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नवरात्री पर कोरोना का असर, खरगोन के बाकी माता मंदिर में नहीं होगा पुरुषों का गरबा

नवरात्रि और गरबा उत्सव जहां एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं, वहीं खरगोन में ऐसा अनूठा मंदिर है, जो अपनी परंपरा के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हर साल होने वाले गरबे पर रोक लगा दी गई है.

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Published : Oct 16, 2020, 9:35 PM IST

खरगोन। खरगोन जिले में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनमें से एक है बाकी माता मंदिर, जहां नौ देवियों के साथ-साथ भैरव और हुनमान जी भी विराजित हैं. इस मंदिर की खास बात ये है कि, ये एक मात्र मंदिर है, जहां सिर्फ पुरुषों द्वारा गरबा किया जाता है, लेकिन प्रदेश और जिले में फैल रही कोरोना महामारी के चलते इस बार होने वाला पुरुषों का गरबा रद कर दिया गया है.

मंदिर के प्रवक्ता सुबोध जोशी ने बताया कि, इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण बहुत से कार्यक्रमों को रद कर दिया गया है. कोरोना के नियमों का पालन करते हुए कुएं पर स्नान नहीं होगा. उन्होंने बताया कि, देवी देवताओं पर जल चढ़ाने पर भी प्रतिबंध रहेगा, यहां पर विशेषकर पान का माता को भोग लगाया जाता है. इस साल माता को भोग तो लगेगा पर भक्तों में प्रसाद वितरण नहीं किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस मंदिर में एक क्विंटल मिठाई का भोग भी लगाया जाता है, जो इस साल प्रतिबंधित किया गया है.

खरगोन के बाकी माता मंदिर में नहीं होगा पुरुषों का गरबा

पुरानी बस्ती में लगभग 230 वर्ष पूर्व स्थापित बाकी माता मंदिर आस्था का केंद्र है. नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में प्रतिवर्ष नौ दिनों तक गरबा किया जाता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण पुरुषों द्वारा किए जाने वाले गरबे का आयोजन नहीं किए जा रहा है. इस बार सिर्फ माता की स्तुति की जाएगी. इस दौरान भक्तों को आने जाने की अनुमति रहेगी, लेकिन सोशल डिटेंसिंग के साथ और पूरी तरह से सेनेटाइज होने के बाद ही लोगों को मन्दिर में प्रवेश दिया जाएगा.

क्यों है मंदिर का नाम बाकी माता ?

600 वर्ष पुराने मंदिर के बाहर बने कुएं में स्नान करने से शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं और इसी वजह से इस मंदिर को बाकी माता मंदिर कहा जाता है. मंदिर पुजारी ने बताया कि, अधिकांश मंदिरों में एक या दो माताओं के ही दर्शन होते हैं, लेकिन इस मंदिर में नौ माताएं और भैरव एक के साथ विराजित है. साथ ही एक हनुमान प्रतिमा भी है.

नवरात्रि और गरबा उत्सव जहां एक-दूसरे के पर्याय बन गए, वहीं शहर में ये ऐसा अनूठा मंदिर है, जो अपनी परंपरा के लिए जाना जाता है, गरबे की परिकल्पना जेहन में आते ही डांडियों की खनक और पंडाल दिखाई देते हैं. इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में सिर्फ पुरुष ही देवी मां की आराधना करते हुए परिक्रमा कर सकते हैं और इसी तरह पुरुष गरबा करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस बार प्रतिबंधित हुए इन गरबों से लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है.

खरगोन। खरगोन जिले में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनमें से एक है बाकी माता मंदिर, जहां नौ देवियों के साथ-साथ भैरव और हुनमान जी भी विराजित हैं. इस मंदिर की खास बात ये है कि, ये एक मात्र मंदिर है, जहां सिर्फ पुरुषों द्वारा गरबा किया जाता है, लेकिन प्रदेश और जिले में फैल रही कोरोना महामारी के चलते इस बार होने वाला पुरुषों का गरबा रद कर दिया गया है.

मंदिर के प्रवक्ता सुबोध जोशी ने बताया कि, इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण बहुत से कार्यक्रमों को रद कर दिया गया है. कोरोना के नियमों का पालन करते हुए कुएं पर स्नान नहीं होगा. उन्होंने बताया कि, देवी देवताओं पर जल चढ़ाने पर भी प्रतिबंध रहेगा, यहां पर विशेषकर पान का माता को भोग लगाया जाता है. इस साल माता को भोग तो लगेगा पर भक्तों में प्रसाद वितरण नहीं किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस मंदिर में एक क्विंटल मिठाई का भोग भी लगाया जाता है, जो इस साल प्रतिबंधित किया गया है.

खरगोन के बाकी माता मंदिर में नहीं होगा पुरुषों का गरबा

पुरानी बस्ती में लगभग 230 वर्ष पूर्व स्थापित बाकी माता मंदिर आस्था का केंद्र है. नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में प्रतिवर्ष नौ दिनों तक गरबा किया जाता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण पुरुषों द्वारा किए जाने वाले गरबे का आयोजन नहीं किए जा रहा है. इस बार सिर्फ माता की स्तुति की जाएगी. इस दौरान भक्तों को आने जाने की अनुमति रहेगी, लेकिन सोशल डिटेंसिंग के साथ और पूरी तरह से सेनेटाइज होने के बाद ही लोगों को मन्दिर में प्रवेश दिया जाएगा.

क्यों है मंदिर का नाम बाकी माता ?

600 वर्ष पुराने मंदिर के बाहर बने कुएं में स्नान करने से शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं और इसी वजह से इस मंदिर को बाकी माता मंदिर कहा जाता है. मंदिर पुजारी ने बताया कि, अधिकांश मंदिरों में एक या दो माताओं के ही दर्शन होते हैं, लेकिन इस मंदिर में नौ माताएं और भैरव एक के साथ विराजित है. साथ ही एक हनुमान प्रतिमा भी है.

नवरात्रि और गरबा उत्सव जहां एक-दूसरे के पर्याय बन गए, वहीं शहर में ये ऐसा अनूठा मंदिर है, जो अपनी परंपरा के लिए जाना जाता है, गरबे की परिकल्पना जेहन में आते ही डांडियों की खनक और पंडाल दिखाई देते हैं. इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में सिर्फ पुरुष ही देवी मां की आराधना करते हुए परिक्रमा कर सकते हैं और इसी तरह पुरुष गरबा करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस बार प्रतिबंधित हुए इन गरबों से लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है.

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