खरगोन। जिले की महेश्वर तहसील के पंचायत क्षेत्र सुल गांव में पिछले दो वित्तीय वर्षों से चल रही वित्तीय अनियमितताओं की लिखित शिकायत के बाद जांच दल के सदस्यों ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया. जिला पंचायत सीईओ द्वारा गठित जांच दल ने सुलगांव स्थित पंचायत कार्यालय पहुंच शिकायत संबंधी जांच की पड़ताल की. जांच दल ने शिकायत में लिखे कई बिंदुओं को मौके पर सही पाया. जांच के बाद टीम ने गत दो वित्तीय वर्ष की कैश बुक, बिल वाउचर सहित भुगतान संबंधी कागजात जब्त कर आगामी जांच हेतु अपने साथ ले गए हैं.
ग्रामीणों ने ये लगाए थे आरोप
कलेक्टर को की गई शिकायत में ग्रामीणों ने पंचायत में कई वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. ग्रामवासी जनपद सदस्य ओमप्रकाश परिहार, विजय पाटीदार, शिव नारायण पाटीदार, मनोज पाटीदार, अनिल पाटीदार, महादेव पाटीदार, सुखदेव पाटीदार ने अपनी शिकायत में मनरेगा के जॉब कार्ड में अनियमितता, फर्जी तुलाई में अनियमितता, फर्जी सीसी रोड जैसे कई बिंदुओं पर अनियमितता के आरोप लगाए थे. ग्रामीणों ने अपने शिकायती आवेदन में यह भी बताया था कि उक्त अनियमितताओं में लाखों रुपये का फर्जी भुगतान किया जा चुका है.
जांच टीम ने शिकायत के बिंदुओं की भौतिक जांच की
जांच दल के सुलगांव स्थित पंचायत कार्यालय पहुंचने पर शिकायतकर्ता ग्रामीणों ने अपनी शिकायत संबंधी बात रखी. जिसके जबाव में जांच दल ने पंचायत के जिम्मेदार सचिव एवं रोजगार सहायक से जवाब मांगा है. सचिव एवं रोजगार सहायक द्वारा शिकायत संबंधी प्रश्नों का ढुलमुल जवाब दिया गया. वहीं शिकायत के बिंदुओं की भौतिक जांच पर भारी अनियमितता की बात भी सामने आई है. महेश्वर जल विद्युत परियोजना के तहत गिट्टी खदान के गड्ढे को शासकीय तलाई बता कर हर साल राशि का भुगतान पाया गया. चालू वित्तीय वर्ष में भी 2 लाख का भुगतान किया जा चुका है.
गिने चुने जॉब कार्ड धारियों को भुगतान
मांगलिक भवन का सीसी रोड जिसकी अनुमानित लागत 7 लाख थी. निर्माण हुआ नहीं पर भुगतान पूरा हो चुका है. यहां तक कि उपयंत्री राजेश राठौर द्वारा सीसी रोड का पूर्णता प्रमाणपत्र भी जारी हो चुका है. इनके अलावा मनरेगा के तहत जारी 285 जॉबकार्ड में से प्रतिवर्ष कुछ गिने चुने जॉबकार्ड पर ही भुगतान किया जा रहा है. जिसमें एक जेसीबी का ऑपरेटर भी है. पेंशनधारी के नाम जारी जॉबकार्ड पर भी नियमित भुगतान पाया गया. जांच दल द्वारा भौतिक जांच के मौके मुआयने के समय पंचायत का कोई जिम्मेदार जांच दल के साथ मौजूद नहीं था. ग्रामीणों ने ही जांच दल को मौका मुआयना करवाया.
जांच में भारी अनियमितताएं
दल द्वारा जांच संबंधी पूछताछ के दौरान रोजगार सहायक सुनीता खेड़े ने बताया कि उनकी नियुक्ति मई माह में की गई है. अभी तक जनपद सीईओ द्वारा नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया है. जांच टीम ने यह भी पाया कि बिना नियुक्ति पत्र के रोजगार सहायक पंचायत में सेवा दे रही है और साथ ही भुगतान भी हो रहा है.
फर्जी तरीके से भुगतान पर आशंका
ग्रामीणों ने अपनी शिकायत के आधार पर पंचायत द्वारा गत दो वित्तीय साल में किये गए बड़े भुगतान पर आशंका जताई है. ग्रामीणों ने बताया कि दिनेश पाटीदार को तकरीबन 15 लाख एवं वासुदेव पाटीदार को तकरीबन साढ़े 3 लाख का भुगतान, फर्जी बिलों के माध्यम से किया गया है. वहीं गांव के पंच भारत सिंह को भी 95 हजार का भुगतान किया गया है. इसके अलावा 7 से अधिक व्यक्तिगत खातों में कुल 45 लाख के भुगतान पर ग्रामीण शिकायतकर्ताओं ने आपत्ति दर्ज की है.
अनियमितताओं को लेकर ग्रामीणों ने की थी कलेक्टर से शिकायत
ग्रामीणों ने पंचायत के जिम्मेदार सचिव चंद्रपाल सिंह ठाकुर, रोजगार सहायक सुनीता खेड़े एवं सरपंच सकुबाई पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. जिसके चलते कलेक्टर गोपाल चंद दाढ़ ने जिला पंचायत सीईओ को शिकायत पर जांच करने हेतु निर्देशित किया. ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को 9 जुलाई को की थी.
मामले की जांच कर रहे अधिकारी एसके रघुवंशी (पीओ मनरेगा) के मुताबिक, ग्रामीणों की शिकायत पर जांच की है. कई बिंदुओं पर प्रथम दृष्टया अनियमिता दिखाई दे रही है. आगामी जांच के लिए कैश बुक एवं बिल बाउचर जब्त कर लिए गए है. जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई की जाएगी.