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कलेक्टर विशेष गढ़पाले की 'विशेष पहल', आदिवासी बच्चों को निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी शिक्षा - tribal district khandwa

खंडवा। कलेक्टर आमतौर पर अपनी विशेष पहल के लिए जाने जाते हैं. कुछ ऐसी ही 'विशेष पहल' खंडवा कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने आदिवासी बच्चों के लिए शुरु की है. अब उनकी पहल पर जिले के आदिवासी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा हिंदी के साथ-साथ स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी. इससे बच्चों को भाषागत कठिनाई की सामना नहीं करना पड़ेगा और वे बेहतर शिक्षा ले सकेंगे.

कलेक्टर विशेष गढ़पाले की 'विशेष पहल', आदिवासी बच्चों को निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी शिक्षा
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Published : Mar 23, 2019, 5:51 AM IST

खंडवा। कलेक्टर आमतौर पर अपनी विशेष पहल के लिए जाने जाते हैं. कुछ ऐसी ही 'विशेष पहल' खंडवा कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने आदिवासी बच्चों के लिए शुरु की है. अब उनकी पहल पर जिले के आदिवासी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा हिंदी के साथ-साथ स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी. इससे बच्चों को भाषागत कठिनाई की सामना नहीं करना पड़ेगा और वे बेहतर शिक्षा ले सकेंगे.

कलेक्टर विशेष गढ़पाले की 'विशेष पहल', आदिवासी बच्चों को निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी शिक्षा

यहीं नहीं इसमें शिक्षा विभाग तकनीक की मदद भी ले रहा है. बच्चों को यूट्यूब के जरिए गणित और विज्ञान जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे. ऑडियो विजुअल में पढ़ाने का उद्देश्य बच्चों में सीखने के प्रति ललक पैदा करना है. इसकी पहल कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण केंद्र के जरिए की है.

कलेक्टर के मुताबिक शिक्षक हिंदी और अंग्रेजी में पढा़ते हैं, इसलिए क्षेत्र के आदिवासी बच्चे ठीक से समझ नहीं पाते थे. इसलिए उन्होंने यह नवाचार शुरु किया है. इसके लिए भाषाओं के एक्सपर्ट और अध्यापकों की टीम ने हिंदी शब्दों को निमाड़ी और कोरकू में ट्रांसलेट किया है. साथ ही बीते दो महिनों से कई वीडियोज भी तैयार कराएं गए हैं.


इन विडियोज में नैतिक शिक्षा और रोजमर्रा में उपयोग आने वाली चीजों पर ज्यादा जोर दिया गया है, ताकि बच्चे देख कर बेहतर तरीके से चीजों को समझ और सीख सके. हालांकि अब ये देखना लाजमी होगा की कलेक्टर गढ़पाले का यह नवाचार नए शैक्षणिक सत्र में कितना कारगर साबित होता है.

खंडवा। कलेक्टर आमतौर पर अपनी विशेष पहल के लिए जाने जाते हैं. कुछ ऐसी ही 'विशेष पहल' खंडवा कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने आदिवासी बच्चों के लिए शुरु की है. अब उनकी पहल पर जिले के आदिवासी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा हिंदी के साथ-साथ स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी. इससे बच्चों को भाषागत कठिनाई की सामना नहीं करना पड़ेगा और वे बेहतर शिक्षा ले सकेंगे.

कलेक्टर विशेष गढ़पाले की 'विशेष पहल', आदिवासी बच्चों को निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी शिक्षा

यहीं नहीं इसमें शिक्षा विभाग तकनीक की मदद भी ले रहा है. बच्चों को यूट्यूब के जरिए गणित और विज्ञान जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे. ऑडियो विजुअल में पढ़ाने का उद्देश्य बच्चों में सीखने के प्रति ललक पैदा करना है. इसकी पहल कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण केंद्र के जरिए की है.

कलेक्टर के मुताबिक शिक्षक हिंदी और अंग्रेजी में पढा़ते हैं, इसलिए क्षेत्र के आदिवासी बच्चे ठीक से समझ नहीं पाते थे. इसलिए उन्होंने यह नवाचार शुरु किया है. इसके लिए भाषाओं के एक्सपर्ट और अध्यापकों की टीम ने हिंदी शब्दों को निमाड़ी और कोरकू में ट्रांसलेट किया है. साथ ही बीते दो महिनों से कई वीडियोज भी तैयार कराएं गए हैं.


इन विडियोज में नैतिक शिक्षा और रोजमर्रा में उपयोग आने वाली चीजों पर ज्यादा जोर दिया गया है, ताकि बच्चे देख कर बेहतर तरीके से चीजों को समझ और सीख सके. हालांकि अब ये देखना लाजमी होगा की कलेक्टर गढ़पाले का यह नवाचार नए शैक्षणिक सत्र में कितना कारगर साबित होता है.

