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मां कालिका मंदिर में भक्तों की मुरादें होती हैं पूरी, हर रोज हजारों श्रद्धालु करते हैं दर्शन

मां दुर्गा की आराधना का पर्व शुरू हो चुका है. साथ ही धार्मिक स्थलों सहित माता के मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ने लगा है. खरगोन में कुंदा नदी के तट पर स्थित माता का मंदिर इस समय लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

जीवनदायिनी कुंदा नदी के पूर्वी तट पर स्थित मां कालीका का मंदिर
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Published : Sep 29, 2019, 11:41 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 11:57 AM IST

खरगोन। जिले की जीवनदायिनी कुंदा नदी के पूर्वी तट पर स्थित मां कालिका मंदिर में नवरात्रि शुरू होते ही भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि 1979 में मोती बाबा के स्वप्न में आकर माता ने कहा था कि मैं यहां जमीन के अंदर विराजमान हूं, मुझे जमीन से निकालकर मंदिर की स्थापना करो. तभी से यह स्थान लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

मां कालिका मंदिर में भक्तों की मुरादें होती हैं पूरी

वहीं मंदिर के पुजारी सुशील अत्रे ने बताया कि माता के आदेश के बाद चैतन्य बाबा ने मूर्ति को निकालकर इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की खासियत है कि यहां आने वाले निसंतान दंपत्ति को यहां आने के बाद संतान भी प्राप्त होती है.

मोनी बाबा ने यहां मां शक्ति का प्रतीक त्रिशूल की स्थापना की है, जिस पर सच्चे मन से कलावा बांधने से भी मनोकामना पूर्ण होती है. श्रद्धालु सुनील पवार ने कहा कि मां की महिमा अपरंपार है, मैं बीते 20 वर्षों से आ रहा हूं. लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है.

खरगोन। जिले की जीवनदायिनी कुंदा नदी के पूर्वी तट पर स्थित मां कालिका मंदिर में नवरात्रि शुरू होते ही भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि 1979 में मोती बाबा के स्वप्न में आकर माता ने कहा था कि मैं यहां जमीन के अंदर विराजमान हूं, मुझे जमीन से निकालकर मंदिर की स्थापना करो. तभी से यह स्थान लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

मां कालिका मंदिर में भक्तों की मुरादें होती हैं पूरी

वहीं मंदिर के पुजारी सुशील अत्रे ने बताया कि माता के आदेश के बाद चैतन्य बाबा ने मूर्ति को निकालकर इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की खासियत है कि यहां आने वाले निसंतान दंपत्ति को यहां आने के बाद संतान भी प्राप्त होती है.

मोनी बाबा ने यहां मां शक्ति का प्रतीक त्रिशूल की स्थापना की है, जिस पर सच्चे मन से कलावा बांधने से भी मनोकामना पूर्ण होती है. श्रद्धालु सुनील पवार ने कहा कि मां की महिमा अपरंपार है, मैं बीते 20 वर्षों से आ रहा हूं. लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है.

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आज से मां दुर्गा की आराधना का पर्व पूरे देश में शुरू हो चुका है साथ ही देश के अलग अलग मंदिरों की अपनी एक विशेषता है ऐसा ही एक मां कालिका का मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय पर है।


Body:खरगोन जिले की जीवनदायिनी कुंदा नदी के पूर्वी तट पर स्थित मां कालीका का मंदिर माता की आराधना के लिए सज चुका है।
कहा जाता है कि इस मंदिर में वर्ष 1979 में मोती बाबा के स्वप्न में आकर माता ने कहा कि में यहां पर विराजमान हो मुझे जमीन से निकालो। वही 20 वर्षों से लगातार मंदिर आ रहे श्रद्धालु सुनील पवार ने कहा कि मां की महिमा अपरंपार है मैं बीते 20 वर्षों से आ रहा हूं। लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
बाइट सुनील पवार श्रद्धालु
वही मंदिर के पुजारी सुशील अत्रे ने बताया कि वर्ष 1979 में गुरु मोती बाबा के स्वप्न में आकर माता ने कहा कि मैं यहां दफन हूं मुझे यहां से निकालो तब मोती बाबा और उनके चेले चैतन्य बाबा ने मोदी को निकाला उसके बाद मोनी बाबा ने गुरु गादी ग्रहण करने के बाद इस मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण हो तो होती है साथ ही निसंतान दंपत्ति को यहां आने के बाद संतान भी होती है।
मोनी बाबा द्वारा यहां पर मां शक्ति का प्रतीक त्रिशूल की स्थापना की गई है जिस पर सच्चे मन से कलावा बांधने से भी मनोकामना पूर्ण होती है। बाइट पंडित सुशील अत्रे मंदिर पुजारी


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 11:57 AM IST
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