खंडवा। तीर्थस्थल ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की सबसे ऊंची 108 की प्रतिमा स्थापित होगी. खासबात यह है शंकराचार्य की मूर्ति बाल स्वरूप में रहेगी. इसके लिए ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर तेज गति से काम चल रहा है. इसके लिए प्रदेश की करीब 23 हजार पंचायतों से कापर, टीन, जिंक और अन्य धातुएं जुटाई गई हैं. इन धातुओं को मिलाककर 100 टन वजन की भव्य प्रतिमा बनेगी. उसे भव्यता देते हुए स्थापित किया जाएगा. मूर्ति का मुख भगवान ओंकारेश्वर और मां नर्मदा की ओर रहेगा. (adi guru shankaracharya) (shankaracharya will be installed in child form)
लगभग पूरा हुआ जमीन समतलीकरण का कामः ओंकारेश्वर में ओंमकार पर्वत पर मूर्ति को स्थापित करने के लिए निर्माण कार्य चल रहा है. मूर्ति को लेकर पिछले कुछ समये में विरोध भी देखने को मिला. श्रद्धालुओं ने इसे पर्यावरण से खिलवाड़ बताया था. इसके बावजूद काम निरंतर जारी है. उज्जैन के महाकाल लोक के बाद अब प्रदेश में ओंकारेश्वर भी लोगों को भव्यता देखेने को मिलेगी. श्रद्धालु लिफ्ट और सीढ़ियों के माध्यम से आदि गुरु के सम्मुख पहुंच सकेंगे. ओंकार पर्वत पर मूर्ति लगाने के लिए समतलीकरण का काम लगभग पूरा हो गया है. इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए दो हजार करोड़ रुपए के खर्च की स्वीकृति प्रदेश सरकार ने दी है. ओंकारेश्वर में 'एकात्मता का वैश्विक केंद्र' भी बन रहा है. मूर्ति के लिए प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत ने 11 साल के शंकराचार्य के बाल स्वरूप का चित्र तैयार किया है. मूर्ति का निर्माण अभी पहले चरण में है. प्रसिद्ध शिल्पकार भगवान रामपुरे के मार्गदर्शन में मूर्ति तैयार की जा रही है. (adi guru shankaracharya) (cost of adi guru statue increased by Rs 40 crore)
108 फीट ऊंची मूर्ति होगी स्थापितः ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट की मूर्ति स्थापित होगी. पहले चरण में साढ़े तीन फीट की मूर्ति प्लास्टिसिन क्ले से बन रही है. दूसरे चरण में यह 11 फीट की बनेगी. इन दोनों मूर्तियों के बनने के बाद अष्टधातु से 108 फीट की मूर्ति बनेगी. पहले साढ़े तीन और 11 फीट की मूर्ति बनाने का उद्देश्य यह है कि जब 108 फीट की मूर्ति बनाई जाए तो उसमें किसी भी तरह की कमी न रहे. मूर्ति पर बारिश और धूप का कोई प्रभाव नहीं होगा. लगभग 28 हेक्टेयर जमीन में बन रहे इस स्मारक का लोकार्पण अगले साल सितंबर तक करने की योजना है. मूर्ति के अलावा इसके विशाल परिसर को एक नॉलेज सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा. (tallest statue will be 108 feet)
इसलिए बाल स्वरूप में बन रही मूर्तिः ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की मूर्ति के लिए उनके बाल स्वरूप में लेने का निर्णय इसलिए हुआ, क्योंकि केरल के कालडी से 8 साल की आयु में शंकराचार्य यहां आए थे. ओंकारेश्वर में गुरू गोविंदपाद ने उन्हें दीक्षा दी थी. फिर यहीं उन्होंने अगले तीन वर्ष तक अद्वैत वेदांत का अध्ययन किया था. जब वे 11 साल के हुए तब उन्होंने आगे की यात्रा यहीं से आरंभ की थी. आदिगुरु के रूप में उनकी प्राण प्रतिष्ठा का केंद्र बिंदु ओंकारेश्वर ही माना गया. मूर्ति के अलावा यहां शंकराचार्य संग्रहालय, आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान, आवासीय परिसर (शंकर निलयम), परियोजना सूचना केंद्र, अद्वैत वन तथा अभय घाट, संन्यास मंदिर एवं गुफा मंदिर का जीर्णोद्धार व विकास किया जाएगा. हाईस्क्रीन थियेटर, लेजर लाइट वाटर एंड साउंड शो, नौका विहार, विविध भाषाओं में मेडिटेशन सेंटर भी रहेगा. इसके अलावा धर्म, आध्यात्म से जुड़ी गतिविधियां भी होंगी. (cost of adi guru statue increased by Rs 40 crore)
प्रतिमा की लागत 40 करोड़ रुपए बढ़ीः शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची बहु-धातु की प्रतिमा की लागत 40 करोड़ रुपए बढ़ गई है. प्रोजेक्ट को लेकर पहले 158.50 करोड़ रुपए की मंजूरी थी. अब बढ़कर यह 198.25 करोड़ रुपए होने वाली है. सोमवार को कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई. प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग कमेटी ने 3 अगस्त 2022 को नई रिवाइज राशि पर स्वीकृति दे दी थी. साथ ही कैबिनेट भेजे जाने के लिए कहा था. इसी के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया. ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्यजी के अद्वैत सिद्धांत से पूरा विश्व प्रेरणा ले, इस हेतु वहां एक महत्वाकांक्षी परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के बाद ओंकारेश्वर का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा. इस क्षेत्र का धार्मिक पर्यटन देश ही नहीं पूरी दुनिया में सर्वोच्च शिखर पर पहुंचेगा. मप्र शासन इसके लिए सजग है. उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, उज्जैन, मांडू और बुरहानपुर को भी टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
-शिवशेखर शुक्ला, न्यासी सचिव, आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास