मण्डला। जिले की नैनपुर तहसील के पिंडरई पंडरिया जैसे छोटे से गांव में 12 साल का नन्हा कलाकार घनाराम भले ही आंखों से 80 फीसदी दिव्यांग हो, लेकिन उसने अपनी कला से लोगों की दिल जीत लिया है. घनाराम की मिमिक्री को देखकर लोग खुद को उसकी तारीफ करने से नहीं रोक पाते. जो आवाज वह एक बार सुन लेता है, उसके बाद हूबहू उस आवाज की मिमिक्री करता है.
कभी बीन बजाता सपेरा, तो कभी छुक- छुक करती रेल गाड़ी, कभी दूर गगन पर उड़ता हेलीकॉप्टर तो कभी जमीन पर भागती मोटरसाइकिल तो कभी पुलिस का सायरन इन सभी की आवाज वह हूबहू निकलता है. जबकि उस बच्चे को यह नहीं पता की हवाई जहाज कैसा दिखता है और उसकी बनावट क्या है. इस बच्चे ने अपने अंदर के कलाकार को जीवित कर न केवल अपने जीवन में रोशनी लाने का प्रयास किया, बल्कि छोटे हों या बड़े सभी को अपनी इस प्रतिभा से दीवाना भी बना दिया.
प्रकृति ने इस बच्चे को दृष्टिबाधित बनाते हुए भी ऐसे हुनर से नवाजा है, कि इसे देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है. बच्चे का कहना है कि उसे कलाकार बनना है. घनाराम के पिता रामलाल नरेती बताते हैं, कि उनके बेटे ने बस एक बार ही रेलगाड़ी का सफर किया है और नकल उतारने की कला पता नहीं कब और कैसे उसमें आई. लोग उसे सुनने सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाते है. घनाराम के पिता चाहते हैं कि विशेष स्कूल में पढ़- लिख कर उसके बेटे का भविष्य बने और वह अपने सपने को पूरा करे.