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अनुमति के बाद भी बसों का संचालन ठप, संचालकों ने कहा- लिखित हो मांग पूरी किए जाने का आदेश

मंडला जिले में अब तक बसों के पहिए थमे हैं, वहीं बस मालिक अपनी मांगों को लेकर लिखित आदेश की मांग कर रहे हैं. ऐसे में आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Buses parked at bus stand
बस स्टैंड पर खड़ी बसें
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Published : Sep 15, 2020, 3:13 PM IST

मंडला। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते बस सेवाएं पिछले छह महीनों से ठप हैं. प्रदेश सरकार ने गाइडलाइन के साथ बसों के संचालन की अनुमति दे दी है, इसके बाद भी अब तक मंडला जिले में बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. इस संबंध में बस संचालकों की अपनी कुछ मांगे है, जिन्हें सरकार ने केवल मौखिक रुप से माने जाने का आश्वासन दिया है, ऐसे में बस मालिकों का कहना है कि उन्हें लिखित में आश्वासन चाहिए, जिसके चलते अब तक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बसों के संचालन नहीं होने से आम लोगों को अब भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

अब भी बसों का संचालन है बंद

आम लोगों को हो रही परेशानी

मंडला जिले के नैनपुर कॉलेज में दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते है, जो इस समय फार्म भरने, एडमिशन फार्म और डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन कराने या दूसरे काम से कॉलेज आ रहे है. छात्रों का कहना है कि अगर बस चलती तो सुविधा मिल जाती, साथ ही किराया कम लगता. बीते सत्र में ये सभी बसों से आते जाते थे, जिनका बहुत कम किराए में आवागमन हो जाता था, लेकिन इस सत्र में उन्हें हर छोटे मोटे काम के लिए अपनी बाइक या फिर किसी दूसरे साधन से आना जाना पड़ रहा है. जिससे उनपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.

Buses parked at bus stand
जाम पड़े बसों के पहिए

ये भी पढ़े- ग्वालियर: चंबल उपचुनाव में कंगना रनौत की एंट्री, कांग्रेस ने किया आमंत्रित

पहले बसों का किराया जहां 10 रुपए लगता था, अब वहां से आने जाने में बाइक में 150 रुपए का पेट्रोल खर्च हो रहा है. ऐसे में उनका कहना है कि जल्द ही बसों का संचालन हो, जिससे उन्हें आने जाने में सहूलियत के साथ खर्च भी कम पड़ेगा.

student
छात्र

क्यों नहीं चल रही बसें

बस संचालकों का कहना है कि मोटर मालिक एशोसिएशन और सरकार के बीच 5 माह के टैक्स में छूट, के-फार्म में पूरी तरह से शिथिलता, किराए में बढोत्तरी और डीजल के दाम कम किए जाने के संबंध में बात चल रही थी. जिसके बाद कुछ मांगों पर मौखिक रूप से सरकार ने आश्वासन दिया था. इसके बाद उन्हें अब तक कोई लिखित आदेश नहीं मिला है. ऐसे में बसों का संचालन करना घाटे का सौदा है.

Buses parked at bus stand
बस स्टैंड पर खड़ी बसें

K-फार्म को अनलिमिटेड करने की मांग

के-फार्म को लेकर बस संचालकों की मांग है कि इसे अनलिमिटेड किया जाए, क्योंकि हर साल बसों का इंश्योरेंस कराना होता है, साथ ही छोटी बस का सालाना 35 हजार के लगभग और बड़ी बसों का 50 से 55 हजार के करीब किस्त भरनी पड़ती है. ऐसे में जिन बसों का लॉक डाउन के दौरान इंश्योरेंस खत्म हो चुका हैं, उन्हें रिन्यू करवाना जरूरी है. वहीं इस साल बस संचालकों की कमाई बिल्कुल नहीं हुई है, ऐसे में उनके पास इंश्योरेंस और किस्त भरने के लिए पैसे नहीं है.

ये भी पढ़े- बसों से जुड़े कर्मचारी हैं बेहाल, ईटीवी भारत ने जाना उनका हाल

जिन बस संचालकों के पास ज्यादा बसें है उनके ऊपर ये बड़ा बोझ होगा, अगर के-फार्म की सीमा अनलिमिटेड कर दिया जाता है तो वे फार्म भरकर अपनी बसें बिना टैक्स के खड़े कर सकते है, साथ ही कमाई के हिसाब से इंश्योरेंस करवा सकते है.

