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राजकीय सम्मान के साथ शहीद हवलदार को दी गई अंतिम विदाई, 13 सालों से भटिंडा आर्मी में थे तैनात - last rite of Sunil Bamnia

भटिंडा आर्मी में पिछले 13 सालों से हवलदार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे सुनील बामनिया की मंगलवार को गार्ड सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.

last rite of Sunil Bamnia
हवलदार को दी गई अंतिम विदाई
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Published : Nov 25, 2020, 6:55 AM IST

खरगोन। बड़वाह के सुपुत्र आर्मी के हवलदार सुनील बामनिया को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई. मंगलवार को नर्मदा तट के मुक्तिधाम में शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. शहीद सुनील बामनिया की उम्र 34 साल थी और वे पिछले 13 सालों से भटिंडा आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे थे. उनकी अंतिम विदाई के दौरान लगों की आंखें नम हो गईं.

हवलदार को दी गई अंतिम विदाई

दिवाली मनाने आए थे घर

शहीद सुनील भटिंडा आर्मी में हवलदार के पद पर पदस्थ थे. वे पहली बार दिवाली का पर्व परिवार के साथ मनाने के लिए काटकूट फाटे स्थित अपने घर आए थे. सोमवार सुबह ड्यूटी पर जाने के लिए अपनी पत्नी बच्चों के साथ रवाना हो रहे थे. इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस पर परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए, इसके बाद बड़वाह के शासकीय अस्पताल लाया गया. जहां डॉक्टोरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

मंगलवार को काटकूट फाटे स्थित उनके शव को भटिंडा से पहुंचे सेना के जवानों ने तिरंगे में लपेटा. इसके बाद सैनिक सम्मान के साथ शवयात्रा को नावघाट खेड़ी स्थित नर्मदा तट मुक्तिधाम ले जाया गया. जहां उनकों आखिरी विदाई दी गई.

खरगोन। बड़वाह के सुपुत्र आर्मी के हवलदार सुनील बामनिया को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई. मंगलवार को नर्मदा तट के मुक्तिधाम में शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. शहीद सुनील बामनिया की उम्र 34 साल थी और वे पिछले 13 सालों से भटिंडा आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे थे. उनकी अंतिम विदाई के दौरान लगों की आंखें नम हो गईं.

हवलदार को दी गई अंतिम विदाई

दिवाली मनाने आए थे घर

शहीद सुनील भटिंडा आर्मी में हवलदार के पद पर पदस्थ थे. वे पहली बार दिवाली का पर्व परिवार के साथ मनाने के लिए काटकूट फाटे स्थित अपने घर आए थे. सोमवार सुबह ड्यूटी पर जाने के लिए अपनी पत्नी बच्चों के साथ रवाना हो रहे थे. इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस पर परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए, इसके बाद बड़वाह के शासकीय अस्पताल लाया गया. जहां डॉक्टोरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

मंगलवार को काटकूट फाटे स्थित उनके शव को भटिंडा से पहुंचे सेना के जवानों ने तिरंगे में लपेटा. इसके बाद सैनिक सम्मान के साथ शवयात्रा को नावघाट खेड़ी स्थित नर्मदा तट मुक्तिधाम ले जाया गया. जहां उनकों आखिरी विदाई दी गई.

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