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लॉकडाउन ने तोड़ी सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर, नहीं मिल रहा उचित दाम

अरबी की फसल पककर खेतों में तैयार है, लेकिन किसानों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं. खेत पर पहुंच रहे व्यापारी अरबी का उचित दाम नहीं लगा रहे हैं, जिससे फसल खेत में ही सड़ने की कगार पर पहुंच गई है.

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Published : Jun 3, 2020, 8:40 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 9:17 PM IST

Damage to taro crop
अरबी फसल को नुकसान

खंडवा। लॉकडाउन के दौरान लोगों को राहत मिलने से अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है. लेकिन जिले में अरबी की फसल लगाने वाले किसानों की मुसीबतें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. किसानों की फसल खेतों में पककर तैयार खड़ी हैं, लेकिन व्यापारी उचित दाम देने को तैयार नहीं है, जिस वजह से किसान इन्हें नहीं काट पा रहे हैं. जिले में पंधाना क्षेत्र के कई गावों में किसान अरबी का उत्पादन करते हैं.

अरबी फसल को नुकसान

लॉकडाउन के चलते अरबी पककर खेतों में ही रह गई है. किसान अपनी फसल को बड़े व्यापारियों और इंदौर मंडी तक नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में यदि फसल को जल्द नहीं काटा गया, तो वो खेत में ही सड़ने लगेगी. किसान धनसिंह ने बताया कि, उन्होंने पहली बार 50 हजार की लागत से अरबी की फसल लगाई थी. इसमें डेढ़ से दो लाख का मुनाफा होना था, लेकिन वर्तमान में व्यापारी खेत तक नहीं आ रहे हैं. जो व्यापारी खेत पर आ भी रहे हैं, वो इसका सही भाव नहीं देना चाहते हैं.

जिले के कई गांवों में किसान अरबी का उत्पादन करते हैं और इन्हें बेचने के लिए इंदौर स्थित मंडी ले जाते हैं. फिलहाल किसानों को लॉकडाउन से राहत तो मिली है, लेकिन सही माहौल नहीं होने से किसान अपनी फसल को इंदौर लेकर नहीं जा पा रहे हैं.

खंडवा। लॉकडाउन के दौरान लोगों को राहत मिलने से अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है. लेकिन जिले में अरबी की फसल लगाने वाले किसानों की मुसीबतें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. किसानों की फसल खेतों में पककर तैयार खड़ी हैं, लेकिन व्यापारी उचित दाम देने को तैयार नहीं है, जिस वजह से किसान इन्हें नहीं काट पा रहे हैं. जिले में पंधाना क्षेत्र के कई गावों में किसान अरबी का उत्पादन करते हैं.

अरबी फसल को नुकसान

लॉकडाउन के चलते अरबी पककर खेतों में ही रह गई है. किसान अपनी फसल को बड़े व्यापारियों और इंदौर मंडी तक नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में यदि फसल को जल्द नहीं काटा गया, तो वो खेत में ही सड़ने लगेगी. किसान धनसिंह ने बताया कि, उन्होंने पहली बार 50 हजार की लागत से अरबी की फसल लगाई थी. इसमें डेढ़ से दो लाख का मुनाफा होना था, लेकिन वर्तमान में व्यापारी खेत तक नहीं आ रहे हैं. जो व्यापारी खेत पर आ भी रहे हैं, वो इसका सही भाव नहीं देना चाहते हैं.

जिले के कई गांवों में किसान अरबी का उत्पादन करते हैं और इन्हें बेचने के लिए इंदौर स्थित मंडी ले जाते हैं. फिलहाल किसानों को लॉकडाउन से राहत तो मिली है, लेकिन सही माहौल नहीं होने से किसान अपनी फसल को इंदौर लेकर नहीं जा पा रहे हैं.

Last Updated : Jun 3, 2020, 9:17 PM IST
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