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कोरोना काल में दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स की मांग में आई 30 फीसदी की कमी, पशु पालकों को हो रहा नुकसान

कोरोना काल में दूध की खपत में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई है. प्रदेश में मांग की तुलना में दूध की आपूर्ति बहुत बढ़ गई है. जिससे कई इलाकों में पशुपालन किसान दूध आधी कीमत पर बेचने को मजबूर हैं.

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Published : Aug 21, 2020, 2:07 PM IST

File photo
फाइल फोटो

खरगोन। कोरोना वायरस ने हर तरह के व्यापार को प्रभावित किया है. इस महामारी से दूध का व्यापार भी अछूता नहीं है. कोरोना काल में दूध और दूध से बने वाले प्रोडक्ट्स की मांग में कमी आई है. जिससे दुग्ध संघ के साथ ही पशुपालन करने वाले किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से होटल, रेस्तरां और चाय की दुकान बंद रहीं. जिससे दूध की खपत में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई है.

Milk union is suffering
दुग्ध संघ को हो रहा नुकसान

प्रदेश में मांग की तुलना में दूध की आपूर्ति बहुत बढ़ गई है. जिससे कई इलाकों में पशुपालन किसान दूध आधी कीमत पर बेचने को मजबूर हैं. इसका कारण यह है कि, लॉकडाउन के कारण परिवहन सेवाएं बंद होने से दूरदराज के इलाकों में निजी और सहकारी दुग्ध कंपनियां किसानों से दूध नहीं खरीद पा रही हैं. इंदौर दुग्ध संघ के खरगोन प्लान्ट प्रबंधक एनपी साहू का कहना है कि, कोरोना वायरस की वजह से सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. वहीं आंगनबाड़ियां भी बन्द हैं. आंगनबाड़ियां में पोषण आहार में बड़ी मात्रा में दूध पावडर लगता था. जिसकी सप्लाई बंद हो गई है. मांग कम होने से दूध संघ में बनने वाले दुग्ध उत्पादों जैसे बटर और दूध पावडर का स्टॉक बढ़ गया है.

दूध की खपत में आई कमी

एनपी साहू ने बताया कि, कोरोना महामारी के कारण दूध और दूध से बने उत्पादों में 30 प्रतिशत की कमी आई है. जिसमें दूध सहित बटर और घी शामिल है. हालांकि उनका कहना है कि, अनलॉक के बाद दूध की मांग में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन फिर भी पहले की अपेक्षा में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है. जिससे दूध संघ, पशुपालन करने वाले किसानों को पहले के मुताबिक कम दाम दे रहा है. एनपी साहू ने बताया कि, इंदौर दूध संघ आस पास के 8 से 10 जिलों में कार्य कर रहा है और सभी जिलों से दूध की आवक बढ़ी रही है और मांग में कमी आ रही है. जिसके दूध संघ ने फुल फैट मिल्क की कीमतों में कौटती की है. एनपी साहू ने बताया कि, पहले फुल फेट मिल्क 36 रुपए प्रति दिया जाता था. लेकिन स्टॉक बढ़ने से फुल फैट मिल्क को 3 रुपए से 3 रुपए 25 पैसे कम में खरीदा जा रहा है. उनका कहना है कि, स्टॉक बढ़ने से दूध संघ की कार्यशील पूंजी जाम हो गई.

खरगोन। कोरोना वायरस ने हर तरह के व्यापार को प्रभावित किया है. इस महामारी से दूध का व्यापार भी अछूता नहीं है. कोरोना काल में दूध और दूध से बने वाले प्रोडक्ट्स की मांग में कमी आई है. जिससे दुग्ध संघ के साथ ही पशुपालन करने वाले किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से होटल, रेस्तरां और चाय की दुकान बंद रहीं. जिससे दूध की खपत में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई है.

Milk union is suffering
दुग्ध संघ को हो रहा नुकसान

प्रदेश में मांग की तुलना में दूध की आपूर्ति बहुत बढ़ गई है. जिससे कई इलाकों में पशुपालन किसान दूध आधी कीमत पर बेचने को मजबूर हैं. इसका कारण यह है कि, लॉकडाउन के कारण परिवहन सेवाएं बंद होने से दूरदराज के इलाकों में निजी और सहकारी दुग्ध कंपनियां किसानों से दूध नहीं खरीद पा रही हैं. इंदौर दुग्ध संघ के खरगोन प्लान्ट प्रबंधक एनपी साहू का कहना है कि, कोरोना वायरस की वजह से सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. वहीं आंगनबाड़ियां भी बन्द हैं. आंगनबाड़ियां में पोषण आहार में बड़ी मात्रा में दूध पावडर लगता था. जिसकी सप्लाई बंद हो गई है. मांग कम होने से दूध संघ में बनने वाले दुग्ध उत्पादों जैसे बटर और दूध पावडर का स्टॉक बढ़ गया है.

दूध की खपत में आई कमी

एनपी साहू ने बताया कि, कोरोना महामारी के कारण दूध और दूध से बने उत्पादों में 30 प्रतिशत की कमी आई है. जिसमें दूध सहित बटर और घी शामिल है. हालांकि उनका कहना है कि, अनलॉक के बाद दूध की मांग में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन फिर भी पहले की अपेक्षा में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है. जिससे दूध संघ, पशुपालन करने वाले किसानों को पहले के मुताबिक कम दाम दे रहा है. एनपी साहू ने बताया कि, इंदौर दूध संघ आस पास के 8 से 10 जिलों में कार्य कर रहा है और सभी जिलों से दूध की आवक बढ़ी रही है और मांग में कमी आ रही है. जिसके दूध संघ ने फुल फैट मिल्क की कीमतों में कौटती की है. एनपी साहू ने बताया कि, पहले फुल फेट मिल्क 36 रुपए प्रति दिया जाता था. लेकिन स्टॉक बढ़ने से फुल फैट मिल्क को 3 रुपए से 3 रुपए 25 पैसे कम में खरीदा जा रहा है. उनका कहना है कि, स्टॉक बढ़ने से दूध संघ की कार्यशील पूंजी जाम हो गई.

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