शहडोल: अगर आप भी अपने घर में सब्जियां लगाने के शौकीन हैं और नए-नए प्रयोग करते रहते हैं, यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है. इस खबर में हम आपको वह सब कुछ बताने वाले हैं जो कलरफुल गोभी लगाने में सहायक होगी. जैसे बीज कहां से मिल सकता है? कैसे इसकी खेती करें, कैसे इसे घर पर आसानी से लगाएं, साथ ही उस दौरान क्या कुछ करना होता है? इसके अलावा ये कलरफुल गोभियां हमारी सेहत के लिए क्यों लाभकारी हैं जानते हैं पूरी जानकारी.
कलरफुल गोभियों से रंगीन करें बगिया
बदलते वक्त के साथ बहुत कुछ बदल रहा है, आजकल तरह-तरह की चीजें देखने को मिल रही हैं. लोग खेती किसानी में भी नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. फिर चाहे वो घर में छोटी सी बगिया लगाकर करें या फिर एक गमले में. आजकल आप देखते होंगे काला गेहूं, नीला गेहूं, काला टमाटर, काला चावल, और कलरफुल गोभियां भी आने लग गई हैं. आजकल पीले, लाल, हरे और हर कलर और वेराइटी की गोभियां आपको देखने को मिल जाएंगी. इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि ये बायो फोर्टिफाइड गोभियां होती हैं. और इसे आसानी से कोई भी अपने घर पर लगा सकता है.
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कैसे लगाएं कलरफुल गोभियां ?
अगर आप अपनी बगिया या खेतों में कलरफुल गोभियां लगाना चाहते हैं, तो आपको वही प्रक्रिया अपनाना पड़ेगा जो लोकल सफेद कलर की गोभियां लगाते समय अपनाते हैं. इसके लिए अलग से कुछ भी नहीं करना होगा. इसे आप आसानी से लगा सकते हैं. इसके लिए आप पहले अच्छे बीज का प्रबंध करें, फिर उसकी नर्सरी तैयार करें. फिर जब नर्सरी 20 से 25 दिन के लगभग हो जाए, पौधा थोड़ा ठीक-ठाक हो जाए, तो उसे ट्रांसप्लांट कर दें. उसमें बढ़िया उर्वरक आदि डालते रहें. जैसे सफेद गोभी तैयार होती है, ठीक उसी तरह से ये कलरफुल गोभियां भी तैयार हो जाएंगी.
कहां मिलेगा बीज?
अगर आप भी बायोफोर्टिफाइड गोभियां लगाना चाह रहे हैं तो यह बहुत ही सही समय है. इसके लिए आप पहले विश्वसनीय जगह से इसके बीज का प्रबंध कर लें. इसके लिए आजकल शहडोल जिले में भी इसके बीज मिलने लगे हैं. अगर आपके शहर में बीज नहीं मिल पा रहे हैं तो रिलायबल सोर्स से आप ऑनलाइन माध्यम से भी मंगा सकते हैं. वहां भी इसके बीज की उपलब्धता है.
किन बातों का रखें ख्याल, मिट्टी कैसी हो
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि दोमट मिट्टी में इसकी फसल बहुत अच्छी होती है. इसके अलावा थोड़ा फर्टाइल लैंड हो जिसमें जल न जमता हो, वहां भी इसकी अच्छी पैदावार होती है.
कलरफुल क्यों होती हैं?
डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि बायोफोर्टिफाइड गोभियां अलग-अलग रंगों की होती हैं. पीले कलर गाभी में कैरोटीन की मात्रा अधिकता होती है. इसी वजह से ये पीले कलर की होती हैं. जो लाल कलर की होती है उसमें एंथोसाइएनिन की अधिकता होती है. हरे कलर की गोभी को शहडोल में ब्रोकली के नाम से जाना जाता है. इसकी खेती बड़े ही आसानी से की जा सकती है.
सेहत के लिए फायदेमंद
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि बायोफोर्टिफाइड गोभियां सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं. आजकल देखा जाता है ज्यादातर लोगों को कम उम्र में चश्मा लगता है. मतलब उनमें कैरोटीन की कमी है. ऐसे में पीले कलर की गोभियां इन समस्याओं से बचा सकती हैं. इसके अलावा हरे कलर की गोभी या ब्रोकली भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. खासकर बीपी के मरीज जिनको मानसिक तनाव रहता है.