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आंखों से दिव्यांग 12 साल के नन्हे कलाकार ने अपनी कला से मनवाया लोहा, मिमिक्री कर जीता लोगों का दिल

मण्डला जिले की नैनपुर तहसील के पिंडरई पंडरिया गांव में 12 साल का नन्हा कलाकार घनाराम आंखों से 80 फीसदी दिव्यांग है. प्रकृति ने इस बच्चे को दृष्टिबाधित बनाते हुए भी मिमिक्री के हुनर से नवाजा है. इसे देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है.

आंखों से दिव्यांग नन्हा कलाकार घनाराम
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Published : Jun 1, 2019, 5:34 PM IST

मण्डला। जिले की नैनपुर तहसील के पिंडरई पंडरिया जैसे छोटे से गांव में 12 साल का नन्हा कलाकार घनाराम भले ही आंखों से 80 फीसदी दिव्यांग हो, लेकिन उसने अपनी कला से लोगों की दिल जीत लिया है. घनाराम की मिमिक्री को देखकर लोग खुद को उसकी तारीफ करने से नहीं रोक पाते. जो आवाज वह एक बार सुन लेता है, उसके बाद हूबहू उस आवाज की मिमिक्री करता है.

कभी बीन बजाता सपेरा, तो कभी छुक- छुक करती रेल गाड़ी, कभी दूर गगन पर उड़ता हेलीकॉप्टर तो कभी जमीन पर भागती मोटरसाइकिल तो कभी पुलिस का सायरन इन सभी की आवाज वह हूबहू निकलता है. जबकि उस बच्चे को यह नहीं पता की हवाई जहाज कैसा दिखता है और उसकी बनावट क्या है. इस बच्चे ने अपने अंदर के कलाकार को जीवित कर न केवल अपने जीवन में रोशनी लाने का प्रयास किया, बल्कि छोटे हों या बड़े सभी को अपनी इस प्रतिभा से दीवाना भी बना दिया.

आंखों से दिव्यांग नन्हा कलाकार घनाराम

प्रकृति ने इस बच्चे को दृष्टिबाधित बनाते हुए भी ऐसे हुनर से नवाजा है, कि इसे देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है. बच्चे का कहना है कि उसे कलाकार बनना है. घनाराम के पिता रामलाल नरेती बताते हैं, कि उनके बेटे ने बस एक बार ही रेलगाड़ी का सफर किया है और नकल उतारने की कला पता नहीं कब और कैसे उसमें आई. लोग उसे सुनने सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाते है. घनाराम के पिता चाहते हैं कि विशेष स्कूल में पढ़- लिख कर उसके बेटे का भविष्य बने और वह अपने सपने को पूरा करे.

मण्डला। जिले की नैनपुर तहसील के पिंडरई पंडरिया जैसे छोटे से गांव में 12 साल का नन्हा कलाकार घनाराम भले ही आंखों से 80 फीसदी दिव्यांग हो, लेकिन उसने अपनी कला से लोगों की दिल जीत लिया है. घनाराम की मिमिक्री को देखकर लोग खुद को उसकी तारीफ करने से नहीं रोक पाते. जो आवाज वह एक बार सुन लेता है, उसके बाद हूबहू उस आवाज की मिमिक्री करता है.

कभी बीन बजाता सपेरा, तो कभी छुक- छुक करती रेल गाड़ी, कभी दूर गगन पर उड़ता हेलीकॉप्टर तो कभी जमीन पर भागती मोटरसाइकिल तो कभी पुलिस का सायरन इन सभी की आवाज वह हूबहू निकलता है. जबकि उस बच्चे को यह नहीं पता की हवाई जहाज कैसा दिखता है और उसकी बनावट क्या है. इस बच्चे ने अपने अंदर के कलाकार को जीवित कर न केवल अपने जीवन में रोशनी लाने का प्रयास किया, बल्कि छोटे हों या बड़े सभी को अपनी इस प्रतिभा से दीवाना भी बना दिया.

