Harsud Assembly Seat। हरसूद को साल 1951 में विधानसभा घोषित कर दिया था. तब से अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. शुरूआत में कुछ चुनाव कांग्रेस जीती, लेकिन इसके बाद भाजपा के विजय शाह ने अंगद की तरह ऐसा पांव जमाया कि अब वे टस से मस नहीं हो रहे हैं. बड़ी बात यह है कि उनकी जीत का अंतर भी बड़ा ही बना हुआ है. ऐसे में आज हम ईटीवी भारत की खास चुनावी सीरीज एमपी विधानसभा सीट स्कैन के तहत खंडवा की इस विधानसभा से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं.
इस बार हरसूद विधानसभा सीट से 5 प्रत्याशी चुनावी मैदान में दमखम दिखा रहे हैं, इसमें 2 निर्दलीय और 1-1भाजपा, कांग्रेस और बसपा के सदस्य हैं. भाजपा ने यहां से फिर कुंवर विजय शाह को प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस की ओर से सुखराम साल्वे चुनाव लड़ेंगे. इसके अलावा बसपा ने यहां से विजय सिंह उइके को चुनावी मैदान में उतारा है. अब देखना होगा किसे मिलेगी जीत और किसे मिलेगी मात.
अनुसूचित जनजाति रिजर्व सीट है: हरसूद विधानसभा क्षेत्र मालवा क्षेत्र के खंडवा जिले में आती है. यह अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है. पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 196152 मतदाता थे. जिनमें से बीजेपी के प्रत्याशी कुंवर विजय शाह को 80556 वोट और कांग्रेस के उम्मीदवार सुखराम साल्वे को 61607 वोट मिले थे. शाह 18949 वोटों से जीत गए थे. शाह सात बार से कांग्रेस को मात देते आ रहे हैं.
1985 में आखिरी बार कांग्रेस यहां से चुनाव जीती थी. इसके बाद से तो बस प्रत्याशी ही बदल रही है. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. लेकिन हरसूद में बीजेपी जीती.
दरअसल, खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से कुंवर विजय शाह ने लगातार सात बार जीत हासिल की है. विजय शाह अभी प्रदेश सरकार में वन मंत्री के पद पर आसीन हैं और वह पिछली सरकार में भी लगातार मंत्री रहे हैं.
कुल कितने मतदाता: हरसूद विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की बात की जाए, तो यहां कुल 1,96,839 वोटर्स हैं. इसमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,01,647 है और महिला मतदाताओं की संख्या 95,184 थी.
33 साल से अजेय है भाजपा हरसूद से: हरसूद सीट (विधानसभा क्रमांक 176) अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है और इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी लगातार 33 साल से जीतती आ रही है. हरसूद सीट पर आदिवासी गोंड और कोरकू समाज के वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं. यहां सर्वाधिक 90 हजार कोरकू वर्ग के मतदाता हैं और इनके ऊपर विजय शाह का एक तरफा दबदबा है. इनके अलावा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, यादव, बंजारा और मुस्लिम वर्ग समेत कई अन्य जातियों के मतदाता भी हैं.
इस विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा विस्थापन रहा है. पुराना हरसूद जिसे राजा हर्षवर्धन की नगरी के नाम से जाना जाता था, अब इंदिरा सागर बांध के बैक वाटर में अपना अस्तित्व खो चुकी है. एमपी को पर्याप्त मात्रा में बिजली और पानी मिल सके, इसलिए पुराने हरसूद और उसके आसपास के कई गांव को विस्थापन की भेंट चढ़ा दिया. साल 2011 में नर्मदा विकास प्राधिकरण ने इस इलाके को न्यू चंडीगढ़ की तरह बसाने का सपना दिखाया था, लेकिन यह बस सपना बनकर रह गया है.
