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यहां दिन में 3 बार रूप बदलती हैं मां लक्ष्मी, पूरी करती हैं सबकी मुरादें

मां लक्ष्मी दिन में 3 बार रूप बदल कर भक्तों की मुराद पूरी करती हैं, यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है, दूर -दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं.

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Published : Feb 10, 2019, 4:54 PM IST

महालक्ष्मी टेंपल


खरगोन। जिला मुख्यालय से महज18 किलोमीटर की दूरी पर बना है महालक्ष्मी मंदिर. जहां मां लक्ष्मी दिन में 3 बार रूप बदल कर भक्तों की मुराद पूरी करती हैं. कहा जाता है कि पुराने शक्ति पीठों में महालक्ष्मी के देश में चार मन्दिर हैं जिनमें तीन जाग्रत हैं और एक विलुप्त है.


खंडवा-बड़ौदा राजमार्ग पर खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलो मीटर दूर एक छोटा सा गांव है ऊन. यहां से दक्षिण दिशा में 2 किलो मीटर दूर मां महालक्ष्मी विराजती हैं. बताया जाता है कि 11वीं शताब्दी में राजा बल्लाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां मां महालक्ष्मी दिन में अपने तीन रूप बदलती हैं, जिसमें सुबह बाल्यावस्था, दोपहर जवान और रात को वृद्धावस्था का रूप धारण कर भक्तों की मुराद पूरी करती है. इस मंदिर की एक बात यह भी है कि यहां से मंदिर के उत्तर में एक कमल तलाई भी है. जिसमें 32 पंखुड़ी का फूल यहां की पहचान था, लेकिन तलाई सूखने से फूल की पहचान खोता जा रहा है.

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महालक्ष्मी टेंपल
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यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है, दूर -दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं. इस तरह के देश में चार मन्दिर हैं. पहला मुम्बई, दूसरा गुजरात, तीसरा ऊन और चौथा मंदिर कोलकाता में था जो अब विलुप्त माना जाता है.


खरगोन। जिला मुख्यालय से महज18 किलोमीटर की दूरी पर बना है महालक्ष्मी मंदिर. जहां मां लक्ष्मी दिन में 3 बार रूप बदल कर भक्तों की मुराद पूरी करती हैं. कहा जाता है कि पुराने शक्ति पीठों में महालक्ष्मी के देश में चार मन्दिर हैं जिनमें तीन जाग्रत हैं और एक विलुप्त है.


खंडवा-बड़ौदा राजमार्ग पर खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलो मीटर दूर एक छोटा सा गांव है ऊन. यहां से दक्षिण दिशा में 2 किलो मीटर दूर मां महालक्ष्मी विराजती हैं. बताया जाता है कि 11वीं शताब्दी में राजा बल्लाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां मां महालक्ष्मी दिन में अपने तीन रूप बदलती हैं, जिसमें सुबह बाल्यावस्था, दोपहर जवान और रात को वृद्धावस्था का रूप धारण कर भक्तों की मुराद पूरी करती है. इस मंदिर की एक बात यह भी है कि यहां से मंदिर के उत्तर में एक कमल तलाई भी है. जिसमें 32 पंखुड़ी का फूल यहां की पहचान था, लेकिन तलाई सूखने से फूल की पहचान खोता जा रहा है.

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महालक्ष्मी टेंपल
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यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है, दूर -दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं. इस तरह के देश में चार मन्दिर हैं. पहला मुम्बई, दूसरा गुजरात, तीसरा ऊन और चौथा मंदिर कोलकाता में था जो अब विलुप्त माना जाता है.

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एंकर
खरगोन जिले में 11वीं सताब्दी का राजा बल्लाल द्वारा बनाया गया एक ऐसा माहलक्ष्मी मन्दिर जो दिन में 3 बार रूप बदल कर भक्तों की मुराद पूरी करती है।यह भी कहा जाता है कि पुराने शक्ति पीठों में महालक्ष्मी के देश मे चार मन्दिर है। जिनमे तीन जाग्रत है और एक विलुप्त है।
वीओ
खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पर खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलो मीटर दूर एक छोटा सा गांव ऊन पड़ता है। यहां से दक्षिण दिशा में 2 किलो मीटर दूर मां महालक्ष्मी विराजती है। परन्तु कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी में राजा बल्लाल द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि की यहां विराजित मां महालक्ष्मी दिन में अपने तीन रूप बदलती है जिसमे सुबह बाल्यावस्था, दोपहर जवान और रात को वृद्धावस्था का रूप धारण कर भक्तों की मुराद पूरी करती है। 11वीं शताब्दी का यह मंदिर पूरे देश मे प्रसिद्ध है और दूर दूर से लोग यहां आते है। इस तरह के देश मे चार मन्दिर है। एक मुम्बई एक गुजरात और तीसरे ऊन और चौथा मन्दिर कोलकाता में जो विलुप्त माना जाता है। इस मंदिर की एक बात यह भी है कि यहां से मंदिर के उत्तर में एक कमल तलाई भी है। जिसमे 32 पंखुड़ी का फूल भी भी यहां की पहचान था। परन्तु तलाई सूखने से फूल की पहचान खोता जा रहा है।
बाइट पं नरेंद्र पुजारी
वही इस मंदिर में गोगावां आई
एक श्रद्धालु ने बताया कि यह मंदिर एक हजार साल पुराना है और यह हमारी कुल देवी है। यहां आने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है।
बाइट अर्पिता बड़ोले दर्शनार्थी


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खंडवा बड़ौदा राजमार्ग पर खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलो मीटर दूर एक छोटा सा गांव ऊन पड़ता है। यहां से दक्षिण दिशा में 2 किलो मीटर दूर मां महालक्ष्मी विराजती है। परन्तु कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी में राजा बल्लाल द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि की यहां विराजित मां महालक्ष्मी दिन में अपने तीन रूप बदलती है जिसमे सुबह बाल्यावस्था, दोपहर जवान और रात को वृद्धावस्था का रूप धारण कर भक्तों की मुराद पूरी करती है। 11वीं शताब्दी का यह मंदिर पूरे देश मे प्रसिद्ध है और दूर दूर से लोग यहां आते है। इस तरह के देश मे चार मन्दिर है। एक मुम्बई एक गुजरात और तीसरे ऊन और चौथा मन्दिर कोलकाता में जो विलुप्त माना जाता है। इस मंदिर की एक बात यह भी है कि यहां से मंदिर के उत्तर में एक कमल तलाई भी है। जिसमे 32 पंखुड़ी का फूल भी भी यहां की पहचान था। परन्तु तलाई सूखने से फूल की पहचान खोता जा रहा है।
बाइट पं नरेंद्र पुजारी
वही इस मंदिर में गोगावां आई
एक श्रद्धालु ने बताया कि यह मंदिर एक हजार साल पुराना है और यह हमारी कुल देवी है। यहां आने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है।
बाइट अर्पिता बड़ोले दर्शनार्थी


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