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35 साल में नहीं पूरी हुई ये परियोजना, खर्च 400 करोड़ से बढ़कर पहुंचा 4 हजार करोड़

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Published : Jul 7, 2020, 7:35 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:21 PM IST

खरगोन जिले में 1985 में शुरू हुई महेश्वर जल विद्युत परियोजना आज 35 साल बाद भी अधर में लटकी हुई है. नर्मदा नदी पर बनी इस जल विद्युत परियोजना के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है. इस पावर हाउस में पिछले 20 से 30 साल से काम पर लगे कर्मचारियों पर बेरोजगारी का संकट भी है.

Maheshwar Hydroelectric Project
महेश्वर जल विद्युत परियोज

खरगोन। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में 1985 में शुरू हुई महेश्वर जल विद्युत परियोजना आज 35 साल बाद भी अधर में लटकी हुई है. नर्मदा नदी पर बनी इस जल विद्युत परियोजना के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है, शायद यही वजह है कि अब यहां आसामाजिक तत्वों द्वारा पॉवर हाऊस में तोड़फोड़ की जा रही है. और इस पावर हाउस को लावारिस हालात में छोड़ दिया गया है.

35 साल में नहीं पूरी हुई ये परियोजना

35 साल में नहीं पूरी हुई महेश्वर परियोजना

दरअसल खरगोन जिले की अति महत्व पूर्ण योजना शुरुआत के समय 400 करोड़ की परियोजना आज 35 साल बाद 4 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गई है. फिर भी सियासत की शिकार हुई ये योजना अब भी अटकी हुई है. यहां तक कि इस परियोजना में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है, है तो सिर्फ कुछ निचले स्तर के कर्मचारी. स्थानीय लोगों की मानें तो उनका कहना है कि इस परियोजना से क्षेत्र के विकास के लिए काफी उम्मीदें थी, शुरूआती दौर में ऐसा लग रहा था कि यह परियोजना जल्द पूर्ण होकर क्षेत्र के विकास में सहायक होगी, लेकिन ये परियोजना अब तक नहीं पूरी हुई है, और कब पूरी होगी, ये कोई नहीं जानता है.

बेरोजगारी का संकट

इतना ही नहीं इस परियोजना का काम रूकने से इस पावर हाउस में पिछले 20 से 30 साल से काम पर लगे कर्मचारियों पर बेरोजगारी का संकट भी है. इसमें बड़ी बात ये है कि बांध के गेट जो गिरे है, उसकी मरम्मत की राशि भी नहीं आ रही है. और इस कम्पनी ने कर्मचारियों को 2 साल से वेतन नहीं दिया गया है.

बदमाशों का आतंक जारी
वहीं कर्मचारी शैलेन्द्र मंसारे के मुताबिक तीन महीने से कोरोना महामारी का प्रकोप है, कंपनी में कोई काम भी नहीं चल रहा है. और यहां अब प्रतिदिन बदमाशों का आतंक फैला हुआ है. लिहाजा कोई ध्यान देने वाला नहीं है. चोरी की वारदातें हो रही है, और इन वारदातों की सूचना देने पर न मैनेजमेंट ध्यान देता है और न ही स्थानीय पुलिस कोई दिलचस्पी दिखा रही है. और हालात ये है कि कर्मचारियों को वेतन न मिलने से दो वक्त की रोटी पर भी संकट बन हुआ है.

200 कर्मचारियों की हालत दयनीय
वहीं पावर हाउस में काम करने वाले कर्मचारी राकेश सिटोले का कहना है कि जल विद्युत परियोजना एक सार्वजनिक उपक्रम है, लेकिन बीते 25 महीने से पगार नहीं मिली है. वेतन नहीं मिलने से यहां के 200 कर्मचारियों की हालत दयनीय है. आज यहां कोई भी जिम्मेदार कर्मचारी नहीं है. उच्च प्रबंधन को कई बार सूचना दे गई, लेकिन इस पर प्रबंधन कुछ भी ध्यान नहीं दे रहा है. पावर हाउस की बिजली अक्टूबर महीने से कटी हुई है, और चोरों का आतंक मचा हुआ है. असामाजिक तत्व यहां की करोड़ों रूपये की मशीनरी को नुकसान पहुंचा रहे हैं

प्रोजेक्ट को नीलाम करने की तैयारी

इधर इस पूरे मामले में सीनियर इंजीनियर सुमित पटेल का कहना है कि पॉवर कॉर्पोरेशन ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींचते हुए इसे नीलाम करने के लिए पिछले ढाई साल से पिटीशन गुजरात न्यायालय में डाल रखी है। जिसकी अगली 23 तारीख को सुनवाई है. वहीं दिसम्बर 2019 से सिक्योरिटी गार्ड कम्पनी द्वारा हटा लिया गया है.