कैसा रहा हरसूद का राजनीतिक इतिहास: 1951 में एमपी गठन के साथ ही हरसूद सीट पर पहला चुनाव हुआ और इसमें निर्दलीय विधायक मिश्रीलाल सांड ने कांग्रेस के सरदार हरनाम सिंह को 4359 वोट से मात दी. 1957 में यहां से दो विधायक बने. दोनों ही कांग्रेस के थे. पहले एसटी के राम सिंह गालबा और दूसरे कालू सिंह शेरसिंह. तीसरे नंबर पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कालीचरण रामरतन सिंह रहे थे. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के राव भीम सिंह ने कांग्रेस के बाबूलाल को 1176 वोट से हराया. जनसंघ के प्रेमचंद तीसरे नंबर पर रहे. 1967 में कांग्रेस के एस सकरज्ञान ने भारतीय जनसंघ के बहादुर सिंह को 2373 वोटों से यह चुनाव हराया.
1972 में हरसूद विधान सभाक्षेत्र सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण सकरगाये जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 19635 वोट मिले. वहीं, भारतीय जनसंघ प्रत्याशी बहादुरसिंह चौहान कुल 11865 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और 7770 वोटों से हार गए. 1977 के विधानसभा चुनाव में हरसूद सीट से जनता पार्टी के उम्मीदवार सूरजमल बालू जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 16593 वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार मंगलसिंह मोतीराम कोरकू कुल 8173 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और 8420 वोटों से हार गए.
1980 में हरसूद विधान सभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मोतीलाल मनांग को कुल 12988 वोट मिले और जीतकर विधायक बने. जबकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार मंगल सिंह कोरकू गुलारी को कुल 10842 वोटों के साथ दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. वे 2146 वोटों से हार गए. 1985 में हरसूद विधान सभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार आशाराम पेटू पटेल जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 15694 वोट मिले. उन्होंने 7782 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बाबूलाल गूंगा पटेल को कुल 7912 वोटों हराया.
1990 के विधान सभा चुनाव में हरसूद सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजय शाह जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 31438 वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार आशा राम पटेल कुल 12994 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और 18444 वोटों के बड़े अंतर से हार गए. 1993 में हरसूद विधान सभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कुँवर विजय शाह फिर जीते और विधायक बने. इस बार उन्हें कुल 39034 वोट मिले. जबकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार मोतीलाल मनांग कुल 21391 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और इस बार भी वे 17643 वोटों के बड़े अंतर से हार गए.
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1998 के विधान सभाक्षेत्र चुनाव में हरसूद सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कुंवर विजय शाह तीसरी बार जीते और विधायक बने. इस तरह उन्होंने अपनी हैट्रिक बनाई. उन्हें कुल 47417 वोट मिले. वहीं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार किशोरीलाल पटेल सीताराम पटेल कुल 24330 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और इस बार कांग्रेस और भी बड़े अंतर यानी 23087 वोटों से हार गई. 2003 में हरसूद विधानसभा से एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने कुंवर विजय शाह को अपना उम्मीदवार बनाया और लगातार चौथी बार जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 56649 वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेमलता कासदे कुल 42377 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं और 14272 वोटों से हार गईं.
2008 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पांचवी बार हरसूद से कुंवर विजय शाह को उम्मीदवार बनाया. शाह उम्मीद पर खरे उतरे और लगातार पांचवी बार जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 56401 वोट मिले. जबकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेमलता कासदे को 35360 वोटों से संतोष करना पड़ा और वह 21041 वोटों से हार गईं. 2013 में हरसूद विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने कुंवर विजय शाह को छटवीं बार उम्मीदवार बनाया. शाह फिर से जीतकर विधायक और मंत्री बने. उन्हें इस बार कुल 73880 वोट मिले. जबकि, इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सूरजभानु सोलंकी को उम्मीदवार बनाया, जिन्हें कुल 30309 वोट मिले और वे 43571 वोटों से हार गए. 2018 के विधान सभा चुनाव में हरसूद सीट से भारतीय जनता पार्टी ने कुंवर विजय शाह को सातवीं बार उम्मीदवार बनाया. वे सातवीं बार भी जीते और विधायक बने, लेकिन इस बार सरकार नहीं बनी. विजय शाह को कुल 80556 वोट मिले. इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सुखराम साल्वे को उम्मीदवार बनाया, जिन्हें 61607 वोट मिले और वे 18949 वोटों से हार गए.