कटनी। कोरोना संक्रमण को लेकर देश दुनिया के अलग-अलग डॉक्टरों की अपनी-अपनी राय है. एक चीज सब में सामान है कि जिस वक्त यह वायरस समाज में फैला उस वक्त डॉक्टरों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया. शुरुआती दौर में डॉक्टर से लेकर अस्पताल का हर स्टॉफ बीमारी को लेकर दहशत में रहा, लेकिन सेवाएं कम नहीं हुई.
कटनी के सिविल सर्जन डॉ यशवंत वर्मा के मुताबिक मार्च के शुरुआती दौर में जब इस वायरस के आने की सूचना मिली तो एक असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे थे कि आने वाली मुसीबत से कैसे निपटना है क्योंकि इसकी कोई दवाई नहीं है. ऐसे में लॉकडाउन पीरियड में तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा. लेकिन मई महीने के अंत में कटनी में भी कोरोना संक्रमण का मामला सामने आ गया.
कटनी जिले में कोई भी निजी अस्पतालों को लेने को तैयार नहीं था. इस चुनौती को कटनी का जिला अस्पताल में स्वीकार किया. उनके मुताबिक शुरुआती दौर में डाक्टर और स्टॉफ भी इस वायरस से डरे हुए थे. चुनौती का सामना करना उनकी मजबूरी थी. लिहाजा एक नई ऊर्जा के साथ उनकी लड़ाई में स्वास्थ विभाग अमला कूद पड़ा.
हालांकि इस दरमियान बहुत सारे स्टॉफ को इस संक्रमण से जूझना पड़ा. उसके बावजूद भी इंसानियत को जिंदा रखने के लिए पूरे जिला साल में इस जंग से दो-दो हाथ करने की ठान ली थी. यही वजह है कि अभी तक कटनी जिले में रिकवरी रेट 98 फ़ीसदी से ज़्यादा है. इन सबके बीच डॉक्टर यशवंत वर्मा के अनुभव के मुताबिक बेहद खराब वक्त था जो धीरे-धीरे गुजर रहा है. 2020 के शुरुआती दौर से ही इस मुसीबत में पूरे देश दुनिया को परेशान किया है. उन्होंने उम्मीद है कि आने वाले 2021 में संभवत इस बीमारी से देश दुनिया को निजात मिल जाएगी.