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बेटी के जन्म पर परिवार ने मनाया जश्न, गाजे-बाजे के साथ की अगवानी

खरगोन के सोनी परिवार ने बेटी के जन्म का धूमधाम से जश्न मनाया और नन्हीं परी का स्वागत घर की लक्ष्मी की तरह कर समाज में एक नजीर पेश की है कि बेटियां बेटों से कम नहीं है और उन्हें भी समान नजरिये से देखा जाए और सम्मान दिया जाए.

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Published : Nov 12, 2019, 1:32 PM IST

नन्ही परी का स्वागत करता सोनी परिवार

ओस की बूंद सी होती हैं बेटियां
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हैं बेटियां
बेटा तो रोशन करेगा एक कुल
दो कुलों की लाज होती हैं बेटियां

खरगोन। बेटी है तो कल है, ये महज एक कहावत नहीं बल्कि जिंदगी का फलसफा है. वक्त के साथ समाज ने बेटियों को जिस दिल्लगी के साथ अपनाया है और बेटियों को बेटों के बराबर दर्जा दिया है. उसने बेटियों के प्रति समाज की सोच को नया आयाम दिया है और बेटियों को बोझ समझने वाले समाज को भी समझ आ गया है कि बेटियां पराया धन नहीं, बल्कि वो दीपक हैं जो एकसाथ दो कुलों को रोशन करती हैं. खरगोन शहर के सोनी परिवार ने बेटी के जन्म का ऐसा जश्न मनाया, जो बेटे के जन्म की खुशी को भी फीकी कर सकती है.

धूमधाम से मना जश्न

लक्ष्मी के आगमन से परिवार इतना खुश था कि अस्पताल से जच्चा-बच्चा के आने पर गाजे-बाजे के साथ किया. साथ ही बहू के लक्ष्मी के रूप में घर आने पर पग चिन्ह लेने की परम्परा भी निभाई गई, परिवार ने ढोल ताशे के साथ मेरे घर आई एक नन्हीं परी गीत गाते हुए केक भी काटा. नन्ही परी की दादी मंजू सोनी ने भी लक्ष्मी के आगमन की खुश का कुछ इस तरह इजहार किया.

बुढ़ापे की लाठी सिर्फ बेटे ही नहीं बनते, बल्कि बेटियां भी रूढ़िवादी परंपराओं को तिलांजलि दे दी हैं. ज्यादातर मामलों में दायित्व निभाने में बेटियां बेटों से कहीं आगे हैं. बेटी के जन्म की खुशी सोनी परिवार ने जिस तरह सेलिब्रेट किया है, निश्चित तौर पर वह समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

ओस की बूंद सी होती हैं बेटियां
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हैं बेटियां
बेटा तो रोशन करेगा एक कुल
दो कुलों की लाज होती हैं बेटियां

खरगोन। बेटी है तो कल है, ये महज एक कहावत नहीं बल्कि जिंदगी का फलसफा है. वक्त के साथ समाज ने बेटियों को जिस दिल्लगी के साथ अपनाया है और बेटियों को बेटों के बराबर दर्जा दिया है. उसने बेटियों के प्रति समाज की सोच को नया आयाम दिया है और बेटियों को बोझ समझने वाले समाज को भी समझ आ गया है कि बेटियां पराया धन नहीं, बल्कि वो दीपक हैं जो एकसाथ दो कुलों को रोशन करती हैं. खरगोन शहर के सोनी परिवार ने बेटी के जन्म का ऐसा जश्न मनाया, जो बेटे के जन्म की खुशी को भी फीकी कर सकती है.

धूमधाम से मना जश्न

लक्ष्मी के आगमन से परिवार इतना खुश था कि अस्पताल से जच्चा-बच्चा के आने पर गाजे-बाजे के साथ किया. साथ ही बहू के लक्ष्मी के रूप में घर आने पर पग चिन्ह लेने की परम्परा भी निभाई गई, परिवार ने ढोल ताशे के साथ मेरे घर आई एक नन्हीं परी गीत गाते हुए केक भी काटा. नन्ही परी की दादी मंजू सोनी ने भी लक्ष्मी के आगमन की खुश का कुछ इस तरह इजहार किया.

बुढ़ापे की लाठी सिर्फ बेटे ही नहीं बनते, बल्कि बेटियां भी रूढ़िवादी परंपराओं को तिलांजलि दे दी हैं. ज्यादातर मामलों में दायित्व निभाने में बेटियां बेटों से कहीं आगे हैं. बेटी के जन्म की खुशी सोनी परिवार ने जिस तरह सेलिब्रेट किया है, निश्चित तौर पर वह समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

Intro:एंकर
प्रायः लोगों में बेटे के जन्म खुशिया मनाते देखा होगा । परन्तु आज हम एक ऐसे परिवार से मिलवाने जा रहे है। जहां बेटी के जन्म पर न केवल खुशियां बल्कि जब बहु को लक्ष्मी के रूप में घर आने पर पग चिन्ह लेने की परम्परा भी निभाई।


Body:खरगोन शहर के सोनी परिवार ने बेटी है तो कल है कि सोच को रखते हुए। बेटी के जन्म को उत्सव के रूप मनाने का निर्णय लिया। जब बेटी अस्पताल से पहली बार घर आई । नई बहू के आने की खुशी जिस प्रकार कुमकुम के पद चिन्ह लेते है। उसी तरह परिवार ने ढोल ताशे के साथ मेरे घर आई नन्ही परी गीत गाकर खुशियां मनाते हुए केक काटा। इस अवसर पर नन्ही परी की मां ने बताया कि हमारे घर मे सभी की चाहत बेटी की ही ओर बेटी को लक्ष्मी के रूप में पूजते है। हमारे यहां पहली बेटियां नही थी। सबकी चाहत बेटी की थी । तो बेटी ही आई तो सब खूशी मना रहे है।
बाइट- ज्योति सोनी मां
वही नन्ही परी की दादी ने कहा कि बेटी भी घर की लक्ष्मी होती है। जिस प्रकार बहु का स्वागत करते है। उससे भी ज्यादा बेटी का स्वागत कर रहे है। बेटी हमारे घर मे लक्ष्मी बनकर आई है। तो उसका स्वागत करना ही है। शायद लड़का होता तो हमारे यहां कुछभी उत्सव नही होता।
बाइट- मंजू विनोद सोनी दादी



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