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केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे किसान-कर्मचारी, 30 बड़े संगठनों का भी मिला साथ

9 नवंबर को भोपाल में कई संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसमें 26 नवंबर को होने वाले प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

Farmers employees against central govt
केंद्र सरकार के खिलाफ किसान कर्मचारी लामबंद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 8, 2024, 8:30 PM IST

Updated : Nov 8, 2024, 9:36 PM IST

भोपाल: 26 नवंबर को किसान संघर्ष दिवस के रूप में मना रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी और अन्य संगठन भी प्रेरित हो रहे हैं और किसान यूनियनों के साथ करीब 30 बड़े संगठनों के साथ केन्द्र सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं. 9 नवंबर को भोपाल में इसमें शामिल संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ 26 नवंबर को संघर्ष दिवस के अवसर पर किए जाने वाले प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

26 नवंबर को मनाते हैं संघर्ष दिवस

एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अपनी मांग पूरी कराने के लिए आंदोलन शुरू किया था. 26 नवंबर 2021 को दिल्ली की ओर आगे बढ़े थे. जिसके बाद उन्हें सिंधु बार्डर समेत दिल्ली के सीमावर्ती और अन्य इलाकों में किसानों को रोक दिया गया था. इस आंदोलन ने 3 साल पहले पूरे देश के किसानों को अपने समर्थन में ले लिया था. हालांकि इस दौरान पुलिस ने किसानों के खिलाफ लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग भी किया. तब से किसान इस दिन को संघर्ष दिवस के रुप में मना रहे हैं.

केंद्रीय कर्मचारी बना रहे संयुक्त मोर्चा

साल 2021 में केंद्र सरकार के खिलाफ महीनों तक आंदोलन करने वाले किसानों से अब केद्रीय कर्मचारी और अन्य संगठन भी प्रेरित हुए हैं. इसलिए उन्होंने किसान यूनियनों के साथ करीब 30 बड़े संगठनों को मिलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे हैं. जिससे उनकी मांगो पर अमल हो सके. दरअसल संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि यदि अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं, तो इसका असर सरकार पर इतना नहीं होता है. वहीं एक साथ प्रदर्शन करने में भीड़ भी पहुंचती और इसका सरकार पर भी व्यापक असर होता है.

ये संगठन होंगे शामिल

केंद्र सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए 30 से अधिक संगठन इस सयुंक्त मोर्चा में शामिल होंगे. 9 नवंबर को भोपाल में इसमें शामिल संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ 26 नवंबर को संघर्ष दिवस के अवसर पर किए जाने वाले प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि "इस बैठक में केंद्रीय कर्मचारी संगठन, बीमा, बैंक, बीएसएनल, भेल और किसान यूनियन के नेताओं समेत 30 बड़े कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे."

ये होंगी मुख्य मांगे

केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि "देश में बेराजगारी चरम पर है. वहीं सरकारी विभागों में 15 से 20 लाख पद खाली हैं. इसके बावजूद नई भर्तियां नहीं की जा रही हैं. किसानों को एमएसपी की गारंटी अब तक सरकार सुनिश्चित नहीं कर सकी. केंद्रीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लंबे समय से 18 महीने का पुराना एरियर नहीं मिल पा रहा है. दैनिक वेतन भोगियों को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही है. पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को निजीकरण की ओर ले जा रहे हैं. इन सब मांगों को लेकर संयुक्त मोर्चा 26 नवंबर को सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहा है."

भोपाल: 26 नवंबर को किसान संघर्ष दिवस के रूप में मना रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी और अन्य संगठन भी प्रेरित हो रहे हैं और किसान यूनियनों के साथ करीब 30 बड़े संगठनों के साथ केन्द्र सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं. 9 नवंबर को भोपाल में इसमें शामिल संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ 26 नवंबर को संघर्ष दिवस के अवसर पर किए जाने वाले प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

26 नवंबर को मनाते हैं संघर्ष दिवस

एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अपनी मांग पूरी कराने के लिए आंदोलन शुरू किया था. 26 नवंबर 2021 को दिल्ली की ओर आगे बढ़े थे. जिसके बाद उन्हें सिंधु बार्डर समेत दिल्ली के सीमावर्ती और अन्य इलाकों में किसानों को रोक दिया गया था. इस आंदोलन ने 3 साल पहले पूरे देश के किसानों को अपने समर्थन में ले लिया था. हालांकि इस दौरान पुलिस ने किसानों के खिलाफ लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग भी किया. तब से किसान इस दिन को संघर्ष दिवस के रुप में मना रहे हैं.

केंद्रीय कर्मचारी बना रहे संयुक्त मोर्चा

साल 2021 में केंद्र सरकार के खिलाफ महीनों तक आंदोलन करने वाले किसानों से अब केद्रीय कर्मचारी और अन्य संगठन भी प्रेरित हुए हैं. इसलिए उन्होंने किसान यूनियनों के साथ करीब 30 बड़े संगठनों को मिलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे हैं. जिससे उनकी मांगो पर अमल हो सके. दरअसल संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि यदि अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं, तो इसका असर सरकार पर इतना नहीं होता है. वहीं एक साथ प्रदर्शन करने में भीड़ भी पहुंचती और इसका सरकार पर भी व्यापक असर होता है.

ये संगठन होंगे शामिल

केंद्र सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए 30 से अधिक संगठन इस सयुंक्त मोर्चा में शामिल होंगे. 9 नवंबर को भोपाल में इसमें शामिल संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ 26 नवंबर को संघर्ष दिवस के अवसर पर किए जाने वाले प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि "इस बैठक में केंद्रीय कर्मचारी संगठन, बीमा, बैंक, बीएसएनल, भेल और किसान यूनियन के नेताओं समेत 30 बड़े कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे."

ये होंगी मुख्य मांगे

केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि "देश में बेराजगारी चरम पर है. वहीं सरकारी विभागों में 15 से 20 लाख पद खाली हैं. इसके बावजूद नई भर्तियां नहीं की जा रही हैं. किसानों को एमएसपी की गारंटी अब तक सरकार सुनिश्चित नहीं कर सकी. केंद्रीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लंबे समय से 18 महीने का पुराना एरियर नहीं मिल पा रहा है. दैनिक वेतन भोगियों को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही है. पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को निजीकरण की ओर ले जा रहे हैं. इन सब मांगों को लेकर संयुक्त मोर्चा 26 नवंबर को सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहा है."

Last Updated : Nov 8, 2024, 9:36 PM IST
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