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MP Khargone: पर्यावरण संरक्षण के लिए रिटायर्ड प्रिंसिपल की अनूठी मुहिम 'आप आम खाएं गुठलियां हमें दें'

खरगोन में रिटायर्ड प्रिंसिपल अजय नारमदेव पर्यावरण के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं. वह शहर के लोगों से आम की गुठलियों को इकट्ठा इन्हें पौधे के रूप में तैयार करते हैं. इन पौधों को वह लोगों को वितरित करते हैं. साथ ही इन पौधों की देखभाल के लिए लोगों को जागरूक करते हैं. नारमदेव ने अपने घर में किचिन गार्डन बना रखा है. वह 'आप आम खाएं गुठलिया हमें दें' नाम से अभियान कई साल से चला रहे हैं.

MP Environmentalist Ajay Naramdev
पर्यावरण संरक्षण के लिए रिटायर्ड प्रिंसिपल की अनूठी मुहिम
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Published : Jun 9, 2023, 11:27 AM IST

Updated : Jun 9, 2023, 5:38 PM IST

पर्यावरण संरक्षण के लिए रिटायर्ड प्रिंसिपल की अनूठी मुहिम

खरगोन। इन दिनों फलों के राजा आम की बहार है. हम लोग आम खाने के बाद गुठली फेंक देते हैं. लेकिन ये गुठली आम का पेड़ बन सकती है. गुठली से आम उगाने की अनूठी मुहिम खरगोन में पर्यावरणविद् अजय नारमदेव चला रहे हैं. उन्होंने स्लोगन दिया 'आप आम खाएं गुठलिया हमें दें'. पर्यावरणविद् अजय नारमदेव बीते 40 साल से ये मुहिम चला रहे हैं. वह प्रतिवर्ष 4 हजार गुठलियों के पौधे बनाकर लोगों को वितरित कर रहे हैं.

कई साल से कर रहे पर्यावरण के लिए काम : हाई स्कूल के प्राचार्य पद से रिटायर्ड और पर्यावरण के क्षेत्र मे काम करने का जज्बा रखने वाले अजय नारमदेव की चर्चा पूरे जिले में है. वह कई सालों से पर्यावरण के क्षेत्र कार्य कर रहे हैं. उन्होंने पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए नारा 'आप आम खाएं गुठलियां हमें दें' चार वर्ष पूर्व दिया था. इस मुहिम को लेकर अजय बताते हैं "मैंने एक मुहावरा पढ़ा था. जिसमे आम के आम गुठलियों के दाम. जिसमें मैंने दाम को पर्यावरण से जोड़ा. उनका कहना है कि पर्यावरण को लेकर बाते तों सब करते हैं लेकिन पहल कोई नहीं करता."

पड़ोसियों के साथ शुरू की मुहिम : अजय बताते हैं "मेरे मन मे विचार आया और शुरुआत अपने पड़ोसियों से की. चर्चा के दौरान पूछा कि आम खाने के बाद गुठलियों का क्या करते हैं तो लोगों ने कहा फेंक देते हैं. मैंने उनसे कहा कि आप फेंकने के बजाए हमारे किचन गार्डन में दें. पड़ोसियों को ये बात समझ में आई और वे किचन गार्डन में गुठलियां फेंकने लगे. अब वह गुठलियों को प्लास्टिक की पॉलीथिन मे तीन माह में पौधा तैयार कर लोगों को निःशुल्क वितरण करते हैं."

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विरपोस पर्व पर वितरित करते हैं पौधे : पर्यावरणविद् अजय नारमदेव का कहना है कि जुलाई-अगस्त तक पौधे बड़े होते हैं. गायत्री परिवार के माध्यम से रक्षाबंधन से पूर्व निमाड़ मे भाई-बहन के लिए मनाए जाने वाले त्योहार विरपोस पर वह इन पौधों को वितरित करते हैं. प्रति वर्ष विरपोस पर्व पर बहन अपने भाई को पौधा देकर रक्षा का वचन लेती है. इस मुहिम को धर्म से जोड़ने से भी लाभ हुआ है. वह बताते हैं कि धर्म से जोड़ने के बाद लापरवाही नहीं होती. आम से शुरू हुई मुहिम अब जामुन, चीकू, लीची सहित अन्य मौसमी फलों के लिए भी चल रही है. इस अनोखी पहल को लेकर अजय नारमदेव की पत्नी रेखा नारमदेव ने बताया कि इस मुहिम में वह पूर साथ देती हैं. वहीं अजय के पड़ोसियों का कहना है कि अब हम लोग किचिन गार्डन में ही गुठलियां जमा करते हैं.

