खंडवा। सरकारी एजेंसियां और अफसर आम आदमी के टैक्स के पैसों पर कैसे मनमर्जी से फैसला लेते हैं इसकी एक बानगी खंडवा मेडिकल कॉलेज में देखने को मिली हैं.मेडिकल कॉलेज का निर्माण दो साल में पूरा होना था लेकिन चार साल बाद भी मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. जानकारी के अनुसार निर्माण कंपनी ने अभी और समय मांगा है. विभाग ने कंपनी को फरवरी 2016 से अक्टूबर 2018 के बीच 24 नोटिस दिए हैं इसमें तय समय पर काम न होने के अलावा घटिया निर्माण को लेकर भी जवाब मांगा गया है.
मेडिकल कॉलेज का मामला अब गर्माने लगा है. अगस्त 2015 में मेडिकल कॉलेज बनाने का टेंडर गैगन डंकरली एंड कंपनी लिमिटेड मुंबई (जीडीसीएल) को दिया गया था. इसकी कुल लागत 158 करोड़ रूपए हैं कंपनी को 24 महीने में काम पूरा करके बिल्डिंग सरकार को हैंडओवर करनी थी. लेकिन देरी के चलते बारी-बारी से पीआईयू के तीन डिविजनल इंजीनियरों ने कंपनी पर 12 करोड़ रूपए की पैनाल्टी लगाई. फिर अचानक काम की अवधि 60 माह करके 4 करोड़ रूपए लौटा दिए गए और बाकी लौटाए जा रहे हैं.
पिछले दिनों खंडवा दौरे पर आई चिकित्सा शिक्षा और संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधो ने यह कहकर खंडवा मेडिकल कॉलेज पर सवाल खड़े कर दिए थे कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी फायदा उठाने के लिए अधूरे बने मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन कर दिया था. अभी यह सियासी मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि मेडिकल कॉलेज ने निर्माण कंपनी पर लगे 12 करोड़ के जुर्माने को विभाग में अपनी गलती बताकर वापस लेने का निर्णय कर लिया था. वहीं पीआईयू का तर्क हैं "बिल्डिंग की लिफ्ट पिट की डिजाइन, अस्पताल के ए-ब्लॉक को ध्वस्त करने, कैंटीन टेंपर की शिफ्टिंग, कॉलेज बिल्डिंग में अतिरिक्त कार्य जोड़ने के कारण जैसे काम की वजह से निर्माण कार्य में देरी हुई " , इसलिए पीआईयू ने ठेकेदार के आवेदन पर जुर्माने को वापस किए जाने की सिफारिश की है.