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ब्रज की तर्ज पर खेली जाती है ठाकुर जी की हवेली में होली - पुष्टिमार्गीय ठाकुर जी की हवेली

खरगोन में वैष्णव समाज की पुष्टिमार्गीय ठाकुर जी की हवेली में सवा सौ साल पुरानी परंपरा आज भी जारी है. जहां ठाकुर जी की हवेली में ब्रज की तर्ज पर सवा माह की होली खेली जाती है और जो बसन्त पंचमी से शुरू होकर होलिका दहन के दिन समाप्त होती है.

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ब्रज की तर्ज पर सवा माह खेली जाती है ठाकुर जी की हवेली में होली
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Published : Mar 6, 2020, 6:31 PM IST

Updated : Mar 7, 2020, 4:50 PM IST

खरगोन। जिले में ठाकुर जी की हवेली में ब्रज के समान होली खेली जाती है, जिसमें महिला पुरुष और बच्चे ठाकुर जी के रंग में रंग जाते हैं. इस होली में जंगल से टेशू के फूल लाकर उससे प्राकृतिक रंग तैयार किए जाते हैं और साथ ही सफेद और लाल गुलाबी गुलाल का उपयोग किया जाता है.

ब्रज की तर्ज पर सवा माह खेली जाती है ठाकुर जी की हवेली में होली

वैष्णव समाज रमणलाल महाजन और सुरेशचन्द्र काकू ने बताया की यहां पर बसंत पंचमी के पूर्व हाथ से गुलाल बनाया जाता है, तब पलाश लाकर उसे पानी में उबलते हैं. वही यहां सवा माह की होली खेली जाती है जिसमे प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है.

वहीं कोमल बर्मन ने बताया कि पुष्टिमार्गीय ठाकुरजी की हवेली यहां प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है और गोपियां ठाकुर जी के रंग में रंग जाती है. सवा माह तक प्रतिदिन वैष्णवजन दूर से आते है और पूरे चालीस दिन तक खरगोन में ब्रज जैसा ठाकुर जी के रंग में रंग जाता है और साथ ही गोपियां रास भी करती है व ठाकुर जी के रंग में रंग जाती है. वहीं फागुन मास के शुरू होते ही चालीस दिन का फ़ाग उत्सव भी शुरू हो जाता है.

खरगोन। जिले में ठाकुर जी की हवेली में ब्रज के समान होली खेली जाती है, जिसमें महिला पुरुष और बच्चे ठाकुर जी के रंग में रंग जाते हैं. इस होली में जंगल से टेशू के फूल लाकर उससे प्राकृतिक रंग तैयार किए जाते हैं और साथ ही सफेद और लाल गुलाबी गुलाल का उपयोग किया जाता है.

ब्रज की तर्ज पर सवा माह खेली जाती है ठाकुर जी की हवेली में होली

वैष्णव समाज रमणलाल महाजन और सुरेशचन्द्र काकू ने बताया की यहां पर बसंत पंचमी के पूर्व हाथ से गुलाल बनाया जाता है, तब पलाश लाकर उसे पानी में उबलते हैं. वही यहां सवा माह की होली खेली जाती है जिसमे प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है.

वहीं कोमल बर्मन ने बताया कि पुष्टिमार्गीय ठाकुरजी की हवेली यहां प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है और गोपियां ठाकुर जी के रंग में रंग जाती है. सवा माह तक प्रतिदिन वैष्णवजन दूर से आते है और पूरे चालीस दिन तक खरगोन में ब्रज जैसा ठाकुर जी के रंग में रंग जाता है और साथ ही गोपियां रास भी करती है व ठाकुर जी के रंग में रंग जाती है. वहीं फागुन मास के शुरू होते ही चालीस दिन का फ़ाग उत्सव भी शुरू हो जाता है.

Last Updated : Mar 7, 2020, 4:50 PM IST
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