कर उसे मृतक घोषित कर दिया गया. डॉक्टरों ने कहा की महिला की रास्ते में ही मौत हो चुकी है. फिर अगले दिन महिला का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंपा गया था.
टारगेट पूरा करने की खानापूर्ति
इस मौत के लिए सीधे तौर पर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसके द्वारा कहीं ना कहीं कोताही बरती गई और एक महिला को जान से हाथ धोना पड़ा. अब देखने वाली बात यह है कि इस मामले की सिर्फ जांच होगी, या फिर कोई कार्रवाई भी होगी. इसके पहले भी एक मामला बिछिया में सामने आया था जहां नसबंदी शिविर का टारगेट पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ की महिलाओं को लाया गया था, यह पिछले हफ्ते की ही बात है. इससे आप समझ सकते हैं, कि जिले के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी नसबंदी शिविर को लेकर कितने गंभीर हैं और महज खानापूर्ति करने के लिए इस तरह से शिविर का आयोजन कर रहे हैं, कि जहां न तो कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन हो रहा है और न ही माताओं और नवजातों की सुरक्षा का किसी तरह से कोई इंतजाम है.
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हालांकि राज्यसभा सांसद के साथ ही विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ अशोक मर्शकोले ने भी इसे संज्ञान में लिया है और जांच की बात कही, लेकिन जांच का नतीजा क्या होगा यह देखने वाली बात रहेगी. क्या शिविर और टारगेट को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्री नाथ सिंह के द्वारा बरती जा रही लापरवाही में ऊपर भी कोई कार्रवाई होगी ?
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