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गणेशजी के नामों से लकड़ी पर कलाकृति बनाते हैं पुरषोत्तम, मनवा चुके हैं अपनी कला का लोहा

मंडला के पुरषोत्तम विश्वकर्मा लकड़ी पर भगवान गणेशजी के नामों से सुंदर कलाकृति बनाते हैं, जिससे उन्हें पिछले साल सर्वश्रेष्ठ कलाकार का पुरस्कार भी मिल चुका है. पुरषोत्तम को सरकार से सहायता की दरकार है, जिससे वह अपनी कला को देश-विदेश में फैला सके.

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Published : Sep 7, 2019, 6:44 PM IST

गणेशजी के नामों से लकड़ी पर कलाकृति बनाते हैं पुरषोत्तम

मंडला। मंडला के रहने वाले पुरषोत्तम विश्वकर्मा लकड़ी पर भगवान गणेशजी की सुंदर प्रतिमा बनाते हैं. अपनी इस कला के कारण उन्होंने क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है. पुरषोत्तम की मेहनत और लगन के कारण उन्हें पिछले साल सर्वश्रेष्ठ कलाकार का पुरस्कार भी मिल चुका है. सरकार की आजीविका मिशन में यह कलाकार राज्य के बाहर भी जा चुका है. पुरषोत्तम को सरकार से सहायता की दरकार है, जिससे वह अपनी कला को देश-विदेश में फैला सके.

गणेशजी के नामों से लकड़ी पर कलाकृति बनाते हैं पुरषोत्तम

पुरषोत्तम ने अपनी शुरुआत फर्नीचर बनाने से की थी, लेकिन मन मे कुछ अलग करने भाव ने उन्हें घर के सजावटी सामान बनाने के लिए प्रेरित किया. कुछ ही दिनों में यह कलाकार ऐसी प्रतिमा बनाने लगा जो धीरे-धीरे लोगों में चर्चा का विषय बन गई. आज पुरुषोत्तम के हुनर का लोहा सभी मानते हैं.

पुरुषोत्तम गणेशजी के अलग-अलग नामों को लकड़ी पर उकेरते हैं, इसके बाद इन भगवान गणेश के इन नामों को ऐसा संजोते हैं कि नामों से ही गणेश जी का श्रंगार हो जाता है. पुरषोत्तम गणेशजी के अलावा लकड़ी पर बने अक्षरों के माध्यम से ही शंकर,दुर्गा और हनुमानजी की प्रतिमा भी बनाते है. जिसमें उनकी कल्पना और कला का अद्भुत प्रदर्शन होता है.

लगभग दो दशक से पुरषोत्तम अपनी कला के जरिये लोगों का दिल जीत रहे हैं. वहीं अब वे ज्यादातर गणेश जी की ही कलाकृतियों को अलग-अलग तरह से बनाते हैं, जो जिला पंचायत के कला दीर्घा के माध्यम से पसन्द करने वालों को उपलब्ध होती हैं.

मंडला। मंडला के रहने वाले पुरषोत्तम विश्वकर्मा लकड़ी पर भगवान गणेशजी की सुंदर प्रतिमा बनाते हैं. अपनी इस कला के कारण उन्होंने क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है. पुरषोत्तम की मेहनत और लगन के कारण उन्हें पिछले साल सर्वश्रेष्ठ कलाकार का पुरस्कार भी मिल चुका है. सरकार की आजीविका मिशन में यह कलाकार राज्य के बाहर भी जा चुका है. पुरषोत्तम को सरकार से सहायता की दरकार है, जिससे वह अपनी कला को देश-विदेश में फैला सके.

गणेशजी के नामों से लकड़ी पर कलाकृति बनाते हैं पुरषोत्तम

पुरषोत्तम ने अपनी शुरुआत फर्नीचर बनाने से की थी, लेकिन मन मे कुछ अलग करने भाव ने उन्हें घर के सजावटी सामान बनाने के लिए प्रेरित किया. कुछ ही दिनों में यह कलाकार ऐसी प्रतिमा बनाने लगा जो धीरे-धीरे लोगों में चर्चा का विषय बन गई. आज पुरुषोत्तम के हुनर का लोहा सभी मानते हैं.

