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कोरोना काल में भी जारी है कुपोषण के खिलाफ जंग, बच्चों तक पहुंचाया जा रहा रेडी टू ईट पोषण आहार

कोरोना वायरस का असर आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी देखने को मिला है. आंगनबाड़ी केन्द्रों के बंद होने की वजह से बच्चों में कुपोषण का खतरा और बढ़ गया है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरोना काल में भी बच्चों तक रेडी टू ईट पोषण आहार पहुंचा रहा है.

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फाइल फोटो
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Published : Aug 24, 2020, 2:52 PM IST

खरगोन। कुपोषण को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने सभी जिलों में कुपोषण राहत केंद्र बनवाए हैं. जिसके जरिए सरकार लगातार कुपोषण को दूर करने की तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन देश सहित मध्यप्रदेश में फैले कोरोना वायरस के कहर की वजह से बच्चों में कुपोषण का खतरा और बढ़ गया है, क्योंकि आंगनबाड़ी केन्द्र बंद होने से बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल रहा था, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरोना काल में भी बच्चों तक पोषणयुक्त अहार पहुंचाने कवायद जारी रखी है.

कोरोना काल में भी बच्चों तक पहुंच रहा पोषण

खरगोन में कुपोषित बच्चों को पोषण आहार देने के उद्देश्य से जिले भर में 2 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं. जिस पर कोरोना असर दिख रहा है. सप्ताह में सात दिन खुले वाले आंगनबाड़ी कोरोना वायरस के बढ़ते कहर की वजह अब सिर्फ दो दिन खुल रहे है. जिससे बच्चों में कुपोषण बढ़ने की आशंका है. ऐसे में कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए आंगनबाड़ी के माध्यम से आहार दिया जा रहा है. कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन में आंगनबाड़ियों को भी बंद करना पड़ा था, अब जब अनलॉक हुआ है फिर भी बच्चे आंगनबाड़ियों में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरोना काल में रेडी टू ईट पैकेट के माध्यम से कुपोषित बच्चों के पास पोषक आहार पहुंचा रहा है.

महिला सशक्तिकरण और प्रभारी महिला बाल विकास अधिकारी मोनिका बघेल ने कहा कि कुपोषित बच्चों को कुपोषण से उभारने के लिए सांझा चुला के तहत पोषण आहार दिया जा रहा था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है तब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जा कर पोषण आहार दे रही है. साथ ही लगातार मॉनिटरिंग भी कर रही है. बीते साल जुलाई 2019 में इंदौर सम्भाग में कुपोषण मुक्त अभियान चला गया था. जिसमें जिले में 4 हजार 931 बच्चों को चिन्हित किया था. जिसके तहत फरवरी 2020 तक 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों को कुपोषण से बाहर करने में सफलता मिली थी. इस दौरान दो हजार एक बच्चों को कुपोषण से मुक्त किया है. उनका कहना है कि कोरोनाकाल में भी कुपोषण के खिलाफ जंग जारी है. पहले सांझा चूल्हा के माध्यम से पोषण आहार दिया जाता था, अब रेडी टू ईट के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर बच्चों को पोष्टिक सत्तू का पैकेट दे रहीं हैं.

खरगोन। कुपोषण को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने सभी जिलों में कुपोषण राहत केंद्र बनवाए हैं. जिसके जरिए सरकार लगातार कुपोषण को दूर करने की तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन देश सहित मध्यप्रदेश में फैले कोरोना वायरस के कहर की वजह से बच्चों में कुपोषण का खतरा और बढ़ गया है, क्योंकि आंगनबाड़ी केन्द्र बंद होने से बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल रहा था, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरोना काल में भी बच्चों तक पोषणयुक्त अहार पहुंचाने कवायद जारी रखी है.

कोरोना काल में भी बच्चों तक पहुंच रहा पोषण

खरगोन में कुपोषित बच्चों को पोषण आहार देने के उद्देश्य से जिले भर में 2 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं. जिस पर कोरोना असर दिख रहा है. सप्ताह में सात दिन खुले वाले आंगनबाड़ी कोरोना वायरस के बढ़ते कहर की वजह अब सिर्फ दो दिन खुल रहे है. जिससे बच्चों में कुपोषण बढ़ने की आशंका है. ऐसे में कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए आंगनबाड़ी के माध्यम से आहार दिया जा रहा है. कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन में आंगनबाड़ियों को भी बंद करना पड़ा था, अब जब अनलॉक हुआ है फिर भी बच्चे आंगनबाड़ियों में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरोना काल में रेडी टू ईट पैकेट के माध्यम से कुपोषित बच्चों के पास पोषक आहार पहुंचा रहा है.

महिला सशक्तिकरण और प्रभारी महिला बाल विकास अधिकारी मोनिका बघेल ने कहा कि कुपोषित बच्चों को कुपोषण से उभारने के लिए सांझा चुला के तहत पोषण आहार दिया जा रहा था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है तब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जा कर पोषण आहार दे रही है. साथ ही लगातार मॉनिटरिंग भी कर रही है. बीते साल जुलाई 2019 में इंदौर सम्भाग में कुपोषण मुक्त अभियान चला गया था. जिसमें जिले में 4 हजार 931 बच्चों को चिन्हित किया था. जिसके तहत फरवरी 2020 तक 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों को कुपोषण से बाहर करने में सफलता मिली थी. इस दौरान दो हजार एक बच्चों को कुपोषण से मुक्त किया है. उनका कहना है कि कोरोनाकाल में भी कुपोषण के खिलाफ जंग जारी है. पहले सांझा चूल्हा के माध्यम से पोषण आहार दिया जाता था, अब रेडी टू ईट के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर बच्चों को पोष्टिक सत्तू का पैकेट दे रहीं हैं.

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