खंडवा। मध्यप्रदेश में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. उनमें जिले की चर्चित मांधाता विधानसभा सीट भी है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने की भरकस कोशिश कर रहे हैं. वहीं यहां मतदाताओं के रोजगार, किसानों की कर्जमाफी, फसल बीमा की राशि नहीं मिलना, वहीं क्षेत्र में सिंचाई योजना के लिए छूटे गांवों को लाभ मिलना जैसे प्रमुख मुद्दे हैं. जिन्हें पूरा करने का दावा दोनों प्रत्याशी कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम मांधाता विधानसभा पहुंची और मतदाताओं से बात की.
किसानों का मुद्दा अहम
मांधाता विधानसभा में किसान कर्जमाफी का मुद्दा भी क्षेत्र में बना हुआ है. किसान 2 लाख तक के कर्ज को माफ करने की मांग सरकार से कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर फसल बीमा योजना में इस बार किसानों को ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर राशि मिली है. किसानों को 1, 2 और 3 अंकों में फसल बीमा की राशि मिली है. जिसके चलते किसानों में नाराजगी देखी जा रही है. क्षेत्र की पुनासा उद्वहन सिंचाई योजना के लाभ से कई गांव वंचित रह गए हैं इसमें गांवों को शामिल किए जाने की लंबे समय से मांग की जा रही है.
रोजगार की मांग
विधानसभा में रोजगार का भी एक प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि यहां पर सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट है. जिसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाए जाने की मांग समय समय पर की जाती रही है. इसके अलावा क्षेत्र में नर्मदा के बैक वॉटर में मछली पालन बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन उसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार की सहभागिता कम ही रहती है. इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार एक बड़ा मुद्दा है.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
मांधाता के मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद सिंहा का मानना है कि मांधाता में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. मध्यप्रदेश सरकार ने 70 फीसदी रोजगार स्थानीय युवाओं को दिए जाने का फैसला किया था, जो एक बड़ा मुद्दा है. क्षेत्र में सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट है. इसके बावजूद स्थानीय युवा को उस तरह का रोजगार नहीं मिल पा रहा है. फसल बीमा 2019 की राशि जिस तरह किसानों को मिली है, उससे किसानों में नाराजगी है. किसान को नुकसान का मुआवजा भी बराबर नहीं मिला. इसलिए युवा और किसान दोनों के मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं.
मांधाता में वोटों का समीकरण ठाकुर और गुर्जर मतदाताओं के इर्द गिर्द रहता है. बीजेपी के लोकेंद्र सिंह तोमर ने साल 2008 और 2013 का चुनाव जीतकर विकास कार्य किया था. उसके बाद से यहां अस्थिरता बनी हुई है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में नारायण पटेल कांग्रेस के टिकट पर 1,236 वोट से जीते थे. वहीं उनके बीजेपी में चले जाने से क्षेत्र के विकास में गैप बना है और मतदाताओं को फिर से चुनावी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा हैं.