खंडवा। जिले के ग्राम रोहिणी वन परिक्षेत्र में हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया. करीब चार घंट तक कलेक्ट्रेट परिसर में आदिवासी धरने पर बैठे रहे. आदिवासी संगठन का आरोप है कि वन परिक्षेत्र से जो कब्जे हटाए गए हैं, वह वैधानिक तौर पर ना हटाकर प्रशासन ने जबरिया कार्रवाई कर हटा दिए हैं. ऐसे में आदिवासियों ने इस कार्रवाई में दोषी अधिकारियों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है. वहीं, जिला प्रशासन वन परिक्षेत्र से हटाए गए अतिक्रमण की कार्रवाई को वैध बता रहा है.
कार्रवाई के विरोध में किया प्रदर्शन
दरअसल, करीब एक सप्ताह पहले रोहिणी वन परिक्षेत्र से वन विभाग, पुलिस और राजस्व की टीम ने संयुक्त कार्रवाई को अंजाम दिया था. टीम ने इस दौरान यहां से अतिक्रमण को हटाया था, करीब 40 अतिक्रमणकारियों के झोपड़े तोड़कर वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. इस कार्रवाई को अवैध बताते हुए अब अदिवासी अपने संगठनों के साथ मिलकर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को ये लोग दलित आदिवासी संगठन के बैनर तले इकट्ठा हुए.
कोरोना गाइडलाइन का किया उल्लंघन
उन्होंने पहले रैली निकालकर वन विकास मंडल ऑफिस के सामने धरना दिया, उसके बाद ये लोग कलेक्टर परिसर की ओर बढ़े जहां पर पहले से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. पुलिस ने पहले से ही इ-गवर्नेस कार्यालय के सामने आदिवासियों को कलेक्टर कार्यालय के अंदर घुसने से पहले स्टापर लगा दिए थे, जिसके चलते आदिवासी आगे नहीं बढ़ पाए. पुलिस की सुरक्षा दिवार के आगे आदिवासी बैठ गए. इस प्रदर्शन के दौरान अधिकतर आदिवासी ऐसे तो जिन्होंने मास्क नहीं लगाया था. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी जमकर उल्लंघन किया गया.आदिवासी बिना मास्क के ही धरने पर बैठे रहे. शाम करीब चार बजे तक आदिवासियों का धरना चलता रहा. धरना खत्म होने के बाद पुलिस और जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली.
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जानें क्या है मामला
कुछ दिन पहले ग्राम रोहणी वन परिक्षेत्र क्रमांक 12 से वन, पुलिस और राजस्व विभाग की टीम ने संयूक्त कार्रवाई की थी. यहां आदिवासियों ने बेशकिमती सागौन और अन्य पेड़ों को काटकर निवाड़ बना ली थी. इस बारे में जानकारी लगने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी भारी भरकम पुलिसकर्मियों के साथ जंगल पहुंच गए. यहां उन्होंने अतिक्रम करने वालों को खदेड़ा था. इस कार्रवाई का अब आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा है.