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मोगली के गांव में दिखा बघीरा, पहली बार नजर आया काला तेंदुआ - मोगली लैंड

मोगली का पात्र सिवनी जिले से जुड़ा है और यहां मोगली लैंड भी है, इन कहानियों से जुड़ा एक और खास पात्र था बघीरा जिसके दिखाई देने की बात पहले भी होती रही हैं, लेकिन इस बार बघीरा या काला तेंदुआ साफ नजर आया जो पेंच नेशनल पार्क के लिए बहुत ही खास बात है.

Pench National Park showing black leopard for the first time
मोगली के गांव में पहुंचा बघीरा
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Published : Nov 28, 2020, 10:35 PM IST

मंडला। मोगली का पात्र सिवनी जिले से जुड़ा है और यहां मोगली लैंड भी है, इन कहानियों से जुड़ा एक और खास पात्र था बघीरा जिसके दिखाई देने की बात पहले भी होती रही हैं, लेकिन इस बार बघीरा या काला तेंदुआ साफ नजर आया जो पेंच नेशनल पार्क के लिए बहुत ही खास बात है.

मोगली के गांव में पहुंचा बघीरा
बघीरा याद है न आपको, अरे वही जंगल बुक वाला, मोगली का साथी जिसे देख न केवल एक पीढ़ी का बचपन बीता बल्कि आज भी बच्चे इन किरदारों को देख बड़े हो रहे हैं, जिसका असल संबंध सिवनी जिले से है और मोगली लैंड में सैलानी उन यादों को ताजा करने जरूर आते हैं. ऐसे में पेंच नेशनल पार्क में बघीरा के होने के चर्चे बहुत बार सुनने को मिले लेकिन इस बार बघीरा मोगली के गांव में नजर भी आया और वीडियो में कैद भी हो गया.

दरअसल, जंगल बुक का एक पात्र बघीरा जो काला तेंदुआ था जो चीन, दक्षिण अफ्रीका और जावा में तो पाया जाता है. लेकिन देश के कुछ हिस्से में बहुत कम ही दिखा है. पेंच नेशनल पार्क में इसे कभी देखा नहीं गया. हालांकि इसके दिखने की बात कभी कभी जरूर सामने आती रही है, यह तेंदुए से कोई अलग प्रजाति तो नहीं है, लेकिन जैनेटिक म्यूटेशन के चलते इनका रंग काला हो जाता है, और यह घने और नमी वाले जंगलों में ही पाए जाते हैं, जो पेंच में दिखा है और इसके वीडियो भी बनाए गए. पेंच नेशनल पार्क के इसका होना इसलिए अहम है क्योंकि मोगली का बचपन इन्ही जंगलों में बीता था, जिसके सभी पात्र और साथी इसी जंगल की कल्पनाओं में आज भी जिंदा हैं.

घोस्ट ऑफ जंगल

शनिवार की शाम टाइगर सफारी के लिए गए सैलानी उस वक्त चौंक गए जब पार्क के तेलिया इलाके में उन्हें अचानक काला तेंदुआ नजर आया. आमतौर पर भारत में काला तेंदुआ आसानी से नहीं दिखता इसलिए इसे घोस्ट ऑफ जंगल कहा जाता है.

मंडला। मोगली का पात्र सिवनी जिले से जुड़ा है और यहां मोगली लैंड भी है, इन कहानियों से जुड़ा एक और खास पात्र था बघीरा जिसके दिखाई देने की बात पहले भी होती रही हैं, लेकिन इस बार बघीरा या काला तेंदुआ साफ नजर आया जो पेंच नेशनल पार्क के लिए बहुत ही खास बात है.

मोगली के गांव में पहुंचा बघीरा
बघीरा याद है न आपको, अरे वही जंगल बुक वाला, मोगली का साथी जिसे देख न केवल एक पीढ़ी का बचपन बीता बल्कि आज भी बच्चे इन किरदारों को देख बड़े हो रहे हैं, जिसका असल संबंध सिवनी जिले से है और मोगली लैंड में सैलानी उन यादों को ताजा करने जरूर आते हैं. ऐसे में पेंच नेशनल पार्क में बघीरा के होने के चर्चे बहुत बार सुनने को मिले लेकिन इस बार बघीरा मोगली के गांव में नजर भी आया और वीडियो में कैद भी हो गया.

दरअसल, जंगल बुक का एक पात्र बघीरा जो काला तेंदुआ था जो चीन, दक्षिण अफ्रीका और जावा में तो पाया जाता है. लेकिन देश के कुछ हिस्से में बहुत कम ही दिखा है. पेंच नेशनल पार्क में इसे कभी देखा नहीं गया. हालांकि इसके दिखने की बात कभी कभी जरूर सामने आती रही है, यह तेंदुए से कोई अलग प्रजाति तो नहीं है, लेकिन जैनेटिक म्यूटेशन के चलते इनका रंग काला हो जाता है, और यह घने और नमी वाले जंगलों में ही पाए जाते हैं, जो पेंच में दिखा है और इसके वीडियो भी बनाए गए. पेंच नेशनल पार्क के इसका होना इसलिए अहम है क्योंकि मोगली का बचपन इन्ही जंगलों में बीता था, जिसके सभी पात्र और साथी इसी जंगल की कल्पनाओं में आज भी जिंदा हैं.

घोस्ट ऑफ जंगल

शनिवार की शाम टाइगर सफारी के लिए गए सैलानी उस वक्त चौंक गए जब पार्क के तेलिया इलाके में उन्हें अचानक काला तेंदुआ नजर आया. आमतौर पर भारत में काला तेंदुआ आसानी से नहीं दिखता इसलिए इसे घोस्ट ऑफ जंगल कहा जाता है.

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