बस संचालकों की अपनी मांगें और अपनी शर्ते हैं, तो वहीं सरकार के अपने पक्ष, लेकिन बसों के ना चलने से लोगों को अब समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस पर एक बार फिर विचार जरूर किया जाना चाहिए.

मंडला। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते बस सेवाएं पिछले छह महीनों से ठप हैं. प्रदेश सरकार ने गाइडलाइन के साथ बसों के संचालन की अनुमति दे दी है, इसके बाद भी अब तक मंडला जिले में बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. इस संबंध में बस संचालकों की अपनी कुछ मांगे है, जिन्हें सरकार ने केवल मौखिक रुप से माने जाने का आश्वासन दिया है, ऐसे में बस मालिकों का कहना है कि उन्हें लिखित में आश्वासन चाहिए, जिसके चलते अब तक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बसों के संचालन नहीं होने से आम लोगों को अब भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

अब भी बसों का संचालन है बंद

आम लोगों को हो रही परेशानी

मंडला जिले के नैनपुर कॉलेज में दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते है, जो इस समय फार्म भरने, एडमिशन फार्म और डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन कराने या दूसरे काम से कॉलेज आ रहे है. छात्रों का कहना है कि अगर बस चलती तो सुविधा मिल जाती, साथ ही किराया कम लगता. बीते सत्र में ये सभी बसों से आते जाते थे, जिनका बहुत कम किराए में आवागमन हो जाता था, लेकिन इस सत्र में उन्हें हर छोटे मोटे काम के लिए अपनी बाइक या फिर किसी दूसरे साधन से आना जाना पड़ रहा है. जिससे उनपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.

Buses parked at bus stand
जाम पड़े बसों के पहिए

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पहले बसों का किराया जहां 10 रुपए लगता था, अब वहां से आने जाने में बाइक में 150 रुपए का पेट्रोल खर्च हो रहा है. ऐसे में उनका कहना है कि जल्द ही बसों का संचालन हो, जिससे उन्हें आने जाने में सहूलियत के साथ खर्च भी कम पड़ेगा.

student
छात्र

क्यों नहीं चल रही बसें

बस संचालकों का कहना है कि मोटर मालिक एशोसिएशन और सरकार के बीच 5 माह के टैक्स में छूट, के-फार्म में पूरी तरह से शिथिलता, किराए में बढोत्तरी और डीजल के दाम कम किए जाने के संबंध में बात चल रही थी. जिसके बाद कुछ मांगों पर मौखिक रूप से सरकार ने आश्वासन दिया था. इसके बाद उन्हें अब तक कोई लिखित आदेश नहीं मिला है. ऐसे में बसों का संचालन करना घाटे का सौदा है.

Buses parked at bus stand
बस स्टैंड पर खड़ी बसें

K-फार्म को अनलिमिटेड करने की मांग

के-फार्म को लेकर बस संचालकों की मांग है कि इसे अनलिमिटेड किया जाए, क्योंकि हर साल बसों का इंश्योरेंस कराना होता है, साथ ही छोटी बस का सालाना 35 हजार के लगभग और बड़ी बसों का 50 से 55 हजार के करीब किस्त भरनी पड़ती है. ऐसे में जिन बसों का लॉक डाउन के दौरान इंश्योरेंस खत्म हो चुका हैं, उन्हें रिन्यू करवाना जरूरी है. वहीं इस साल बस संचालकों की कमाई बिल्कुल नहीं हुई है, ऐसे में उनके पास इंश्योरेंस और किस्त भरने के लिए पैसे नहीं है.

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जिन बस संचालकों के पास ज्यादा बसें है उनके ऊपर ये बड़ा बोझ होगा, अगर के-फार्म की सीमा अनलिमिटेड कर दिया जाता है तो वे फार्म भरकर अपनी बसें बिना टैक्स के खड़े कर सकते है, साथ ही कमाई के हिसाब से इंश्योरेंस करवा सकते है.

बस संचालकों की अपनी मांगें और अपनी शर्ते हैं, तो वहीं सरकार के अपने पक्ष, लेकिन बसों के ना चलने से लोगों को अब समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस पर एक बार फिर विचार जरूर किया जाना चाहिए.

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