आंखों से दिव्यांग नन्हा कलाकार घनाराम

प्रकृति ने इस बच्चे को दृष्टिबाधित बनाते हुए भी ऐसे हुनर से नवाजा है, कि इसे देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है. बच्चे का कहना है कि उसे कलाकार बनना है. घनाराम के पिता रामलाल नरेती बताते हैं, कि उनके बेटे ने बस एक बार ही रेलगाड़ी का सफर किया है और नकल उतारने की कला पता नहीं कब और कैसे उसमें आई. लोग उसे सुनने सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाते है. घनाराम के पिता चाहते हैं कि विशेष स्कूल में पढ़- लिख कर उसके बेटे का भविष्य बने और वह अपने सपने को पूरा करे.

Intro:कहते है कि प्रकृति यदि इन्शान से कोई इंद्री छीन लेती है तो उसके एवज में कुछ ऐसी अनोखी कला उसे देती भी है कि वह औरों से जुदा बन जाता है इसका जीता जागता उदाहरण है 12 साल का घना राम जो 80 प्रतिशत आँखों से दिव्यांग है लेकिन उसकी मिमिक्री की कला उसे सब के बीच आकर्षण का केन्द्र बनाती है


Body:कभी बीन बजाता सपेरा,तो कभी छुक छुक करती रेल गाड़ी,कभी दूर गगन पर उड़ता हेलीकॉप्टर तो कभी जमीन पर भागती मोटरसाइकिल तो कभी पुलिस का सायरन इन सभी की आवाज अगर आपको हू ब हू सुननी है तो घनाराम है न,जो अभी महज 12 साल का है और ऐसे छोटे से गाँव मे रहता है जहाँ इन चीजों के बारे में सोच पाना भी मुश्किल है लेकिन अपनी अंधेरी दुनिया के सूनेपन को चीर कर 80 प्रतिशत दृष्टिबाधित इस ग्रामीण बालक ने अपने अंदर के कलाकार को जीवित कर न केवल अपने जीवन में रौशनी लाने का प्रयास किया बल्कि छोटे हों या बड़े सभी को अपनी इस प्रतिभा से दीवाना भी बना दिया,घना राम को नहीं पता कि हवाई जहाज कैसी दिखती है और एरोप्लेन की बनावट क्या है उसे तो मतलब है इनकी आवाज से जो सुनता तो एक बार है और हमेसा ऐसे गुनगुनाता है जैसे इन चीजों से रोज का वास्ता हो,दूर से आती हुई सपेरे के बीन की धुन हो या फिर चोर पकड़ने भागती पुलिस गाड़ी के सायरन की आवाज सबकी ठीक वैसी मिमिक्री की जो सुने आश्चर्य चकित हो जाए


Conclusion:मण्डला जिले की नैनपुर तहसील के पिंडरई पंडरिया जैसे छोटे से गाँव मे रहने वाले और सातवीं पढ़ने वाले घनाराम के पिता रामलाल नरेती बताते हैं कि उनके बेटे ने बस एक बार ही रेलगाड़ी का सफर किया है औऱ नकल उतारने की कला पता नहीं कब उनमे आ गयी लेकिन गाँव के हर उम्र के लोगों को उसने अपने हुनर से दीवाना बना दिया है,कबीर के भजनों में जीवन की सच्चाई से लेकर कहानी और माहौल को हल्का करने के लिए जोक सुनने,लोग उसे सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाते है,घनाराम के पिता चाहते हैं कि भले ही उसकी दुनिया मे आँखों से अंधियारा है लेकिन उसे विशेष स्कूल में पढ़ा लिखा कर उसके सपने को उड़ान तो देना चाहते हैं लेकिन सरकारी बाधाएं बेटे के जीवन के अंधियारे को दूर नहीं कर पा रहीं।


इन्ट्रो एन्ड बाईट--मयंक तिवारी,घनाराम
बाईट--रामलाल नरेती,घनाराम के पिता
बाईट- घनाराम बाल कलाकार
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