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खंडवा का रण जितने के लिए बीजेपी की पुरजोर कोशिश, कांग्रेस भी नहीं छोड़ रही कोई कसर - खंडवा उपचुनाव का परिणाम

खंडवा लोकसभा उपचुनाव (Khandwa Lok Sabha by-election) में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां पुरजोर कोशिश कर रहे है. बीजेपी के मंत्री कह रहे है कि इस सीट को हर हाल में जीतना है, क्योंकि पार्टी हाईकमान इस पर नजर रखें हुए है. वहीं कांग्रेस अपनी जीत का दावा ठोक रही है. कांग्रेस इस चुनाव में आदिवासियों पर हुए जुल्म को मुद्दा बनाएगी. वहीं बीजेपी मोदी सरकार के कामों को गिनाएगी.

Who will win the battle of Khandwa
कौन जीतेगा खंडवा का रण
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Published : Oct 10, 2021, 10:23 PM IST

भोपाल। खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha seat) पर बीजेपी हर हाल में जीत दर्ज करना चाहती है. क्योंकि यह सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन चुकी है. इसका मुख्य कारण यह है कि एमपी में कुल 29 लोकसभा सीटें है, जिसमें से वर्तमान में 28 बीजेपी के पास थी. खंडवा के पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान देहांत के बाद भाजपा के पास 27 सीटें बची. अब बीजेपी अपनी इस सीट को वापस पाने में लगी हुई है.

इस सीट पर जीत हासिल करने के बाद केंद्र सरकार लोगों तक यह मैसेज भी पहुंचाना चाहती है कि जनता ने मंहगाई हो या फिर डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम, इन सबको दरकिनार कर फिर से मोदी सरकार पर भरोसा जताया है. बीजेपी केंद्रीय हाईकमान खुद इस सीट पर नजर रख रहा है.

इस सीट को हर हाल में जीतना है- मंत्री मोहन यादव

तीन विधानसभा उपचुनाव में तो बीजेपी पूरी मेहनत तो कर ही रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता बीजेपी को खंडवा लोकसभा सीट की है. यहां पर चाहे संगठन के लोग हो या फिर सत्ता में मंत्री, सभी अपने कार्यकर्ताओं को समझा रहे हैं कि इस सीट पर जी जान लगा दो. इस पर केंद्रीय हाई कमान की नजर है. वे इस सीट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. खंडवा लोकसभा कि एक विधानसभा सीट पंधाना भी है. इसका जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को दिया है, जो कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि इस सीट को हर हाल में जीतना है, यहां पर केंद्र की निगाहे हैं.

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बीजेपी में अभी अन्तर्कलह, दिगज्जों की ताबड़तोड़ सभाएं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां पर हर एक सीट का आकलन कर चुके हैं. उन्होंने जन दर्शन यात्रा भी निकाली, लेकिन पार्टी को यहां भितरघात का डर सता रहा है. एक वजह ये है कि बीजेपी को लग रहा था कि नंद कुमार सिंह के बेटे को टिकट देकर सहानुभूति वोट जुट जाएंगे, लेकिन केंद्रीय हाईकमान परिवारवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहता.

दूसरी वजह अर्चना चिटनिस और नंद कुमार सिंह के बीच पहले से ही मनमुटाव रहा है. अर्चना चिटनिस भी इस बात को लेकर अड़ गई कि हर्षवर्धन को टिकट दिया, तो पार्टी को हार का सामना करना होगा. इन कारणों के चलते बीजेपी ने ज्ञानेश्वर पाटिल को चुना और ओबीसी कार्ड खेला. अब बीजेपी एक तरफ ओबीसी को भुनाने में लग गई है, तो दूसरी तरफ जनता से ये कह रही है कि कांग्रेस ओबीसी को सिर्फ धोखा देती आई है.

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आदिवासियों पर हुए जुल्मों को मुद्दा बनाएगी- अजय सिंह

दूसरी ओर कांग्रेस में भी मन मुटाव दिखाई दे रहा है. राजनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद खंडवा से पूर्व सांसद रहे अरुण यादव की एक सभा में कह दिया की फसल में उगाता हूं और काट कर कोई और ले जाता है. इस बयान का असर पार्टी के वोट बैंक पर पढ़ना लाजमी है. वहीं बीजेपी को यह मुद्दा मिल गया कि अरुण यादव को पार्टी ने धोखा दिया. हालांकि कांग्रेस भाजपा की रणनीति में न घिरकर, वो इन सीटों पर आदिवासी मुद्दे को उठा रही है. वो चुनावी सभाओं में बता रही है कि बीजेपी राज में आदिवासियों पर सबसे ज्यादा जुल्म हुए हैं.