पुरुषोत्तम गणेशजी के अलग-अलग नामों को लकड़ी पर उकेरते हैं, इसके बाद इन भगवान गणेश के इन नामों को ऐसा संजोते हैं कि नामों से ही गणेश जी का श्रंगार हो जाता है. पुरषोत्तम गणेशजी के अलावा लकड़ी पर बने अक्षरों के माध्यम से ही शंकर,दुर्गा और हनुमानजी की प्रतिमा भी बनाते है. जिसमें उनकी कल्पना और कला का अद्भुत प्रदर्शन होता है.

लगभग दो दशक से पुरषोत्तम अपनी कला के जरिये लोगों का दिल जीत रहे हैं. वहीं अब वे ज्यादातर गणेश जी की ही कलाकृतियों को अलग-अलग तरह से बनाते हैं, जो जिला पंचायत के कला दीर्घा के माध्यम से पसन्द करने वालों को उपलब्ध होती हैं.

Intro:गजानन का ऐसा रूप जिसमें उभरे हैं लकड़ी से उनके विभिन्न नाम,जिसमे है लगन जिसमें है सफाई के साथ कलाकार की वो मेहनत जिसे हर कोई न सोच पाता और न ही इतना धैर्य की बार बार असफल होने के बाद नए सिरे से हो शुरुआत,लेकिन यही तो वो वजह हैं जिनसे कोई कलाकार भीड़ में भी अलग पहचान बना पाता है।


Body:इस कलाकार ने शुरुआत तो की थी लकड़ी के फर्नीचर बनाने से लेकिन मन मे कुछ अलग करने का जो भाव आया तो जुट गए घर के सजावटी सामान बनाने में परन्तु इन्हें इस से भी आगे जाकर अपनी अलग ही पहचान बनानी थी और ऐसे में हुआ एक नई कला का जन्म और आज बह्मनी में रहने वाले पुरषोत्तम विष्वकर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं,ये गणेश जी के अलग अलग नामों को लकड़ी पर उकेरते हैं सफाई से उन्हें काटते हैं फिर ऐसा सँजोते हैं कि इन नामों में गणेश के साथ ही उनका वाहन और श्रृंगार भी दिखाई देता है,कुछ ऐसे ही अक्षरों को लकड़ी में वो आकार देते हैं कि मंत्रों में शंकर,दुर्गा और हनुमानजी का अक्स उभर आता है,जिसे देख कर कोई भी इस बात को आसानी से समझ जाता है कि इस कलाकृति में कलाकार की कल्पना के साथ ही वो मेहनत और लगन छुपी है जो हर किसी के बस की बात नहीं लगभग दो दशक से पुरषोत्तम अपनी कला के जरिये लोगों का दिल जीत रहे हैं वहीं अब वे ज्यादातर गणेश जी की ही कलाकृतियों को अलग अलग तरह से बनाते हैं जो जिला पंचायत मण्डला के कला दीर्घा के माध्यम से पसन्द करने वालों को उपलब्ध होती हैं


Conclusion:आजीविका मिशन के द्वारा इनकी कला को नया आयाम तो मिला है और देश के अलग अलग हिस्सों में लगने वाले मेले में ये अपने उत्पादों के साथ शिरकत भी करते हैं लेकिन कला की साधना कर रोजीरोटी चलाने वाले पुरषोत्तम बताते हैं कि कभी ऐसे मौके भी आते हैं जब कच्चा माल खरीदने के भी पैसे उनके पास नहीं होते,उन्हें दरकार है सरकार से की कुछ मदद मिल सके जो उन्हें ऐसा स्थान दिला सके जिसके वे सच्चे हकदार हैं

बाईट--पुरषोत्तम विष्वकर्मा, कलाकार
बाईट--सुधीर कांस्कार, मैनेजर कला दीर्घा जिला पंचायत
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