पर्यावरण संरक्षण के लिए रिटायर्ड प्रिंसिपल की अनूठी मुहिम

खरगोन। इन दिनों फलों के राजा आम की बहार है. हम लोग आम खाने के बाद गुठली फेंक देते हैं. लेकिन ये गुठली आम का पेड़ बन सकती है. गुठली से आम उगाने की अनूठी मुहिम खरगोन में पर्यावरणविद् अजय नारमदेव चला रहे हैं. उन्होंने स्लोगन दिया 'आप आम खाएं गुठलिया हमें दें'. पर्यावरणविद् अजय नारमदेव बीते 40 साल से ये मुहिम चला रहे हैं. वह प्रतिवर्ष 4 हजार गुठलियों के पौधे बनाकर लोगों को वितरित कर रहे हैं.

कई साल से कर रहे पर्यावरण के लिए काम : हाई स्कूल के प्राचार्य पद से रिटायर्ड और पर्यावरण के क्षेत्र मे काम करने का जज्बा रखने वाले अजय नारमदेव की चर्चा पूरे जिले में है. वह कई सालों से पर्यावरण के क्षेत्र कार्य कर रहे हैं. उन्होंने पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए नारा 'आप आम खाएं गुठलियां हमें दें' चार वर्ष पूर्व दिया था. इस मुहिम को लेकर अजय बताते हैं "मैंने एक मुहावरा पढ़ा था. जिसमे आम के आम गुठलियों के दाम. जिसमें मैंने दाम को पर्यावरण से जोड़ा. उनका कहना है कि पर्यावरण को लेकर बाते तों सब करते हैं लेकिन पहल कोई नहीं करता."

पड़ोसियों के साथ शुरू की मुहिम : अजय बताते हैं "मेरे मन मे विचार आया और शुरुआत अपने पड़ोसियों से की. चर्चा के दौरान पूछा कि आम खाने के बाद गुठलियों का क्या करते हैं तो लोगों ने कहा फेंक देते हैं. मैंने उनसे कहा कि आप फेंकने के बजाए हमारे किचन गार्डन में दें. पड़ोसियों को ये बात समझ में आई और वे किचन गार्डन में गुठलियां फेंकने लगे. अब वह गुठलियों को प्लास्टिक की पॉलीथिन मे तीन माह में पौधा तैयार कर लोगों को निःशुल्क वितरण करते हैं."

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विरपोस पर्व पर वितरित करते हैं पौधे : पर्यावरणविद् अजय नारमदेव का कहना है कि जुलाई-अगस्त तक पौधे बड़े होते हैं. गायत्री परिवार के माध्यम से रक्षाबंधन से पूर्व निमाड़ मे भाई-बहन के लिए मनाए जाने वाले त्योहार विरपोस पर वह इन पौधों को वितरित करते हैं. प्रति वर्ष विरपोस पर्व पर बहन अपने भाई को पौधा देकर रक्षा का वचन लेती है. इस मुहिम को धर्म से जोड़ने से भी लाभ हुआ है. वह बताते हैं कि धर्म से जोड़ने के बाद लापरवाही नहीं होती. आम से शुरू हुई मुहिम अब जामुन, चीकू, लीची सहित अन्य मौसमी फलों के लिए भी चल रही है. इस अनोखी पहल को लेकर अजय नारमदेव की पत्नी रेखा नारमदेव ने बताया कि इस मुहिम में वह पूर साथ देती हैं. वहीं अजय के पड़ोसियों का कहना है कि अब हम लोग किचिन गार्डन में ही गुठलियां जमा करते हैं.

Last Updated : Jun 9, 2023, 5:38 PM IST
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