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कमलनाथ 12 अक्टूबर को करेंगे सभाओं की शुरुआत

एक तरफ खंडवा सीट के साथ-साथ बीजेपी ने उपचुनाव में भी पूरी ताकत झोंक दी है. दूसरी तरफ कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ 12 अक्टूबर से चुनावी शंखनाद करेंगे. कमलनाथ खंडवा पहुंचकर धूनी वाले दादाजी की समाधि पर माथा टेकेंगे. फिर चुनावी रण की शुरुआत करेंगे.

भोपाल। खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha seat) पर बीजेपी हर हाल में जीत दर्ज करना चाहती है. क्योंकि यह सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन चुकी है. इसका मुख्य कारण यह है कि एमपी में कुल 29 लोकसभा सीटें है, जिसमें से वर्तमान में 28 बीजेपी के पास थी. खंडवा के पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान देहांत के बाद भाजपा के पास 27 सीटें बची. अब बीजेपी अपनी इस सीट को वापस पाने में लगी हुई है.

इस सीट पर जीत हासिल करने के बाद केंद्र सरकार लोगों तक यह मैसेज भी पहुंचाना चाहती है कि जनता ने मंहगाई हो या फिर डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम, इन सबको दरकिनार कर फिर से मोदी सरकार पर भरोसा जताया है. बीजेपी केंद्रीय हाईकमान खुद इस सीट पर नजर रख रहा है.

इस सीट को हर हाल में जीतना है- मंत्री मोहन यादव

तीन विधानसभा उपचुनाव में तो बीजेपी पूरी मेहनत तो कर ही रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता बीजेपी को खंडवा लोकसभा सीट की है. यहां पर चाहे संगठन के लोग हो या फिर सत्ता में मंत्री, सभी अपने कार्यकर्ताओं को समझा रहे हैं कि इस सीट पर जी जान लगा दो. इस पर केंद्रीय हाई कमान की नजर है. वे इस सीट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. खंडवा लोकसभा कि एक विधानसभा सीट पंधाना भी है. इसका जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को दिया है, जो कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि इस सीट को हर हाल में जीतना है, यहां पर केंद्र की निगाहे हैं.

खंडवा में किसका पलड़ा भारी? बीजेपी के 12वीं पास ज्ञानेश्वर का कांग्रेस के 9वीं पास राजनारायण से मुकाबला

बीजेपी में अभी अन्तर्कलह, दिगज्जों की ताबड़तोड़ सभाएं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां पर हर एक सीट का आकलन कर चुके हैं. उन्होंने जन दर्शन यात्रा भी निकाली, लेकिन पार्टी को यहां भितरघात का डर सता रहा है. एक वजह ये है कि बीजेपी को लग रहा था कि नंद कुमार सिंह के बेटे को टिकट देकर सहानुभूति वोट जुट जाएंगे, लेकिन केंद्रीय हाईकमान परिवारवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहता.

दूसरी वजह अर्चना चिटनिस और नंद कुमार सिंह के बीच पहले से ही मनमुटाव रहा है. अर्चना चिटनिस भी इस बात को लेकर अड़ गई कि हर्षवर्धन को टिकट दिया, तो पार्टी को हार का सामना करना होगा. इन कारणों के चलते बीजेपी ने ज्ञानेश्वर पाटिल को चुना और ओबीसी कार्ड खेला. अब बीजेपी एक तरफ ओबीसी को भुनाने में लग गई है, तो दूसरी तरफ जनता से ये कह रही है कि कांग्रेस ओबीसी को सिर्फ धोखा देती आई है.

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दूसरी ओर कांग्रेस में भी मन मुटाव दिखाई दे रहा है. राजनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद खंडवा से पूर्व सांसद रहे अरुण यादव की एक सभा में कह दिया की फसल में उगाता हूं और काट कर कोई और ले जाता है. इस बयान का असर पार्टी के वोट बैंक पर पढ़ना लाजमी है. वहीं बीजेपी को यह मुद्दा मिल गया कि अरुण यादव को पार्टी ने धोखा दिया. हालांकि कांग्रेस भाजपा की रणनीति में न घिरकर, वो इन सीटों पर आदिवासी मुद्दे को उठा रही है. वो चुनावी सभाओं में बता रही है कि बीजेपी राज में आदिवासियों पर सबसे ज्यादा जुल्म हुए हैं.

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