खरगोन। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में 1985 में शुरू हुई महेश्वर जल विद्युत परियोजना आज 35 साल बाद भी अधर में लटकी हुई है. नर्मदा नदी पर बनी इस जल विद्युत परियोजना के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है, शायद यही वजह है कि अब यहां आसामाजिक तत्वों द्वारा पॉवर हाऊस में तोड़फोड़ की जा रही है. और इस पावर हाउस को लावारिस हालात में छोड़ दिया गया है.

35 साल में नहीं पूरी हुई ये परियोजना

35 साल में नहीं पूरी हुई महेश्वर परियोजना

दरअसल खरगोन जिले की अति महत्व पूर्ण योजना शुरुआत के समय 400 करोड़ की परियोजना आज 35 साल बाद 4 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गई है. फिर भी सियासत की शिकार हुई ये योजना अब भी अटकी हुई है. यहां तक कि इस परियोजना में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है, है तो सिर्फ कुछ निचले स्तर के कर्मचारी. स्थानीय लोगों की मानें तो उनका कहना है कि इस परियोजना से क्षेत्र के विकास के लिए काफी उम्मीदें थी, शुरूआती दौर में ऐसा लग रहा था कि यह परियोजना जल्द पूर्ण होकर क्षेत्र के विकास में सहायक होगी, लेकिन ये परियोजना अब तक नहीं पूरी हुई है, और कब पूरी होगी, ये कोई नहीं जानता है.

बेरोजगारी का संकट

इतना ही नहीं इस परियोजना का काम रूकने से इस पावर हाउस में पिछले 20 से 30 साल से काम पर लगे कर्मचारियों पर बेरोजगारी का संकट भी है. इसमें बड़ी बात ये है कि बांध के गेट जो गिरे है, उसकी मरम्मत की राशि भी नहीं आ रही है. और इस कम्पनी ने कर्मचारियों को 2 साल से वेतन नहीं दिया गया है.

बदमाशों का आतंक जारी
वहीं कर्मचारी शैलेन्द्र मंसारे के मुताबिक तीन महीने से कोरोना महामारी का प्रकोप है, कंपनी में कोई काम भी नहीं चल रहा है. और यहां अब प्रतिदिन बदमाशों का आतंक फैला हुआ है. लिहाजा कोई ध्यान देने वाला नहीं है. चोरी की वारदातें हो रही है, और इन वारदातों की सूचना देने पर न मैनेजमेंट ध्यान देता है और न ही स्थानीय पुलिस कोई दिलचस्पी दिखा रही है. और हालात ये है कि कर्मचारियों को वेतन न मिलने से दो वक्त की रोटी पर भी संकट बन हुआ है.

200 कर्मचारियों की हालत दयनीय
वहीं पावर हाउस में काम करने वाले कर्मचारी राकेश सिटोले का कहना है कि जल विद्युत परियोजना एक सार्वजनिक उपक्रम है, लेकिन बीते 25 महीने से पगार नहीं मिली है. वेतन नहीं मिलने से यहां के 200 कर्मचारियों की हालत दयनीय है. आज यहां कोई भी जिम्मेदार कर्मचारी नहीं है. उच्च प्रबंधन को कई बार सूचना दे गई, लेकिन इस पर प्रबंधन कुछ भी ध्यान नहीं दे रहा है. पावर हाउस की बिजली अक्टूबर महीने से कटी हुई है, और चोरों का आतंक मचा हुआ है. असामाजिक तत्व यहां की करोड़ों रूपये की मशीनरी को नुकसान पहुंचा रहे हैं

प्रोजेक्ट को नीलाम करने की तैयारी

इधर इस पूरे मामले में सीनियर इंजीनियर सुमित पटेल का कहना है कि पॉवर कॉर्पोरेशन ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींचते हुए इसे नीलाम करने के लिए पिछले ढाई साल से पिटीशन गुजरात न्यायालय में डाल रखी है। जिसकी अगली 23 तारीख को सुनवाई है. वहीं दिसम्बर 2019 से सिक्योरिटी गार्ड कम्पनी द्वारा हटा लिया गया है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:21 PM IST
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