Intro:खंडवा - कलेक्टर विशेष आमतौर पर अपनी "विशेष पहल" के लिए जाने जाते हैं। जिले में ऐसी ही एक पहल शिक्षा विभाग में स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू को लेकर की हैं। इसके अंतर्गत बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा हिंदी के साथ साथ स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू में दी जाएगी। जिससे बच्चों पढ़ाई के दौरान होने वाली भाषागत कठिनाई में लाभ मिलेगा। यही नही इसमें तकनीक की भी मदद ली जा रही हैं। यूट्यूब के माध्यम से बच्चों को गणित और विज्ञान के चैप्टर दिखाए जाएंगे। जिससे उन्हें विषयों को आडियो विजुअल फॉम में पढ़ाया जाएगा। जिससे बच्चों में सीखने को लेकर ललक पैदा की जा सकती हैं।


Body:दरअसल जिले में बोली जाने वाली निमाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में कोरकू बोली में बच्चों को पढ़ाने की अनूठी पहल कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र (डाईट) के माध्यम से की हैं। इसके अंतर्गत प्रारंभिक स्तर पर बच्चों को आम बोलचाल में बोले जाने वाले हिंदी शब्दों को निमाड़ी और कोरकू में ट्रांसलेट कर पढ़ाया जाएगा। इसके लिए दोनों भाषा के एक्पर्ट और अध्यापकों की टीम ने मिलकर किताबें तैयार की हैं। और तकनीकी स्तर पर यूट्यूब का सहारा लेकर बच्चों को पढ़ाने की तैयारी चल रही हैं। इसके लिए अध्यापक गणित और विज्ञान की विषयवस्तु को निमाड़ी और कोरकू में ट्रांसलेट करके वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड कर रहे हैं। स्कूलों में बच्चों को एल.ई.डी के माध्यम से यह वीडियो दिखाए जाएंगे। शिक्षा विभाग की कोशिश हैं आने वाले शिक्षा सत्र में इसका लाभ बच्चों को दिया जाए। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र (डाईट) के प्राचार्य ने बताया कि निमाड़ में बहुतायत में निमाड़ी और कोरकू बोली बोली जाती हैं। प्राथमिक शालाओं में बच्चे इन्हीं बोलियों का प्रयोग करते हैं। शिक्षक हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ाते हैं इस कारण बच्चे ठीक तरह से समझ नही पाते हैं। इसे देखेते हुए कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने विशेष पहल की हैं। और बच्चों को निमाड़ी और कोरकू बोली में शिक्षा दी जा रही हैं। इस कार्य में डाईट के व्याख्याताओं ने इन बोलियों के एक्सपर्ट की मदद से ऐसा साहित्य बनाया हैं। जो बच्चों में सीखने के प्रति अभिरुचि जाग्रत करता हैं। हमने निमाड़ी कोरकू हिंदी और अंग्रेजी में बच्चों की रोजमर्रा जिंदगी के शब्द कविताएं पशु पक्षी नैतिक शिक्षा की विषय वस्तु को निर्मित किया हैं। इसी तारतम्य में हमने यूट्यूब पर भी इन बोलियों में वीडियो अपलोड कर रहे हैं। अगले शैक्षणिक सत्र में बच्चों को दिखाएंगे। इससे उनके शैक्षणिक स्तर में बढ़ोतरी होगी। स्वयं कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने अपने इस नवाचार पर कहा कि हम विगत दो महीने से ऐसे वीडियोज तैयार कर रहे हैं। जिससे बच्चों को स्थानीय बोली निमाड़ी और कोरकू में शिक्षा मिल सके। इसमें प्री नर्सरी नर्सरी औऱ प्राथमिक शाला के वीडियो हैं। और मैथ्स इंग्लिश विज्ञान और नैतिक शिक्षा पर भी जोर दे रहे हैं। लगातार वीडियोज अपलोड किये जा रहे हैं। हमनें प्रयास किया हैं अगले शैक्षणिक सत्र से इसे बच्चे उपयोग कर सकेंगे। जो वीडियोज अपलोड हो चुके हैं। उसे भी बच्चे देख सकते हैं। इससे बच्चे घर पर भी संबंधित कांसेप्ट को स्मार्ट फोन पर अपनी भाषा मे यह वीडियो देख सकते हैं।


Conclusion:कलेक्टर विशेष गढ़पाले की इस अनूठी पहल से जिले के बच्चों को होने वाली भाषागत अशुद्धि को कुछ हद तक दूर किया जा सकता हैं। पठन पाठन में बच्चों की रुचि को बढ़ाया जा सकता हैं। अब देखने होगा आने वाले शिक्षा सत्र में यह पहल क्या रंग लाती हैं।
byte - विशेष गढ़पाले, कलेक्टर
byte - एस.के.भालेराव, प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र
byte - अशोक वानेरे, अध्यापक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र
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